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    World Kidney Day 2023: किन्हें होती है किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत? क्या डोनर की हेल्थ पर भी पड़ता है असर...

    World Kidney Day 2023 किडनी फेलियर की वजह से ट्रांसप्लांट की जरूरत तेजी से बढ़ रही है। शरीर के इस अहम अंग के महत्व को उजागर करने के लिए हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है।

    By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Thu, 09 Mar 2023 11:51 AM (IST)
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    World Kidney Day 2023: किडनी डोनर के लिए ट्रांसप्लांट के बाद किस तरह के खतरे होते हैं?

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Kidney Day 2023: हमारी किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को छानती है और पेशाब के जरिए इसे शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी हमारे शरीर के सबसे अहम अंगों में से एक है, जो न सिर्फ इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित रखती हैं और हमें फिट व स्वस्थ बने रहने में मदद भी करती हैं। जब शरीर में मौजूद दोनों किडनी अपना यह काम करने में असमर्थ हो जाती हैं, तो व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।

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    किडनी ट्रांसप्लांट क्यों होता है?

    जिन लोगों की किडनी फेल हो जाती हैं, उन्हें आमतौर पर डायलसिस कर वाना पड़ता है, जो एक तरह का ट्रीटमेंट है। जब डायलसिस भी मरीज की मदद नहीं कर पाता, तब उसे ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। ट्रांसप्लांट में मरीज की एक या दोनों किडनी को निकाल कर डोनर से मिली किडनी को लगाया जाता है।

    किडनी ट्रांसप्लांट में क्या होता है?

    ट्रांसप्लांट की वजह से मरीज को डायलसिस या फिर दवाओं और यहां तक कि कई तरह की इन्फेक्शन के खतरें से बचने में मदद मिलती है। ट्रांसप्लांट के बाद व्यक्ति बेहतर जिंदगी जी पाता है, हालांकि यह जरूरी नहीं कि ट्रांसप्लांट सभी को सूट करे। इनमें आमतौर पर वे लोग आते हैं, जो संक्रमण से जूझ रहे होते हैं या जिनका वजन जरूरत से ज्यादा होता है।

    ट्रांसप्लांट के प्रोसीजर के बाद कई लोग ब्लीडिंग, इन्फेक्शन और दर्द से जूझते हैं, लेकिन यह समस्याएं आसानी से मैनेज की जा सकती हैं। 5 फीसदी रोगियों में अस्वीकृति का जोखिम भी होता है ,जो ट्रांसप्लांट के बाद पहले छह महीनों में ज्यादा होता है। ज्यादातर मामलों में दवाओं से इसे मैनेज कर लिया जाता है। वहीं, किडनी डोनेट करने वाले को ट्रांसप्लांट के बाद किसी तरह की दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती और वह स्वस्थ जिंदगी जी सकता है।

    किडनी ट्रांसप्लांट की मदद से क्रॉनिक किडनी की बीमारी या रीनल बीमारी की आखिरी स्टेज का इलाज करने में मदद मिलती है। इससे मरीज बेहतर महसूस करता है और लंबी उम्र जीता है। डायलसिस से तुलना की जाए तो किडनी ट्रांसप्लांट के ये फायदे हैं:

    • जिंदगी बेहतर होती है
    • मृत्यू का खतरा कम होता है
    • खाने-पीने को लेकर कम से कम प्रतिबंध होते हैं
    • इलाज का खर्चा भी कम हो जाता है

    डोनर के लिए ट्रांसप्लांट में किस तरह के खतरे होते हैं?

    जो लोग किडनी डोनेट करने की सोच रहे हैं, उन्हें भी इससे जुड़े कुछ जोखिमों और फायदों के बारे में जान लेना चाहिए। वैसे तो किसी भी तरह की सर्जरी एक बड़ा जोखिम होता ही है, जिसमें मेडिकल जोखिम से लेकर शरीर पर बड़ा निशान और कई तरह की दिक्कतें होती हैं।

    1. सर्जरी के बाद दर्द
    2. निमोनिया या टाकों की जगह पर संक्रमण
    3. ब्लड क्लॉट्स
    4. ऐनिस्थीशिया से रिएक्शन
    5. दोबारा सर्जरी की जरूरत पड़ना
    6. हर्निया
    7. अंतड़ियों में रुकावट
    8. मूत्रवाहिनी से रिसाव
    9. डोनेट की गई किडनी की अस्वीकृति
    10. डोनेट की गई किडनी का फेल हो जाना
    11. हार्ट अटैक
    12. मृत्यु
    13. जिंदगी भर कई तरह के जोखिम पैदा हो जाना

    हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें, तो डोनेट करने वाले लोगों में किडनी के फंक्शन में 20-30 प्रतिशत गिरावट आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक ही किडनी दोनों किडनी की काम करती है। इसके अलावा भी डोनर को इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है:

    • हाई ब्लड प्रेशर
    • मोटापा
    • क्रॉनिक दर्द
    • डायबिटीज

    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

    Picture Courtesy: Freepik