Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पुणे में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) के 22 संदिग्ध मामले दर्ज, जानिए क्या है यह बीमारी और इसका बचाव

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 10:57 AM (IST)

    सिंड्रोम उन नसों को प्रभावित कर सकता है जो मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करती हैं और साथ ही उन नसों को भी प्रभावित कर सकती हैं जो दर्द तापमान और स्पर्श संवेदनाओं को संचारित करती हैं। वहीं इसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी पैरों और/या बांहों में संवेदना की हानि और निगलने या सांस लेने में समस्याएं हो सकती हैं।

    Hero Image
    GBS प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। (Pic Courtesy : Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पुणे में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) के 22 संदिग्ध मामले दर्ज किए गए हैं। यह एक दुर्लभ और गंभीर तंत्रिका संबंधी बीमारी है जो आमतौर पर एक संक्रमण के बाद विकसित होती है।

    बता दें कि पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित मरीजों से एकत्र किए गए नमूनों को परीक्षण के लिए आईसीएमआर-एनआईवी भेज दिया है। ऑफिशियल्स के अनुसार इनमें से अधिकतर मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके में पाए गए हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) क्या है?

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है। यह संभावित रूप से जीवन के लिए खतरा है लेकिन अधिकांश लोग गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के सबसे गंभीर मामलों से भी पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

    यह भी पढ़ें : अमेरिका में तेजी से फैल रहा है Bird Flu, जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे करें बचाव?

    दुर्लभ मामलों में इसके परिणामस्वरूप लगभग पूर्ण पक्षाघात और सांस लेने में समस्या हो सकती है। गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। यह बीमारी आमतौर पर एक संक्रमण के बाद विकसित होती है, जैसे कि कैंपिलोबैक्टर जेजुनी या मायकोप्लाज्मा न्यूमोनिया।

    क्या हैं जीबीएस के लक्षण

    जीबीएस के लक्षण आमतौर पर 2-4 सप्ताह के भीतर विकसित होते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:

    1. पैरों और हाथों में कमजोरी और सुन्नता

    2. चलने में कठिनाई

    3. संतुलन और समन्वय की समस्या

    4. आंखों की समस्याएं

    5. सांस लेने में कठिनाई

    क्या है जीबीएस का उपचार

    जीबीएस का निदान आमतौर पर लक्षणों के आधार पर किया जाता है, और इसकी पुष्टि करने के लिए न्यूरोफिजियोलॉजिकल परीक्षण और स्पाइनल टैप किया जा सकता है। जीबीएस का उपचार आमतौर पर प्लाज्मा एक्सचेंज या इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) के साथ किया जाता है। इसके अलावा, फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी भी लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है।

    जीबीएस की रोकथाम

    जीबीएस की रोकथाम के लिए कोई विशिष्ट तरीका नहीं है, लेकिन संक्रमणों से बचाव और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से जोखिम को कम किया जा सकता है।

    यह भी पढ़ें : दो महीने रोज सुबह खाली पेट पिएं 6 Healthy Shots, Weight Loss हो जाएगा आसान