हर्शी की कहानी: पढ़ाई छोड़ी, कई बार हुए फेल, फिर भी बना दिया दुनिया का सबसे मशहूर चॉकलेट ब्रांड
क्या आप जानते हैं कि जिस मशहूर चॉकलेट को आप बड़े चाव से खाते हैं उसके पीछे एक ऐसे शख्स की कहानी है जिसने अपने कर्मचारियों के लिए पूरा शहर ही बसा दिया था? जी हां हम बात कर रहे हैं हर्शीज चॉकलेट के जनक मिल्टन स्नेवली हर्शी की जिनका जन्म 13 सितंबर 1857 को अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में हुआ था।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। चॉकलेट का नाम सुनते ही सबसे पहले दिमाग में हर्शी (Hershey) की याद आती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी के संस्थापक मिल्टन हर्शी की जिंदगी शुरुआत में कितनी संघर्षपूर्ण रही थी? उनका जीवन सिर्फ एक कारोबारी सफलता की दास्तान नहीं है, बल्कि एक ऐसा सफर है जिसमें मेहनत, धैर्य और कर्मचारियों के प्रति सच्ची संवेदना झलकती है।
पढ़ाई छोड़कर सीखी जिंदगी की असली पाठशाला
13 सितंबर 1857 को अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में जन्मे मिल्टन स्नेवली हर्शी का बचपन आसान नहीं था। पढ़ाई में मन न लगने की वजह से उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा, लेकिन यही कठिनाई उनके लिए वरदान बन गई। कम उम्र में ही उन्होंने मिठाइयां और चॉकलेट बनाने की कला सीख ली और इसी हुनर ने आगे चलकर उन्हें दुनिया का 'चॉकलेट किंग' बना दिया।
असफलताओं से मिली सफलता की राह
मिल्टन ने अपने शुरुआती करियर में कई बार असफलताओं का सामना किया। उनकी पहली दुकान बंद हो गई और उन पर कर्ज भी चढ़ गया, लेकिन हिम्मत न हारते हुए उन्होंने 1894 में हर्शीज चॉकलेट कंपनी की नींव रखी। यही कंपनी आज पूरी दुनिया में चॉकलेट प्रेमियों की पहली पसंद बन चुकी है।
कर्मचारियों के लिए बनाया एक पूरा शहर
मिल्टन हर्शी केवल एक सफल व्यवसायी ही नहीं, बल्कि दूरदर्शी और संवेदनशील इंसान भी थे। उन्होंने अपने कर्मचारियों की सुविधा और बेहतर जीवन के लिए पेन्सिलवेनिया में एक पूरा टाउन बसाया, जिसका नाम रखा गया "हर्शी"। इस शहर में स्कूल, अस्पताल, पार्क और मनोरंजन की सारी सुविधाएं मौजूद थीं। यह अपने आप में एक अनोखा प्रयोग था, जिसने उन्हें कर्मचारियों के लिए मिसाल बना दिया।
कैंडी शॉप से शुरू हुआ सफर
1877 में उन्होंने उधार लेकर एक कैंडी शॉप खोली। दिन-रात मेहनत कर वे दुकान पर ही सो जाते थे। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए वे सड़कों पर ताजी कैंडी की खुशबू फैलाते थे। उनकी लगन और रचनात्मकता ने धीरे-धीरे लोगों का दिल जीत लिया।
टाइटैनिक से बची जान
साल 1912 में मिल्टन और उनकी पत्नी यूरोप यात्रा पर थे। वापसी के लिए उन्होंने टाइटैनिक जहाज की टिकट बुक की थी, लेकिन पत्नी की तबीयत बिगड़ने के कारण उन्होंने यात्रा रद्द कर दी। यही फैसला उनकी जान बचाने वाला साबित हुआ, क्योंकि टाइटैनिक अपने पहले सफर में ही समुद्र में डूब गया था।
हर्शी की विरासत
मिल्टन हर्शी ने न सिर्फ एक मशहूर चॉकलेट ब्रांड खड़ा किया, बल्कि अपने कर्मचारियों और समाज के लिए भी योगदान दिया। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि असफलताएं सिर्फ हमें मजबूत बनाती हैं और सही मायनों में सफलता वही है, जो दूसरों की जिंदगी भी बेहतर बनाए।
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