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    Self Identity: दूसरों के बहकावे में आकर कभी न बदलें 5 आदतें, वरना अपनी ही नजरों में गिर जाएंगे आप

    Updated: Tue, 13 May 2025 09:35 PM (IST)

    जिंदगी के सफर में हमें कई ऐसे लोग मिलते हैं जो हमें बदलने की सलाह देते हैं। कभी हमारी पर्सनैलिटी (Self Identity) पर टिप्पणी करते हैं तो कभी हमारे शौक को बेकार बताते हैं। बता दें दूसरों को खुश करने या उनकी नजरों में अच्छा बनने की चाह में आकर अपनी कुछ बुनियादी आदतों (Habits that Define Self Identity) को बदलना आपको अपनी ही नजरों में गिरा सकता है।

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    Self Identity: दूसरों की बातों में आकर अपनी इन 5 आदतों को बदलने की गलती कभी न करें (Image: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के दौर में जहां हर कोई किसी न किसी से प्रभावित होकर जी रहा है, वहां खुद की पहचान बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं। हम दूसरों की बातों, सोच और तानों से इतना प्रभावित हो जाते हैं कि खुद की अच्छी-खासी आदतें (Habits that Define Self Identity) भी छोड़ देते हैं- सिर्फ इसलिए कि “लोग क्या कहेंगे।”

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    हालांकि, एक बात हमेशा याद रखें कि आपकी असली ताकत आपकी “Self Identity” में छिपी होती है। जो इंसान खुद से सच्चा होता है, वही दुनिया के सामने सिर उठाकर चल सकता है। इस आर्टिकल में हम उन 5 आदतों की बात करेंगे जिन्हें आपको कभी भी, किसी के कहने पर नहीं छोड़ना चाहिए (Habits You Should Never Change for Anyone), वरना आप अपनी ही नजरों में छोटे लगने लगेंगे।

    सच बोलने की आदत

    आज के समय में लोग कहते हैं- “थोड़ा झूठ भी चलता है, स्मार्ट बनो।” हालांकि, जो लोग हर हाल में सच बोलते हैं, उनके अंदर आत्मविश्वास अलग ही स्तर का होता है। सच बोलने से नुकसान हो सकता है, लेकिन वह नुकसान आपको अंदर से कमजोर नहीं बनाता। वहीं झूठ से भले तुरंत बचाव हो जाए, लेकिन अंदर ही अंदर आत्मग्लानि बढ़ती है। दूसरे आपको 'सीधा-सादा' या 'पागल' कह सकते हैं, लेकिन अगर आपने सच बोलने की आदत छोड़ दी, तो खुद से आंख मिलाना मुश्किल हो जाएगा।

    दया और सहानुभूति दिखाने की आदत

    आज की दुनिया में दयालु होना एक कमजोरी माना जाता है। लोग कह सकते हैं- "हर किसी के लिए इतना मत सोचो", "दूसरों की मदद करके क्या मिलेगा?" लेकिन सच ये है कि दूसरों के दुख में साथ देना, इंसानियत की सबसे ऊंची मिसाल है। अगर आप किसी की तकलीफ में उसका हाथ थाम लेते हैं, तो आप सिर्फ उसके लिए नहीं, बल्कि अपने अंदर की इंसानियत के लिए जीते हैं। दया की आदत को कमजोरी समझने वालों से ज्यादा मजबूत आप होते हैं, क्योंकि आप में भावनाएं जिंदा हैं।

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    अपने जुनून के लिए लड़ने की आदत

    अक्सर जब आप अपने पैशन को फॉलो करते हैं- चाहे वो पेंटिंग हो, लेखन, म्यूजिक या कोई छोटा बिजनेस- तो लोग कहते हैं, “इससे क्या होगा?”, “कुछ प्रैक्टिकल सोचो।” लेकिन अगर आप अपने जुनून को छोड़कर सिर्फ दूसरों की सोच के हिसाब से चलने लगते हैं, तो आप धीरे-धीरे एक मशीन में बदल जाते हैं- जिसमें भावनाएं, इच्छाएं और रचनात्मकता दम तोड़ देती है। याद रखें, आपका पैशन ही आपको बाकी दुनिया से अलग बनाता है। इससे समझौता मतलब खुद से समझौता।

    'ना' कहने की आदत

    कई बार हम दूसरों को खुश करने के चक्कर में हर बात के लिए 'हां' कह देते हैं- भले ही वो हमें अंदर से परेशान कर दे। 'ना' कहना एक कला है और स्वाभिमान की पहचान भी। अगर आप अपनी सीमाओं को नहीं पहचानेंगे, तो लोग आपकी अच्छाई का फायदा उठाते रहेंगे। दूसरे चाहे इसे रुखापन कहें या एटीट्यूड, लेकिन "ना" कहना आपको अपनी जिंदगी की जिम्मेदारी लेने में मदद करता है।

    अकेले समय बिताने की आदत

    आज की डिजिटल दुनिया में अकेले रहना या खुद के साथ समय बिताना "बोरियत" माना जाता है। लोग कहते हैं- “इतना अकेले क्यों रहते हो?”, “थोड़ा बाहर घूमा करो।” बता दें, जो इंसान खुद से जुड़ना जानता है, वही दुनिया को सही मायने में समझ सकता है। अकेलापन आत्म-अन्वेषण का सबसे गहरा रूप होता है। जब आप खुद से जुड़ते हैं, तो आपके विचार स्पष्ट होते हैं, आत्मविश्वास मजबूत होता है और निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है।

    दूसरों की आवाज से न दबाएं अपनी पहचान

    आपकी पर्सनैलिटी आपकी सबसे बड़ी पूंजी है। समाज, रिश्तेदार, दोस्त- ये सभी आपको बदलने की कोशिश करेंगे, लेकिन जो इंसान हर हाल में अपनी अच्छाइयों को बचा ले जाता है, वही अंत में खुद को असल मायने में जीतता है। जी हां, कभी-कभी दूसरों की सलाह से हटकर चलना ही सही होता है, खासकर जब बात आपके मूल स्वभाव की हो। इसलिए अगर आपके अंदर ये 5 आदतें हैं, तो उन्हें छोड़िए मत- उन्हें और मजबूत कीजिए, क्योंकि यही आपकी असली पहचान है।

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