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    खबरदार! सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं है Osteoporosis, जवानी से ही करेंगे बचाव; तो चैन से कटेगा बुढ़ापा

    Updated: Mon, 14 Oct 2024 07:39 PM (IST)

    ओस्टियोपोरोसिस सिर्फ बढ़ती उम्र में होने वाली समस्या नहीं है। इससे बचाव के लिए कम उम्र से ही लाइफस्टाइल में जरूरी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऐसे में विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (World Osteoporosis Day 2024) के मौके पर जागरण की सीमा झा ने मैक्स अस्पताल के हड्डी रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एल. तोमर से खास बातचीत की है। आइए जानें।

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    Osteoporosis से बचाव के लिए जवानी से ही रखना पड़ेगा हड्डियों का ख्याल (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Osteoporosis Day 2024: कभी घुटने में दर्द, तो कभी पीठ या कमर में दर्द हो, सामान्य जीवन भी पहाड़ जैसा लगने लगता है। दर्द निवारक दवाएं लेकर टालते रहने से समस्या विकराल होती जाएगी, ऐसी दशा में तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। नहीं तो, यही दर्द एक दिन अचानक असहनीय हो जाएगा।

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    दरअसल, लंबे समय तक बैठे रहने, खानपान में सजगता नहीं होने के कारण ओस्टोरियोपारोसिस (bone disease) का जोखिम रहता है। छोटी उम्र में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते, 40-50 वर्ष की उम्र तक यह आपको चंगुल में फंसा सकता है। बुजुर्गों के अचानक गिर पड़ने या साधारण-सी चोट से कमर, कूल्हे या कलाई की हड्डियां टूट जाने की घटनाएं आस्टियोपोरोसिस के कारण अक्सर देखी जाती हैं।

    क्या है आस्टियोपोरोसिस?

    डॉ. एल. तोमर ने बताया कि आस्टियोपोरोसिस वह अवस्था होती है जब बोन मास डेंसिटी यानी बीएमडी में कमी आती है, बीएमडी यानी हड्डियों में मौजूद खनिज की मात्रा का कम होना। इससे हड्डियों के टूटने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। बता दें कि बीएमडी में कमी से पहले वाली अवस्था को 'ऑस्टियोपेनिया' कहते है। समय पर इसका उपचार न हुआ तो ओस्टियोपोरोसिस का जोखिम और बढ़ जाता है।

    ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव: जवानी से ही करें शुरुआत

    चूंकि आस्टियोपोरोसिस को आमतौर पर बुजुर्गों की समस्या मान लिया जाता रहा है इसलिए समय पूर्व सजगता नहीं देखी जाती। सजगता यानी आप वयस्क होने से तक कितने सक्रिय रहते हैं और खानपान कैसा है, विटामिन डी, कैल्शियम व प्रोटीन को उचित मात्रा में लेते हैं या नहीं। दरअसल, इससे पीक बोन मास को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है। पीक बोन मास वह अवस्था है जब हड्डियों का घनत्व सबसे अधिक होता है। बीस से तीस साल की उम्र तक यह उच्चतम रहता है उसके बाद उसमें ह्रास होना शुरू हो जाता है। यदि वयस्क की उम्र में यह अच्छा है तो इसकी प्रबल संभावना है कि आप आगे जाकर आस्टियोपोरोसिस से बचे रह सकते हैं। पर इसके उलट की इस कठिनाई की आशंका बनी रहेगी।

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    इन बातों का रखें ध्यान

    • हमारे देश में 70 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी के शिकार हैं। विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है। इसकी कमी शरीर को कैल्शियम से भी दूर कर सकती है।
    • शरीर में कैल्शियम का अवशोषण 30 प्रतिशत तक होता है। यदि विटामिन डी की कमी रहे तो यह और भी कम हो सकता है।
    • अगर शरीर के निचले हिस्से में अक्सर दर्द रहता हैतो इसका एक कारण ओस्टोपोरोसिस भी हो सकता है।
    • नाखून का बदरंग होना या भुरभुराकर टूटते रहते हैं तो संभव है आप आस्टियोपोरोसिस के चपेट में आ रहे हों।
    • महिलाओं में मेनोपोज के बाद हड्डियों का ह्रास तीन से पांच प्रतिशत तक हर वर्ष होता है। यदि हार्मोन असंतुलन हो जाए तो यह 15 प्रतिशत तक भी हो सकता है।
    • कैल्शियम ही एकमात्र ऐसा खनिज नहीं है जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। मैग्नीशियम और जिंक सहित कई अन्य खनिज भी इसमें भूमिका निभाते हैं।

    फिजिकली एक्टिव रहें

    अगर आप अच्छा खानपान रखते हैं। भोजन में उचित मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन आदि मौजूद रहता है। पूरक आहार का भी सेवन कर रहे हैँ पर आपकी दिनचर्या में शारीरिक सक्रियता का अभाव है तो इससे आपकी समस्या कम होने के बजाय बढ़ सकती है। आपको चलने में परेशानी हो रही हो, दर्द बना रहता है इसके बाद भी आपको टहलना, सक्रिय बने रहना चाहिए।

    ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा किसे रहता है?

    • फिजिकली एक्टिव न होना
    • कैल्शियम और विटामिन डी की कमी वाले लोग
    • धूम्रपान करने वाले
    • अधिक शराब पीने वाले
    • रुमेटाइड आर्थराइटिस के रोगी
    • स्टेरॉयड दवाएं लेने वाले

    ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए खानपान

    दूध और डेरी उत्पाद

    दूध, दही, छाछ और पनीर कैल्शियम के बेहतरीन स्रोत हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

    हरी पत्तेदार सब्जियां

    ब्रोकली, पालक और शलगम जैसी हरी सब्जियां कैल्शियम से भरपूर होती हैं और हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं।

    फलियां

    दालें और बीन्स कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं। ये न केवल हड्डियों को मजबूत बनाते हैं बल्कि शरीर को अन्य आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं। हालांकि, फाइलेट्स नामक तत्व कैल्शियम के अवशोषण में बाधा डाल सकते हैं।

    फल

    नींबू और संतरे जैसे खट्टे फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    ड्राई फ्रूट्स और बीज

    अखरोट, बादाम और सूरजमुखी के बीज कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक से भरपूर होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

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