Makar Sankranti 2025 : कई राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है यह Festival, यह है वजह
मकर संक्रांति का त्योहार हिन्दुस्तान में बहुत ही प्रमुखता से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में खिचड़ी बनाते हैं। हिंदू धर्म में इस त्योहार की काफी विशेषताएं हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर राज्य में इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। कई राज्यों में इसे एक ही दिन और एक ही समय मनाया जाता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मकर संक्रांति भारत के कई राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, और इसके पीछे के कारणों को समझने के लिए हमें इसके इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को देखना होगा।
भारत के कई राज्यों में इस एक फेस्टिवल को लोग बहुत प्रमुखता से मनाते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर राज्य में इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। कई राज्यों में इसे एक ही दिन और एक ही समय मनाया जाता है, लेकिन वहां की संस्कृति के हिसाब से एक अलग तरह से सेलीब्रेट किया जाता है।
मकर संक्रांति का इतिहास
मकर संक्रांति एक प्राचीन त्योहार है जो भारत में लगभग कई वर्षों से मनाया जा रहा है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है, जो आमतौर पर जनवरी के मध्य में होता है।
मकर संक्रांति के पीछे के कारण
मकर संक्रांति के पीछे के कारणों में से एक यह है कि यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है, जो कि एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और यह कई राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के विभिन्न रूप
मकर संक्रांति के विभिन्न रूपों में से कुछ प्रमुख हैं। अगर भारत के चार प्रमुख राज्यों की बात करें तो यह त्योहार यहां अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। इनमें उत्तर प्रदेश जो कि भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है। चाहे वो भूगोलिक क्षेत्रफल की बात हो या फिर आबादी की बात। दूसरा बिहार राज्य है, तीसरा राज्य पश्चिम बंगाल है तो चौथा तमिलनाडू है।
- उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को "खिचड़ी" के नाम से मनाया जाता है।
- बिहार में मकर संक्रांति को "तिल संक्रांति" के नाम से मनाया जाता है।
- पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति को "पौष संक्रांति" के नाम से मनाया जाता है।
- तमिलनाडु में मकर संक्रांति को "पोंगल" के नाम से मनाया जाता है।
इन विभिन्न रूपों में से प्रत्येक के अपने विशिष्ट रीति-रिवाज और परंपराएं हैं, लेकिन सभी में एक बात समान है - यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है और यह भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।