क्या हमारे पूर्वज भी 'पार्टी एनिमल' थे? बहुत दिलचस्प है शराब के शौक से जुड़ा 5 करोड़ साल पुराना रहस्य
इंसानों को शराब क्यों पसंद है, इसका जवाब लाखों साल पुराने हमारे प्राइमेट पूर्वजों से है। दरअसल, इसका कनेक्शन इवॉल्यूशन से जुड़ा है, जो तब जिंदा रहने क ...और पढ़ें

आखिर इंसानी दिमाग को क्यों भाती है शराब? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या कभी आपने सोचा है कि छुट्टियों की पार्टी में एक ग्लास वाइन क्यों माहौल को और भी मजेदार बना देता है? जवाब शायद हमारी आधुनिक लाइफस्टाइल में नहीं, बल्कि लाखों साल पुराने हमारे प्राइमेट पूर्वजों में छिपा है। जी हां, हमें शराब क्यों इतनी पसंद आती है, इसका कनेक्शन हमारे प्राइमेट पूर्वजों से जुड़ा हो सकता है।
सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है। इसे अच्छी तरह समझने के लिए आपको 5 करोड़ साल पीछे जाना पड़ेगा, जब इंसानों का अस्तित्व भी धरती पर नहीं था। आइए जानते हैं इस बारे में।
फर्मेंटेड फ्रूट्स से हुई शुरुआत
लगभग 5 करोड़ साल पहले, जब इंसान का नामोनिशान भी नहीं था, हमारे प्राइमेट पूर्वज जंगलों में पके हुए फलों की तलाश करते थे। ये फल अक्सर जमीन पर गिरकर खुद-ब-खुद फर्मेंट हो जाते और उनमें हल्की मात्रा में इथेनॉल यानी अल्कोहल बन जाती थी।
जिन प्राइमेट्स को इस अल्कोहल की गंध पहचानने की क्षमता थी, उन्हें फायदा मिलता, क्योंकि ऐसे फलों में ज्यादा शुगर और ज्यादा कैलोरी होती थीं। यानी ये फल एनर्जी का शानदार सोर्स थे।
हमारे DNA में छुपा है ‘अल्कोहल मेटाबोलिज्म’ का राज
साइंटिस्ट्स के मुताबिक सभी प्राइमेट्स अल्कोहल को मेटाबोलाइज कर सकते हैं, लेकिन करीब 1 करोड़ साल पहले अफ्रीकी एप्स (जिनसे बाद में इंसान, गोरिल्ला और चिम्पैंजी विकसित हुए) में एक खास एंजाइम म्युटेशन हुआ।
इस म्युटेशन की वजह से ये एप्स बाकी प्राइमेट्स की तुलना में 40 गुना बेहतर तरीके से अल्कोहल को पचा पाते थे। यही वह इवॉल्यूशनरी एडवांस्मेंट थी, जिसने अल्कोहल वाली चीजों को हमारे लिए और भी फायदेमंद बना दिया।
इंसानों ने खुद बनानी शुरू कर दी शराब
करीब 10,000 साल पहले, कृषि की शुरुआत के साथ इंसानों ने शराब बनाना शुरू किया। इससे पहले शराब प्राकृतिक रूप से फर्मेंट हुए फलों से ही मिलती थी। लेकिन खेती की शुरुआत के साथ यह बदल गया। कुछ वैज्ञानिक तो यह तक कहते हैं कि हमने पहली बार अनाज की खेती रोटी के लिए नहीं, बीयर के लिए की थी। यानी हमारा दिमाग पहले से ही अल्कोहल की ओर आकर्षित था और अब हमें इसे बनाने की पूरी छूट मिल गई।
‘Drunken Monkey Hypothesis’- वैज्ञानिकों का दिलचस्प सिद्धांत
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कली के वैज्ञानिक रॉबर्ट डडली ने Drunken Monkey Hypothesis दिया। यह हाइपोथेसिस काफी दिलचस्प है। इसके अनुसार हमारी अल्कोहल पसंद असल में एक तरह की इवॉल्यूशनरी विरासत है, जो आज की दुनिया में यानी ओवरकंजम्पशन से जुड़ी बीमारियों की वजह बनती है।
आज के चिम्पैंजी भी खाते हैं ‘हल्का-फुल्का नशे वाला’ फल
अफ्रीका में चिम्पैंजियों का व्यवहार देखकर वैज्ञानिकों ने पाया कि वे भी अक्सर पके हुए, हल्के फर्मेंट हुए फलों को ज्यादा पसंद करते हैं। एक रिसर्च के अनुसार, चिम्पैंजी रोजाना अपने वजन के एक बड़े हिस्से जितना फल खाते हैं, जिनमें स्वाभाविक रूप से थोड़ी मात्रा में अल्कोहल मौजूद होती है, जो लगभग डेढ़ ड्रिंक के बराबर होती है।
हालांकि, वे इंसानों की तरह नशे में नहीं दिखते, लेकिन खाने का यह पैटर्न बताता है कि उन्हें भी अल्कोहल वाली गंध और स्वाद पसंद है।
सोशल कनेक्शन भी मजबूत होते हैं
दिलचस्प बात यह है कि कुछ जगहों पर चिम्पैंजी ये फर्मेंट हुए फल आपस में शेयर भी करते हैं, जैसे हम पार्टी में ड्रिंक्स शेयर करते हैं। इससे उनके सामाजिक रिश्ते मजबूत होते हैं। साथ ही, ग्रुप में थोड़ी ‘ऊर्जा’ और ‘बहादुरी’ भी बढ़ जाती है, जो कई बार लड़ाई करने जैसे व्यवहार तक पहुंच सकती है। इंसानों के साथ भी ऐसा ही होता है। कुछ लोग ज्यादा अल्कोहल कंज्मप्शन के बाद बाउंड्री क्रॉस करना या अग्रेसिव बरताव करने लगते हैं।
तो इंसानों को शराब क्यों पसंद है?
इसका जवाब बेहद सिंपल है, क्योंकि लाखों सालों में हमारा दिमाग और शरीर अल्कोहल को पहचानने, पसंद करने और पचाने के लिए विकसित हुआ है। आज शराब भले ही सुपरमार्केट में आसानी से मिल जाती हो, लेकिन इसकी जड़ें हमारे उन प्राइमेट पूर्वजों से जुड़ी हैं, जो जंगल में गिरा हुआ पका फल ढूंढने में एक्सपर्ट थे। यूं समझ लीजिए कि शराब की पसंद मॉडर्न चलन नहीं, बल्कि एक बहुत पुरानी इवॉल्यूशनरी कहानी है।

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