World IVF Day 2025: क्या है आईवीएफ? फर्टिलिटी एक्सपर्ट ने बताया Step-by-Step पूरा प्रोसेस
क्या आप जानते हैं कि हर साल 25 जुलाई को World IVF Day मनाया जाता है? यह दिन उन लाखों कपल्स के लिए उम्मीद की एक किरण लेकर आता है जो माता-पिता बनने का सपना देखते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि यह टेस्ट ट्यूब बेबी प्रोसीजर आखिर कैसे काम करता है? आइए फर्टिलिटी एक्सपर्ट से आईवीएफ के हर स्टेप को विस्तार से समझते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि माता-पिता बनने का सपना देखने वाले कपल्स के लिए 25 जुलाई का दिन कितना खास होता है? जी हां, इस दिन 'World IVF Day' मनाया जाता है, जो विज्ञान की उस अद्भुत देन को समर्पित है जिसने अनगिनत सूनी गोदें भर दी हैं।
जी हां, क्या आपने कभी सोचा है कि जिस 'टेस्ट ट्यूब बेबी' की बात हम सुनते हैं, वह आखिर लैब में कैसे तैयार होता है? आइए, डॉक्टर आभा मजूमदार (निदेशक, आईवीएफ सेंटर, आईवीएफ और मानव प्रजनन, सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली) से इस पूरी प्रक्रिया (IVF Step-by-Step Process) को स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं।
कौन-से कपल होते हैं IVF के लिए सूटेबल?
IVF की शुरुआत उन कपल्स की पहचान से होती है जिन्हें सामान्य तरीके से गर्भधारण में कठिनाई हो रही हो। जैसे:
- जिन महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक हो चुकी हों
- जिनमें बहुत गंभीर एंडोमेट्रियोसिस हो
- जिन पुरुषों में स्पर्म काउंट बहुत कम हो
- या फिर जब सब रिपोर्ट नॉर्मल होने के बावजूद गर्भधारण न हो रहा हो
- ऐसे कपल्स का जब चुनाव होता है, तो सबसे पहले उनका हेल्थ चेकअप किया जाता है।
सबसे पहले जरूरी है हेल्थ चेकअप
महिला और पुरुष - दोनों के शरीर के विभिन्न सिस्टम्स की जांच की जाती है, जैसे:
- किडनी और लिवर फंक्शनिंग
- ब्लड शुगर और थायरॉयड
- खून की बनावट
- मेटाबोलिक प्रोफाइल
अगर कोई असंतुलन मिलता है तो दवाइयों से पहले उसे बैलेंस किया जाता है। जब सेहत ठीक पाई जाती है, तभी IVF प्रक्रिया शुरू की जाती है।
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पीरियड्स के इस दिन से शुरू होता है प्रोसेस
महिला को उसके पीरियड्स के दूसरे या तीसरे दिन IVF सेंटर बुलाया जाता है। वहां कुछ जरूरी ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इसके बाद शुरू होती है हार्मोनल इंजेक्शन की प्रक्रिया।
ये इंजेक्शन रोजाना दिए जाते हैं और ये सामान्य इंसुलिन पेन की तरह होते हैं, जिन्हें महिला खुद भी अपने पेट या जांघों पर लगा सकती है।
10 दिन में तैयार होते हैं एग्स
इन इंजेक्शन्स का मकसद है Ovary में मौजूद फॉलिकल्स को मैच्योर बनाना। आमतौर पर 10 दिनों में ये फॉलिकल्स एग्स बनने के लिए तैयार हो जाते हैं। बीच में 6वें दिन पर एक बार फिर ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड होता है, जिससे यह तय किया जा सके कि इंजेक्शन की डोज को बढ़ाना या घटाना है।
ट्रिगर इंजेक्शन और फिर एग रिट्रीवल
जब एग्स पूरी तरह मैच्योर हो जाते हैं, तब एक "Trigger" इंजेक्शन दिया जाता है। इसके 36 घंटे बाद एग्स को निकाला जाता है, जिसे "Egg Retrieval" कहा जाता है।
यह प्रक्रिया बिना किसी कट या टांके के होती है। एक विशेष तरह की वेजाइनल अल्ट्रासाउंड प्रोब की मदद से, महिला की वजाइना के जरिए एग्स निकाले जाते हैं। इस दौरान महिला को हल्की नींद की दवा दी जाती है ताकि उसे किसी तरह की तकलीफ न हो।
अब IVF लैब में मिलते हैं एग्स और स्पर्म
निकाले गए एग्स सीधे Embryologist को सौंपे जाते हैं। वह इन्हें एक विशेष फ्लूड से अलग करता है और इन्क्यूबेटर में सुरक्षित रखता है। इसके बाद मेल पार्टनर से लिए गए वीर्य (Semen) का भी टेस्ट होता है।
अगर स्पर्म कमजोर हों तो ICSI (Intracytoplasmic Sperm Injection) तकनीक से एक-एक स्पर्म को सीधे एग्स में इंजेक्ट किया जाता है।
अगर स्पर्म नॉर्मल हों तो एग्स और स्पर्म को साथ रखकर उन्हें प्राकृतिक रूप से फर्टिलाइज होने दिया जाता है।
जन्म की पहली सीढ़ी: भ्रूण का निर्माण
अगले दिन यह देखा जाता है कि कितने एग्स भ्रूण (Embryo) में बदल गए हैं। भ्रूण मानव जीवन की पहली अवस्था होते हैं- यह लैब में बनने वाला वह जीवन है जो आगे जाकर शिशु बनता है।
ये भ्रूण 5 से 6 दिन तक IVF लैब में विकसित किए जाते हैं। इसके बाद उन्हें मां के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
एंब्रियो ट्रांसफर और जिंदगी की शुरुआत
आमतौर पर 5वें दिन एक भ्रूण को महिला के गर्भाशय में बहुत ही नाजुक तकनीक से शिफ्ट किया जाता है। यह एक पेनलेस प्रोसीजर होता है।
बाकी भ्रूणों को सुरक्षित रखने के लिए फ्रीज कर दिया जाता है ताकि भविष्य में भी उनका इस्तेमाल किया जा सके। कई IVF क्लीनिक एक ही समय में सिर्फ एक भ्रूण ट्रांसफर करते हैं ताकि गर्भधारण सुरक्षित और नियंत्रित रहे।
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