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    World Blood Donor Day 2024: क्यों जरूरी है रक्तदान और इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ध्यान?

    Updated: Wed, 12 Jun 2024 11:24 PM (IST)

    दुनिया भर में हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day 2024) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का एक बड़ा मकसद दूसरे लोगों को ब्लड डोनेशन के प्रति जागरूक करना भी है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस काम को करने के लिए आगे आएं। आइए डॉक्टर से जानते हैं कि आखिर क्यों जरूरी है रक्तदान।

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    World Blood Donor Day 2024: क्यों जरूरी है रक्तदान, डॉक्टर से बताई कुछ खास बातें (Image Source: Freepik)

    नई दिल्ली। World Blood Donor Day 2024: अक्सर कहा जाता है कि अगर खून देकर किसी की जान बच सकती है तो यह मानवता के लिए सबसे बड़ी सेवा होती है। इंसान के खून को लेकर अभी तक जितने भी शोध हुए हैं, उसमें इसका कोई विकल्प नहीं खोजा जा सका है। जरूरत पड़ने पर हमेशा इंसान को इंसान के ही खून की जरूरत होती है। कोई ट्रॉमा मरीज हो, सर्जिकल हो या फिर गंभीर एनीमिया ग्रस्त हो, उसे रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। जरूरत के हिसाब से मरीज को रक्त से जुड़े उत्पाद उपलब्ध कराए जाते हैं। ऐसे में, विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर जागरण के ब्रह्मानंद मिश्र ने डॉ. मोनिका महाजन, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, मैक्स अस्पताल, नई दिल्ली से खास बातचीत की है। आइए जानते हैं कि कौन कर सकता है रक्तदान, क्या हैं इससे जुड़े मिथक और कैसी होनी चाहिए जरूरी सावधानी।

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    कौन कर सकता है रक्तदान?

    जो लोग स्वस्थ हैं, कोई गंभीर समस्या नहीं है और उम्र 50 वर्ष से कम है वे नियमित रूप से रक्तदान कर सकते हैं। साथ ही ध्यान रखना है कि ब्लड थिनर लेने वाले, कभी पीलिया से ग्रस्त, खासकर हेपेटाइटिस बी या सी या फिर एनीमिया से ग्रस्त रह चुके लोगों को रक्तदान से बचना होता है।

    इससे जुड़े मिथकों से बचें

    आमतौर पर जब एक यूनिट रक्तदान करते हैं तो शरीर पर उसका कोई विशेष प्रभाव नहीं होता और न ही कमजोरी नहीं आती है। एक बार में एक यूनिट (लगभग 300-350 मिली.) रक्त दिया जा सकता है। मानव शरीर में इतनी क्षमता होती है कि अगर एक यूनिट रक्तदान कर रहे हैं तो अगले दो-तीन दिनों में बैन मैरो उसकी भरपाई करना शुरू कर देता है। कुछ लोगों को संक्रमण का डर होता है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आजकल रक्तदान में प्रयुक्त सभी सामान डिस्पोजेबल होता है, इसीलिए रक्तदान के समय संक्रमण होने की गुंजाइश नहीं होती।

    रक्तदान से पहले ध्यान रखें ये बातें

    • रक्तदान से पहले हाइड्रेट रहने के लिए कहा जाता है।
    • खाली पेट रक्त दान नहीं करना चाहिए।
    • रक्तदान के बाद भी पर्याप्त द्रव और सेहत पूर्ण आहार लेना चाहिए।
    • अगर थोड़ी कमजोरी महसूस हो रही है तो आधा घंटे के लिए आराम कर लेना चाहिए।
    • सामान्य तौर पर रक्तदान के बाद लोगों को कोई गंभीर लक्षण या खतरा नहीं होता।

    कई तरह इस्तेमाल में आता है रक्त

    एक रक्त की बैग में कई तरह के रक्त उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं, उससे रेड ब्लड सेल या पीआरबीसी, प्लेटलेट सांद्रण और प्लाज्मा निकाल सकते हैं। रक्त के किस घटक की आवश्यकता है उसे देखते हुए रक्त में से उसे तैयार किया जाता है या फिर पूरा रक्त चढ़ाया जाता है। दुर्लभ रक्त समूह होने पर उसी ग्रुप के रक्तदाता की व्यवस्था करनी होती है। हालांकि, ब्लड बैंक के पास सभी ब्लड ग्रुप के रक्त की उपलब्धता होती है। उसे किसी दूसरे रक्तदाता से प्रतिस्थापित कर रक्त उपलब्ध करा दिया जाता है। इसी तरह प्लेटलेट सांद्रण बनाने के लिए कई बार 'ओ' पॉजिटिव (यूनिवर्सल डोनर) का रक्त का प्रयोग किया जाता है।

    रक्त चढ़ाने के दौरान जरूरी सावधानी

    रक्तदान से पहले रक्तदाता और मरीज की हेपेटाइटिस, एचआईवी और मलेरिया जैसे जरूरी जांचें होती हैं। अगर रक्त नमूने में कोई भी बीमारी पॉजिटिव आती है तो पूरी गोपनीयता रखते हुए ब्लड बैंक रक्तदाता को जानकारी देता है। यह जानकारी किसी अन्य के साथ साझा नहीं की जाती। कोई बीमारी चिह्नित होने पर जांच और उपचार में सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

    रक्तदान में कितना हो गैप?

    रक्तदान करने के बाद एक महीने बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है, लेकिन तीन महीने के अंतराल पर रक्तदान करने का सुझाव दिया जाता है। पूर्व जांच होने के कारण रक्तदाता को कोई समस्या नहीं आती। अगर कोई समस्या या लक्षण दिखता भी है तो रक्त लेने से मना कर दिया जाता है। ध्यान रखें व्यावसायिक रक्तदाताओं से बचें, उससे संक्रमण की आशंका रहती है।

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