World Music Day: शारीरिक एवं मानसिक रोगों को दूर करता है संगीत, जानें इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
World Music Day 2020 लॉकडाउन के इस दौर में हर कोई परेशान है। कारण अलग हैं लेकिन तनाव व चिंता सभी के दिल-दिमाग में है। इससे बचने के लिए आसान उपाय है म्यूजिक थेरेपी।
आज कोविड-19 जैसी सर्वव्यापी महामारी की वजह से लंबे समय से घरों में बंद रहने के चलते कहीं न कहीं हर कोई तनाव में है। इस युद्ध में हमारी मदद कर सकती है हमारी मानसिक क्षमता। जिसे मजबूत करने में मदद करता है संगीत। इसे म्यूजिक थेरेपी भी कहते हैं। तो आज वर्ल्ड म्यूजिक डे पर हम संगीत से जुड़े कुछ दिलचस्प पहलुओं के बारे में जानेंगे। भारतीय संगीत विश्व का सर्वाधिक सशक्त व पुरातन संगीत माना जाता है। माना जाता है कि संगीत की उत्पत्ति सामवेद से हुई है। यही नहीं किसी तकलीफ के इलाज में काम आने वाली म्यूजिक थेरेपी में भारतीय शास्त्रीय संगीत ने बार-बार अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। संगीत के विभिन्न रागों से मनुष्य के मानसिक तनाव तथा शारीरिक समस्याओं को नियंत्रित व दूर किया जा सकता है। अलग-अलग समय व मौसम के हिसाब से गाए जाने वाले राग शारीरिक एवं मानसिक रोगों को दूर करने में बेहद सहायक होते हैं।
संगीत की तीन विधाएं- गायन, वादन व नृत्य हमारे मन-मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करके नई चेतना का संचार करती हैं।संगीत मनुष्य में प्रेम, दया, नैतिक अनुशासन व सौहार्द की भावना का विकास करता है। संगीत मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करने का अनुपम माध्यम है। 'सत्यम् शिवम् सुंदरम्' के भाव से भरा संगीत मानव लहरी मन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है। संगीत में मन को एकाग्र करने की अलौकिक शक्ति निहित होती है। यह हमारे मन को स्वस्थ रखता है और जब मन स्वस्थ तो अनेक बीमारियों पर स्वत: नियंत्रण हो जाता है। संगीत में भावनाओं को जागृत करने और ऊर्जा देने का ही नहीं वरन उन्हें परिष्कृत कर संतुलन साधने की भी प्रभावशाली क्षमता होती है। दरअसल, संगीत का प्रभाव मस्तिष्क की उन मांसपेशियों पर बहुत अनुकूल पड़ता है, जिनमें भावनाएं भरी होती है। संगीत का प्रत्यक्ष संबंध मानव की मानसिक अनुभूति से होता है। व्यक्ति अगर तनाव या मानसिक थकान में कर्णप्रिय संगीत सुने तो उसे तुरंत ही परम शांति व आराम मिलता है। इसी संदर्भ में पायथागोरस का कथन है कि 'संगीत में मन के जख्म को भरने की अद्भुत शक्ति होती है।' वास्तव में मानसिक रोगों एवं अस्वस्थ व्यक्तित्व के निदान में संगीत एक महत्वपूर्ण औषधि है जो तन-मन को झंकृत कर उसमें उत्साह, आशा, सकारात्मकता एवं स्फूर्ति की नूतन धाराएं संचरित करता है। आज मानसिक चिकित्सा में संगीत की उपयोगिता बढ़ रही है। म्यूजिक थेरेपी द्वारा उपचार किया जा रहा है।
अलग-अलग राग से रोग का इलाज
वागेश्री राग से अनिद्रा व भीमपलासी राग से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है। सिरदर्द के लिए दरबारी, कान्हड़ा, जैजैवंती व सोहनी राग से अधिक लाभ मिलता है। राग भैरवी श्वास रोग को दूर करती है। राग देश, हंसमंजरी, नीजांबरी, श्रीकाम्दोजी आदि क्रोध एवं आंतरिक कुंठाओं को दूर करते हैं। आशावरी राग से आत्मविश्वास बढ़ाता है। नियमित संगीत सुनने से शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र सशक्त होता है। वैज्ञानिकों ने भी मानसिक रोगियों में संगीत के प्रभाव व परिणाम को उत्साहवर्द्धक बताया है। राग वृंदावन सारंग से अवसाद (दुख) को बड़ी सीमा तक कम किया जा सकता है। राग अहीर भैरव भी उच्च तनाव को कम करता है। हर राग का अपना गुण होता है जो हमारी भावनाओं पर असर डालता है, यही वजह है कि अलग-अलग रागों को दिन के अलग-अलग पहर में गाया जाता है।
मानसिक सुकून भी पहुंचाता है संगीत
सिर्फ शास्त्र ही नहीं विज्ञान भी संगीत की इस क्षमता को मानती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), कानपुर में शास्त्रीय संगीत की विभिन्न राग-रागनियों पर शोध जारी है। शोध के अनुसार दस मिनट राग दरबारी सुनने से दिमाग के न्यूरॉन्स तेजी से सक्रिय होते हैं और इससे सोचने-समझने की क्षमता बेहतर होती है। शोध में सामने आया कि राग सुनने के दौरान महज 100 सेकेंड में न्यूरॉन्स की सक्रियता चरम पर पहुंच जाती है जिससे दिमाग तेजी से निर्णय लेने लगता है। म्यूजिकोलॉजिस्ट भी इसे कारगर मानते हैं।
वाद्ययंत्रों का प्रभाव
गायन के अतिरिक्त वाद्ययंत्रों के माध्यम से भी तनाव को काफी हद तक दूर कर सकते हैं। संगीत की मदद से मनुष्य तनावमुक्त होकर संतुलित व्यवहार के लिए प्रेरित होता है। अत: लॉकडाउन के इस दौर में हम संगीत के माध्यम से खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। ये सभी राग व इनके लाभ के बारे में ढेरों जानकारियां इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। इन रागों को सुनकर आप भी लॉकडाउन के दौरान हो रहे तनाव को दूर कर संयमित व चिंता से दूर रह सकते हैं।
संजय कुमार स्वर्णकार
(लेखक छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के डीन-एकेडमिक अफेयर्स व प्रख्यात संगीत मर्मज्ञ हैं)
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