Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    World kidney Day 2023: जानें क्यों फेल होती हैं किडनी, कैसे बचा जा सकता है इस गंभीर बीमारी से?

    By Jagran NewsEdited By: Ruhee Parvez
    Updated: Mon, 06 Mar 2023 04:14 PM (IST)

    World kidney Day 2023 हर साल 9 मार्च को विश्व गुर्दा दिवस यानी वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य किडनी स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसके वैश्विक प्रसार को कम करना है। तो आइए जानें गुर्दे की बीमारी के बारे में सबकुछ।

    Hero Image
    World kidney Day 2023: सचेत रहने से गुर्दे रहेंगे स्वस्थ

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World kidney Day 2023: स्वास्थ्य बेहतर और जीवन खुशहाल तभी होगा, जब शरीर का प्रत्येक अंग बेहतर ढंग से काम करेगा। रक्त की सफाई और शरीर से अपशिष्ट को बाहर निकालने में गुर्दे की केंद्रीय भूमिका होती है। ऐसे में जरूरी है कि यह स्वस्थ रहे और इसकी कार्यप्रणाली दुरुस्त रहे। आइए जानते हैं गुर्दे से जुड़ी कुछ समस्याओं और उसे स्वस्थ रखने के जरूरी उपायों के बारे में...

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    किडनी से संबंधित बीमारियां गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इनमें से ज्यादातर बीमारियों का बचाव और उपचार संभव है, बशर्ते बीमारी का सही समय पर और सही ढंग से उपचार हो। किडनी यानी गुर्दे की बीमारी का समय रहते उचित इलाज नहीं हो पाने पर अंततः डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण के विकल्प को चुनना पड़ता है। यह कार्य काफी जटिल और महंगा भी होता है। यदि हम अपनी जीवनशैली और खानपान की आदतों में सुधार करना शुरू कर दें, तो इस समस्या को आने से पहले ही रोक सकते हैं।

    क्यों फेल होता है गुर्दा

    देश में गुर्दा फेल होने की समस्या लगातार बढ़ रही है। इसकी दो वजहें बिल्कुल स्पष्ट हैं- मधुमेह और रक्तचाप। देश में इन दोनों ही बीमारियों से ग्रस्त लोग बढ़ रहे हैं। हमारे देश में हर साल एक लाख से अधिक लोगों के गुर्दे फेल होते हैं, लेकिन मात्र 10 से 15 हजार लोगों का ही प्रत्यारोपण हो पाता है। बाकी लोगों को डायलिसिस या बिना डायलिसिस के जीवन गुजारना होता है। सही उपचार नहीं मिल पाने के कारण ऐसे बहुत से लोग जल्द ही मौत के शिकार हो जाते हैं।

    अन्य बीमारियों का भी खतरा

    अगर गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर रहे हैं और मरीज ट्रांसप्लांट कराने की स्थिति में है, तो सबसे बेहतर विकल्प रीनल ट्रांसप्लांट ही है। डायलिसिस पर आदमी ज्यादा लंबा नहीं चल पाता, बीमारी उसे जकड़ती जाती है। उसे हार्ट, टीबी, हेपेटाइटिस जैसी अन्य बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। गुर्दे की क्षमता अगर प्रभावित होती है, उसे नजरअंदाज न करें। तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक की निगरानी में उपचार शुरू कर दें।

    आवश्यक और उपयोगी बातें

    1. 40 साल की उम्र पार कर चुके हैं, तो समय-समय पर स्वास्थ्य की जांच जरूर कराएं।
    2. साल में कम से कम एक या दो बार ब्लड शुगर और ब्लडप्रेशर जरूर चेक कराएं।
    3. अगर रात में पेशाब के लिए बार-बार उठना पड़ रहा है, तो गुर्दा खराब होने का यह शुरुआती संकेत हो सकता है।
    4. पेशाब में झाग बन रहा है, तो उसकी जांच जरूरी है।
    5. गुर्दे का मुख्य काम खून बनाना है, अगर पर्याप्त खून नहीं बन पा रहा है या हीमोग्लोबिन कम है, तो सतर्क हो जाएं।
    6. भूख नहीं लग रही है, बार-बार उल्टी आ रही है। शरीर में सूजन और हाथों-पैरों में दर्द है, तो हो सकता है कि गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर रहे हैं।
    7. बीमारी के अन्य कारण

    गुर्दे की बीमारी का एक बड़ा कारण ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस भी होता है, जिसमें शरीर अपने गुर्दे से लड़ रहा होता है। इसमें गुर्दे फेल हो सकते हैं। कुछ लोग कमजोर किडनी के साथ ही पैदा होते हैं। किसी-किसी को पेशाब के रास्ते में जन्मजात समस्या होती है। पालीसिस्टिक किडनी यानी दोनों गुर्दे गुब्बारों से भरे हुए हैं। ऐसी दशा में किडनी के जल्द फेल होने की आशंका अधिक रहती है।

    कब डॉक्टर से करें संपर्क

    अगर किसी तरह की कोई तकलीफ महसूस हो रही है, तो एक बार किडनी फंक्शन टेस्ट, ब्लड यूरिया टेस्ट और यूरीन में प्रोटीन का टेस्ट कराना जरूरी होता है। अगर ये तीनों टेस्ट पाजिटिव आते हैं, तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करें। शुरुआत में अच्छे डाक्टर की देखभाल होने से किडनी को फेल होने से बचाया जा सकता है। अगर जांच में पता चल जाए कि गुर्दे प्रोटीन छोड़ रहे हैं, तो उसे नजरअंदाज न करें। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के साथ-साथ अनुशासित जीवनशैली अपनाएंगे, तो अगर गुर्दा अगले चार-पांच साल में फेल होने वाला होगा, तो वह 15 से 20 वर्ष तक चल सकता है।

    इन बातों का रखें विशेष ध्यान

    • मोटापा न होने दें।
    • नमक का कम सेवन करें।
    • कोई भी ऐसी देसी दवाई न लें, जिसके बारे में पता न हो।
    • पेन किलर, जैसे ब्रूफेन या फ्लेक्सान का अनावश्यक प्रयोग न करें।
    • एनएसएआइडी (नान स्टेरायडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स) से बचें। इससे गुर्दे बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं।
    • डायबिटीज और ब्लडप्रेशर नियंत्रित रखेंगे, तो हो सकता है कि किडनी ट्रांसप्लांट या डायलिसिस के बारे में सोचना ही न पड़े। इसके लिए जरूरी है कि हमारी जीवनशैली संतुलित और गुणवत्तापूर्ण हो।

    डॉ. संदीप गुलेरिया

    सीनियर कंसल्टेंट, नेफ्रोलाजी (किडनी ट्रांसप्लांट), इंद्रप्रस्थ अपोलो, नई दिल्ली

    बातचीत : ब्रह्मानंद मिश्र

    Picture Courtesy: Freepik