Why Ventilator Is Important: आखिर क्यों कोरोना वायरस के मरीज़ों के लिए ज़रूरी है वेंटिलेटर?
Why Ventilator Is Important बहुत आसान भाषा में कहें तो यह एक मशीन है जो ऐसे मरीज़ों की ज़िंदगी बचाती है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ आ रही है या खुद सांस नहीं ले पा रहे हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Why Ventilator Is Important: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से वेंटिलेटर लगातार चर्चा में बना हुआ है। जिसके बारे में आपने सुना तो ज़रूर होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर वेंटिलेटर है क्या? कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के लिए यह कितना और क्यों ज़रूरी है? वेंटिलेटर्स को लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी कहा जाता है। वेंटिलेटर्स की ज़रूरत सिर्फ 5 प्रतिशत मरीज़ों को ही पड़ती है, जिनकी हालत गंभीर हो जाती है और जिन्हें सांस लेने में बहुत ज़्यादा तकलीफ होती है। कोरोना वायरस के ज़्यादातर मरीज़ों में माइल्ड लक्षण होते हैं, जो आसानी से दवाओं और इलाज से ठीक हो जाते हैं।
क्या है वेंटिलेटर?
बहुत आसान भाषा में कहें तो यह एक मशीन है जो ऐसे मरीज़ों की ज़िंदगी बचाती है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ आ रही है या खुद सांस नहीं ले पा रहे हैं। अगर बीमारी की वजह से फेफड़े काम नहीं कर पाते हैं तो वेंटिलेटर सांस लेने की प्रक्रिया को संभालते हैं। इसी बीच डॉक्टर इलाज की मदद से फेफड़ों को दोबारा काम करने लायक बनाते हैं।
कोरोना मरीज़ों के लिए क्यों ज़रूरी है वेंटिलेटर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कोविड-19 से संक्रमित 80 पर्सेंट मरीज़ अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं, लेकिन छह में से एक मरीज़ की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में मुश्किल आने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए वेंटिलेटर्स की ज़रूरत पड़ती है। इसके ज़रिए मरीज़ के शरीर को समान्य मात्रा में ऑक्सीजन पहुंच जाती है।
वेंटिलेटर की कीमत?
वेंटिलेटर की संख्या में कमी की एक वजह इसकी कीमत भी है। वेंटिलेटर काफी महंगा होता है। एक वेंटिलेटर के लिए 5 से 10 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। हालांकि, महिंद्रा एंड महिंद्रा ने हाल ही में दावा किया है कि कंपनी महज 7500 रुपये में वेंटिलेटर का निर्माण करेगी।
क्या देश में है वेंटिलेटर्स की कमी?
देश की मौजूदा ज़रूरतों के मुताबिक वेंटिलेटर्स पर्याप्त संख्या में है, लेकिन सरकार मुश्किल समय के लिए अभी से तैयारी चाहती है। असल में अमेरिका जैसे साधन संपन्न देश में भी वेंटिलेटर्स के उत्पादन की आवश्यकता आ गई है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के मामले में अमेरिका सबसे आगे निकल गया है। कोरना प्रभावित सभी देश वेंटिलेटर्स के उत्पादन में जुटे हैं। क्योंकि मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और वेंटिलेटर्स कम पड़े तो बड़ी संख्या में लोगों को जान जा सकती है।
क्यों कार कंपनियां भी बना रही हैं वेंटिलेटर्स
दुनिया की बड़ी कार कंपनी जनरल मोटर्स ने वेंटिलेटर बनाने शुरू कर दिए हैं। वहीं, भारत में महिंद्रा, मारुति, रिलायंस जैसी कंपनियां वेंटिलेटर का उत्पादन कर रही हैं। अभी तक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या हज़ार से ऊपर जा चुकी है, लेकिन अगर वायरस समाज में फैलता है तो बड़े पैमाने पर वेंटिलेटर्स की ज़रूरत आ सकती है। अभी भारत दूसरे स्टेज में है यानी विदेश से लौटे लोग और उनके संपर्क में आए लोगों तक सीमित है। लेकिन भारत स्टेज 3 की तैयारी में जुटा है, स्टेज 3 का मतलब है कि जब वायरस समाज में फैलना शुरू हो जाए। जिसके बाद ये और भयानक रूप ले लेगा।
सर्जरी के दौरान वेंटिलेटर का इस्तेमाल क्यों ज़रूरी है?
जनरल एनेस्थीसिया पेशेंट के शरीर की मांसपेशियों को अस्थायी रूप से सुन्न कर देती हैं। इसमें वे मांसपेशियां भी शामिल होती है, जो हमें सांस लेने में मदद करती हैं। ऐसी स्थिति में सांस लेने के लिए वेंटिलेटर का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी होता है। सर्जरी की प्रक्रिया पूरी होने और एनेस्थीसिया का प्रभाव खत्म हो जाने के बाद इस ब्रीदिंग मशीन को हटा दिया जाता है।
सर्जरी के अलावा, किसी तरह के चोट लगने या बीमारी के उपचार के दौरान भी वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में वेंटिलेटर का बुरा प्रभाव भी देखा जा सकता है। कई बार सर्जरी या चोट के उपचार की प्रकिया के बाद जब पेशेंट से वेंटिलेटर हटाया जाता है, तो उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।