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    Pearl Harbor Attack: एक ऐसा अटैक जिसने रखी पहले परमाणु हमले की नींव!

    Updated: Sat, 07 Dec 2024 08:00 AM (IST)

    आज से 83 साल पहले 7 दिसंबर 1941 की सुबह द्वितीय विश्व युद्ध (World War II history) के दौरान जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर (Pearl Harbor Attack) पर हमला कर द‍िया था। जापान ने एक घंटा 15 मिनट तक बमबारी की थी। हमले में 2400 से ज्‍यादा अमेर‍िकी सैन‍िक मारे गए थे। अमेर‍िका ने इसका बदला 1945 में जापान से ल‍िया था।

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    1941 में जापान के हमले से दहल गया था अमेर‍िका। (Image Credit- Instagram)

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई द‍िल्‍ली। 7 दिसंबर 1941 का वो दिन याद करते ही रूह कांप जाती है। ये वही द‍िन था जब जापान ने अमेर‍ि‍का के नौसैन‍िक अड्डे पर्ल हार्बर पर हमला कर दि‍या था। इस दौरान जापान की ओर से एक घंटा 15 म‍िनट तक लगातार बमबारी की गई थी। आज इस हमले को 83 साल पूरे हो गए हैं। ये हमला सेकंड World War के दौरान हुआ था। तब न चाहते हुए भी अमेर‍िका को इस युद्ध में शाम‍िल होना पड़ा था। इसमें अमेर‍िका के 2400 से ज्‍यादा सैन‍िक मारे गए थे। जब‍क‍ि हजार से ज्‍यादा घायल हुए थे। इस हमले ने अमेर‍िका समेत पूरी दुनिया को झकझोर कर रख द‍िया था।

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    दरअसल जापान अमेरिका के ईधन टैंकों को अपना निशाना बनाना चाहता था। लेकिन वो ऐसा करने में सफल नहीं हो पाया था। जापान को लगता था कि पर्ल हार्बर में बड़ी संख्या में अमेरिकी विमान वाहक जहाज मौजूद होंगे, लेकिन असल में ऐसा नहीं था। पर्ल हार्बर हमला न केवल एक सैन्य रणनीति थी बल्कि यह वैश्विक राजनीति और इतिहास के लिए एक निर्णायक मोड़ भी साबित हुआ।

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    क्‍या है पर्ल हार्बर

    पर्ल हार्बर अमेरिका का एक मशहूर बंदरगाह और नौसैनिक अड्डा है जो हवाई द्वीप के ओहू में स्थित है। ये प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसेना के बेड़े का मुख्य आधार है। पर्ल हार्बर की स्‍थापना 1908 में हुई थी। इसे सबसे सुरक्षित नैसैन‍िक अड्डा माना जाता है।

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    क्‍यों हुआ था पर्ल हार्बर पर हमला

    उन द‍िनों हमले की वजह जापान और अमेर‍िका के बीच बढ़ता तनाव था। अमेरिका इस हमले के लिए तैयार नहीं था। क्योंकि 6 द‍िसंबर काे वाशिंगटन में जापान के प्रतिनिधियों की अमेरिका के विदेश मंत्री कार्डेल हल के साथ मीट‍िंग हो रही थी। जहां जापान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को खत्म करने की बातचीत हो रही थी। दरअसल चीन के हस्तक्षेप के कारण अमेरिका ने जापान पर यह प्रतिबंध लगाए थे। ज‍िससे जापान की अर्थव्‍यवस्‍था पूरी तरह से प्रभाव‍ित हो रही थी। जब जापान को समाधान नहीं म‍िला तो मजबूरन हमले का रास्‍ता अपनाना पड़ा।

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    353 जापानी विमान कर रहे थे बमबारी

    दूसरे ही द‍िन 7 दिसंबर, 1941 की सुबह जापानी नौसेना ने पर्ल हार्बर पर बमबारी शुरू कर दी। पर्ल हार्बर पर लगभग 353 जापानी विमान लगातार बमबारी कर रहे थे। हमले में 2400 अमेरिकी सैन‍िकों की मौत हो गई थी। 328 विमान पूरी तरह से नष्ट हुए थे। इसके साथ ही 19 समुद्री जहाज भी जलकर राख हो गए थे। इसमें आठ जंगी जहाज भी शाम‍िल थे। हमले में सि‍र्फ अमेर‍िका को ही नुकसान नहीं हुआ था, जापान के भी 100 से ज्‍यादा सैन‍िक मारे गए थे।

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    दूसरे ही दिन जापान पर हमले की घोषणा

    जापान के इस हमले से दूसरे विश्व युद्ध ने एक नया मोड़ ले लिया था। इस युद्ध में 70 अलग-अलग देशों की सेनाएं शामिल थीं। हमले के दूसरे ही दिन यानी 8 द‍िसंबर को तत्‍कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने 'एक ऐसा दिन जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता' कहते हुए जापान पर युद्ध की घोषणा कर दी। इसके बाद अमेरिका सेकंड वर्ल्‍ड वॉर में में शामिल हो गया था। पर्ल हार्बर पर अटैक के बाद अमेरिका ने एक साल के अंदर ही इस बंदरगाह का पुर्नन‍िमाण कर द‍िया था।

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    ऐसे हुआ था हमले का अंत

    अमेरीका ने हमले के चार साल बाद 1945 में जापान से गि‍न-ग‍िनकर बदला ल‍िया। अमेर‍िकी सैन‍िकों ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया। ज‍िसमें जापान को काफी नुकसान हुआ था। अमेरिका ने तो साल भर में पर्ल हार्बर को बसा लिया था, लेकिन जापान को हिरोशिमा और नागासाकी को दोबारा बसाने से कई साल लग गए थे।

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