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    45 के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा, Dr. ने बताया कैसे बचें

    मेनोपॉज एक नेचुरल प्रक्रिया है जो महिलाओं में 45-55 साल की उम्र के बीच होता है। इसके बारे में लोगों को और जागरूक बनाने के लिए हर साल World Menopause Day मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेनोपॉज के कारण महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ जाता है। आइए जानें इसके पीछे क्या कारण है और इससे बचाव (Osteoporosis Prevention) कैसे करें।

    By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Fri, 18 Oct 2024 11:14 AM (IST)
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    मेनोपॉज के बाद आसानी से टूट सकती हैं हड्डियां (Picture Courtesy: AI Generated/ Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 18 अक्टूबर को वर्ल्ड मेनोपॉज डे (World Menopause Day 2024) मनाया जाता है। इस दिन मेनोपॉज के बारे में लोगों को जागरूक और जानकार बनाने की कोशिश की जाती है। इस साल वर्ल्ड मेनोपॉज डे की थीम है- “Menopause Hormone Therapy”, जिसे हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी कहा जाता है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिनपर ध्यान न दिया जाए, तो दूसरी परेशानियां भी हो सकती हैं। आज हम यहां इसी से जुड़े एक पहलू पर बात करने वाले हैं कि क्यों मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) का जोखिम बढ़ जाता है।

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    मेनोपॉज क्या है?

    मेनोपॉज (Menopause) एक नेचुरल बायोलॉजिकल प्रक्रिया है, जिसमें एक महिला के मेंसुरल साइकिल पूरी तरह से रुक जाते हैं। यह आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है। मेनोपॉज के दौरान, एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, जो महिलाओं के शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाता है।

    यह भी पढ़ें: Menopause के लक्षणों को कम करने में मदद करेंगे ये फूड्स, महिलाएं जरूर बनाएं इन्हें अपनी डाइट का हिस्सा

    क्यों बढ़ जाता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा?

    डॉ. हेमंत शर्मा (मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम के ऑर्थोपेडिक और जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के चेयरमैन) ने बताया कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम हार्मोनल कारणों से होता है। ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इसके कारण हड्डियां आसानी से टूट सकती हैं (Osteoporosis Symptoms)। अगर वक्त पर इसका इलाज न किया जाए, तो कई बार हल्के से झटके या छींकने से भी हड्डी टूट सकती है।

    मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजेन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। आपको बता दें कि एस्ट्रोजेन हार्मोन, कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाकर हड्डियों को मजबूत बनाता है और बोन लॉस से बचाता है। लेकिन जब ये हार्मोन कम होने लगता है, तो हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इसके अलावा, महिलाओं की हड्डियां पुरुषों की तुलना में छोटी और पतली होती हैं, जिसकी वजह से भी ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, 30 की उम्र के बाद महिलाओं की बोन डेंसिटी कम होने लगती है, जिसकी वजह से हड्डियां आसानी से टूटने लगती हैं।

    कैसे करें ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव? (Osteoporosis Prevention Tips)

    मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए जरूरी है कि महिलाएं कम उम्र से ही अपने खान-पान का ख्याल रखें। इसके लिए अपनी डाइट में कैल्शियम से भरपूर फूड्स, जैसे- डेयरी प्रोडक्ट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां और अन्य फॉर्टिफाइड फूड्स खाएं। इसके अलावा, विटामिन-डी का भी खास ख्याल रखें। विटामिन-डी कैल्शियम के अवशोषण के लिए जरूरी है।

    खान-पान के अलावा, एक्सरसाइज करना भी जरूरी है। इससे संतुलन और हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इसके लिए डांसिंग, वॉकिंग या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी एक्सरसाइज करें। साथ ही, शराब पीने और स्मोकिंग से भी बचें। इन आदतों के कारण भी बोन डेंसिटी कम होने लगती है।

    मेनोपॉज के बाद महिलाओं को नियमित रूप से अपनी बोन डेंसिटी की जांच भी करवाते रहना चाहिए। इससे बोन लॉस का जल्दी पता लग जाता है और डॉक्टर इससे बचाव में बेहतर मदद कर सकते हैं।

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