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    World Antibiotics Awareness Week: एंटीबायोटिक दवा आपकी जान भी ले सकती है, हर बीमारी में खाने से कम होता जा रहा असर

    By Rizwan MohammadEdited By:
    Updated: Sun, 24 Nov 2019 05:58 PM (IST)

    World Antibiotics Awareness Week एंटीबायोटिक दवाओं का नियमित या मात्रा से अधिक सेवन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

    World Antibiotics Awareness Week: एंटीबायोटिक दवा आपकी जान भी ले सकती है, हर बीमारी में खाने से कम होता जा रहा असर

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। World Antibiotics Awareness Week: एंटीबायोटिक दवाओं का नियमित या मात्रा से अधिक सेवन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। बिना डॉक्‍टर की सलाह लिए अपनी मर्जी से इस दवा को खाने वाले लोगों की जान खतरे में बनी रहती है। हर बीमारी में और लगातार सेवन से इसका असर भी कम हो जाता है।

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    बैक्‍टीरियल इंफैक्‍शन यानी संक्रमण से होने वाली बीमारियों की रोकथाम और उन्‍हें जड़ से खत्‍म करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्‍तेमाल किया जाता है। इनके बेहतरीन रिजल्‍ट के चलते लोग मनमर्जी से ही इन दवाओं का किसी भी बीमारी में सेवन करने लगे हैं, जो उनकी सेहत के हानिकारक होता जा रहा है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने इन दवाओं के भारी इस्‍तेमाल पर चिंता जताई है। हर तरह की बीमारी में इन दवाओं का ज्‍यादा इस्‍तेमाल करने वालें मरीजों की जान जोखिम में रहती है।

    डब्‍ल्‍यूएचओ की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दवा के लगातार सेवन से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होती जा रही है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि हर बीमारी में एंटीबायोटिक के इस्‍तेमाल से इसका असर भी लगातार कम होता जा रहा है। इस दवा से मरने वाले जीवाणुओं में इससे लड़ने की ताकत विकसित होती जा रही है। मतलब जो जीवाणु इस दवा के खाने से मरते थे और बीमारी ठीक हो जाती थी अब ऐसा होने में दिक्‍कत हो रही है।

    एंटीबायोटिक दवाओं के कम होते असर की वजह रिसर्चर ने इसके ज्‍यादा इस्‍तेमाल को माना है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने पूरे विश्‍व को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि जब तक डॉक्‍टर एंटीबायोटिक दवा खाने की सलाह नहीं दे तब तक इसे न खाएं। एंटीबायोटिक रेजिस्‍टेंस के चलते संक्रामक रोगों के इलाज की क्षमता प्रभावित हो रही है। इसके परिणाामस्‍वरूप लंबी बीमारी, विकलांगता के बाद लोगों को मौत से बचाने में भी मुश्किल होती जा रही है। रिसर्चर ने कहा है कि इन दवाओं का भविष्‍य अब हम पर ही निर्भर है।

     

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