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    Hindi Diwas 2025: हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है या राजभाषा? संविधान में इसे कौन-सा दर्जा मिला है?

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 04:19 PM (IST)

    हर साल 14 सितंबर को पुरे देश में हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2025) मनाया जाता है। इस दिन हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। हिंदी भाषा से जुड़ा एक विवाद अक्सर सुनने को मिल जाता है कि यह हमारी राष्ट्रभाषा है या राजभाषा (Hindi Official Language)। आइए जानें इस बारे में।

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    क्या हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान में हिंदी का स्थान बेहद अहम है। यह देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने के काम करती है। इस भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2025) मनाया जाता है।

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    हालांकि, हिंदी से जुड़ा एक विवाद (Hindi Diwas Debate) अक्सर सुनने को मिल जाता है कि हिंदी हमारी राजभाषा (Hindi Official Language) है या राष्ट्रभाषा। कई लोगों के मन में यह कन्फ्यूजन रहती है। यह अंतर समझना भारत की भाषाई विविधता और संवैधानिक व्यवस्था को समझने के लिए बेहद जरूरी है। आइए जानें हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला है या राष्ट्रभाषा का।

    राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर क्या है?

    सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर क्या है। राष्ट्रभाषा किसी भी राष्ट्र की सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक एकता का प्रतीक होती है। यह जनता द्वारा स्वाभाविक रूप से अपनाई गई और राष्ट्रीय पहचान से जुड़ी भाषा होती है। भारत के संविधान में किसी भी भाषा को 'राष्ट्रभाषा' का दर्जा नहीं दिया गया है।

    वहीं राजभाषा वह भाषा है जिसका इस्तेमाल सरकारी कामों, प्रशासन, न्यायपालिका और संसद के कामकाज के लिए किया जाता है। यह एक आधिकारिक भाषा है। भारत ने संविधान के जरिए हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया है।

    हिंदी को कब और कैसे मिला राजभाषा का दर्जा?

    हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर, 1949 को मिला था। यह फैसला भारत की संविधान सभा में हुई एक लंबी बहस के बाद लिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ही हिंदी को भाषा के रूप में काफी प्रोत्साहित किया जाने लगा था। महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने इसे जनता की भाषा मानते हुए इसके प्रसार पर जोर दिया। स्वतंत्रता मिलने के बाद संविधान सभा में भाषा को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस दौरान दक्षिण भारत के कुछ प्रतिनिधियों ने चिंता जताई कि हिंदी का वर्चस्व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं, खासतौर से तमिल, तेलुगु, कन्नड़ आदि के लिए खतरा बन सकता है।

    इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए एक फैसला लिया गया और संविधान के अनुच्छेद 343(1) के तहत हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। साथ ही, यह भी प्रावधान किया गया कि अगले 15 सालों तक अंग्रेजी का इस्तेमाल सभी कामों के लिए जारी रहेगा। इस तरह, 26 जनवरी, 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ, तब से हिंदी आधिकारिक रूप से भारत गणराज्य की राजभाषा बन गई।

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