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    शरीर से Uric Acid को बाहर निकाल फेकेंगे ये 'जादुई' योगासन! दर्द से मिलेगी राहत और सेहत बनेगी शानदार

    Updated: Fri, 06 Jun 2025 06:53 PM (IST)

    यूरिक एसिड के बढ़ने से जोड़ों में दर्द और सूजन हो सकती है लेकिन योगासनों से इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। इस तरह इन योगासनों का नियमित अभ्यास यूरिक एसिड कम करने में मदद करता है। आइए जानते हैं कौन-से हैं ये योगासनों और क्या है इन्हें करने का तरीका।

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    यूरिक एसिड को कम करने के लिए 5 योगासन (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में दर्द, सूजन और गठिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसे संतुलित आहार और नियमित योग से कंट्रोल किया जा सकता है। कुछ विशेष योगासन शरीर से टॉक्सिन्स निकालने, किडनी की कार्यक्षमता सुधारने और जोड़ों को लचीला बनाए रखने में मदद करते हैं। तो आइए जानते हैं कुछ आसान योगासन और इन्हें करने के सही तरीकों के बारे में-

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    वज्रासन

    वज्रासन, एकमात्र योगासन है जिसे भोजन के बाद किया जा सकता है, क्योंकि ये पाचन सुधारता है और यूरिक एसिड के निर्माण को रोकता है। इसे करने के लिए घुटनों को मोड़कर एड़ियों पर बैठें, रीढ़ को सीधा रखें और हाथ घुटनों पर रखें। गहरी सांस लें और कम से कम 5-10 मिनट तक इस मुद्रा में रहें। इसका नियमित अभ्यास डाइजेशन को सुधारता है और यूरिक एसिड को बढ़ने से रोकता है।

    बालासन

    बालासन योगासन शरीर को रिलैक्स महसूस कराता है और जोड़ों की जकड़न कम करता है। इसे करने के लिए घुटनों के बल बैठें और धीरे-धीरे आगे झुकते हुए माथे को जमीन पर टिकाएं। बाजुओं को आगे की ओर फैलाएं और गहरी सांस लें। इस मुद्रा में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें। इसका नियमित अभ्यास यूरिक एसिड को कम करने में सहायक होता है।

    भुजंगासन

    ये आसन किडनी को सक्रिय करता है, जिससे शरीर से यूरिक एसिड बाहर निकलने में मदद मिलती है। इसे करने के लिए पेट के बल लेटें, दोनों हथेलियों को कंधों के पास रखें और धीरे-धीरे सिर व छाती को ऊपर उठाएं। इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।

    अर्ध मत्स्येन्द्रासन

    ये योगासन लीवर और किडनी को डिटॉक्स करने में मदद करता है, जिससे शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। इसे करने के लिए दाएं पैर को मोड़कर बाईं जांघ के पास रखें और बायां हाथ दाएं घुटने पर रखें। शरीर को दाईं ओर मोड़ें और 20-30 सेकंड तक इसी स्थिति में रहें। फिर दूसरी दिशा में दोहराएं।

    सेतुबंधासन

    सेतुबंधासन ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाकर जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करता है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और पैरों को जमीन पर रखें। हाथों को शरीर के पास रखते हुए धीरे-धीरे कमर को ऊपर उठाएं। इस मुद्रा में 20-30 सेकंड तक रुकें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।

    पवनमुक्तासन

    पवनमुक्तासन पाचन को सुधारता है और शरीर से गैस और विषैले पदार्थ निकालकर यूरिक एसिड को नियंत्रित करता है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और उन्हें छाती से सटाएं। हाथों से घुटनों को पकड़ें और सिर को ऊपर उठाएं। इस मुद्रा को 30 सेकंड तक बनाए रखें।

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