क्या बिंज-वॉचिंग भी हो सकती है दिमाग के लिए फायदेमंद? नई स्टडी में सामने आई बेहद दिलचस्प बात
बिंज वॉचिंग को लोग दिमाग को सुस्त बनाने वाली एक्टिविटी मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह सिर्फ समय की बर्बादी है। लेकिन हाल ही में एक स्टडी ने इस धारणा को बदलकर रख दिया है। दरअसल इस स्टडी में बिंज वॉचिंग के कुछ ऐसे फायदे बताए हैं जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएंगे।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कई लोग ऐसे होते हैं जो किसी टीवी सीरिज को देखना शुरू करते हैं, तो घंटों उसके कई एपिसोड एक साथ देख जाते हैं (Binge Watching)। ऐसा ही हाल कई बुक रीडर्स का भी है। क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। ऐसा कई लोग करते हैं। हालांकि, आम धारणा यह है कि बिंज वॉचिंग, मूवी मैराथॉन या लगातार किताबें पढ़ते रहना अच्छा नहीं होता।
टीवी शो के कई एपिसोड एक साथ देखना या घंटों किताबें पढ़ना अक्सर आलस और अनहेल्दी आदत मानी जाती है। हमें लगता है कि यह समय की बर्बादी है और इससे दिमाग सुस्त होता है। लेकिन हाल ही में सामने आई एक स्टडी इससे बिल्कुल विपरीत बात कर रही है। इस स्टडी में बिंज वॉचिंग से जुड़ी कई दिलचस्प बातें सामने आई हैं, जिन्हें जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। आइए जानते हैं।
क्या कहती है रिसर्च?
हाल के एक स्टडी में 'रेट्रोस्पेक्टिव-इमैजिनेटिव-इनवॉल्वमेंट' (RII) के आइडिया को एक्सप्लोर किया गया। आसान शब्दों में कहें तो RII वह प्रक्रिया है जब कोई व्यक्ति किसी कहानी (टीवी शो या किताब) के खत्म होने के बाद भी उसके बारे में सोचता रहता है, उसकी काल्पनिक दुनिया में खोया रहता है और उसके प्लॉट, किरदारों या मीनिंग के बारे में गहराई से विचार करता है। यह स्टडी बताती है कि जो लोग एक ही शो को लगातार देखते हैं या किताबों को मैराथन की तरह पढ़ते हैं, वे उन कहानियों को ज्यादा अच्छी तरह याद रख पाते हैं और उनके साथ RII में जुड़ने की संभावना ज्यादा होती है।
बिंजिंग से बनते हैं मजबूत 'मेंटल मॉडल'
जब हम किसी कहानी को बिना रुके लगातार कन्ज्यूम करते हैं, तो हमारा दिमाग उस नैरेटिव के इर्द-गिर्द एक मजबूत ‘मेंटल मॉडल' बना लेता है। किरदारों के रिश्ते, प्लॉट की बारीकियां और कई छोटी-छोटी बातें हमारे दिमाग में साफ हो जाती हैं। यह मजबूत आधार हमें कहानी खत्म होने के बाद भी उसके साथ जुड़े रहने, उस पर विचार करने और उसकी काल्पनिक दुनिया में 'एस्केप' करने का मौका देता है। यह एस्केपिस्म नेगेटिव नहीं, बल्कि एक हेल्दी मेंटल रिलैक्शेसन का तरीका बन सकता है।
तनाव से मुक्ति का जरिया
इस स्टडी में यह भी पता चल रहा है कि स्ट्रेस RII में शामिल होने की संभावना को कम करता है, जबकि खाली समय इसे बढ़ावा देता है। इसका मतलब यह है कि जब हारे-थके दिमाग को आराम की जरूरत होती है, तो किसी काल्पनिक दुनिया में खो जाना एक तरह की 'मेंटल रिचार्जिंग' हो सकती है। यह दिमाग को रोज के तनाव और चिंताओं से एक सेफ डिस्टेंस पर ले जाती है, जिससे उसे रिकवरी का मौका मिलता है।
यह भी पढ़ें- लंबे वर्किंग आवर्स के बीच भी खुद को कैसे रखें हेल्दी? डॉक्टर ने शेयर किए कुछ आसान टिप्स
यह भी पढ़ें- अनिद्रा और स्ट्रेस से रहना है दूर, तो किताबों से कर लें दोस्ती
Source:
- Science Direct: https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S0001691825004147?via%3Dihub
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।