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    AIDS Vaccine: अब तक क्यों नहीं बन पाई एचआईवी की वैक्सीन, क्या हैं चुनौतियां?

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Tue, 01 Dec 2020 01:20 PM (IST)

    AIDS Vaccine 30 साल पहले एचआईवी ने लोगों के ज़िंदगी पूरी तरह से बदल दी थी। इस जानलेवा वायरस की वजह से लोग अपनी यौन आदतों को बदलने पर मजबूर हुए क्योंकि यौन संबंध एचआईवी संक्रमण की मुख्य वजह है।

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    अब तक क्यों नहीं बन पाई एचआईवी की वैक्सीन, क्या हैं चुनौतियां?

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। AIDS Vaccine: एचआईवी वायरस के बारे में पता चले हुए तीस साल से ज़्यादा का समय हो चुका है। वैज्ञानिकों को साल 1980 में पहली बार बीमारी के बारे में पता लगा था। एचआईवी वायरस की वजह से किसी इंसान में एड्स की बीमारी होती है। WHO के मुताबिक एड्स की वजह से अब तक दुनिया भर में 3.2 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है।

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    30 साल पहले एचआईवी ने लोगों के ज़िंदगी पूरी तरह से बदल दी थी। इस जानलेवा वायरस की वजह से लोग अपनी यौन आदतों को बदलने पर मजबूर हुए क्योंकि यौन संबंध एचआईवी संक्रमण की मुख्य वजह है। एड्स के शुरुआती कुछ मामले समलैंगिक लोगों में पाए गए थे। यही वजह है कि ये बीमारी एक सामाजिक कलंक बन गई। कई जगह मीडिया ने इसे 'गे कैंसर' भी कहा।

    आज करीब चार दशकों के बाद भी एचआईवी वायरस की वैक्सीन नहीं बन पाई है। अभी तक पूरी दुनिया में चार करोड़ लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं और आज भी वायरस के ख़त्म होने की बात दूर की लगती है।

    हालांकि परहेज़ की मदद से इस बीमारी से बचा ज़रूर जा सकता है और इससे संक्रमित होने पर इलाज कर इस पर नियंत्रण किया जा सकता है ताकि इससे संक्रमित व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सके।

    अब तक क्यों नहीं बन पाई एचआईवी की वैक्सीन?

    1. आमतौर पर वैक्सीन उन वायरस से इंसानों की रक्षा करती हैं, जो सांस या गैस्ट्रो-इंटसटाइनल सिस्टम के ज़रिए शरीर में प्रवेश करते हैं। वहीं, एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो जननांग या फिर खून के ज़रिए शरीर में दाखिल होता है। 

    2. एचआईवी वायरस कई दूसरे वायरस की तुलना में तेज़ी म्यूटेट यानी रूप बदलता है। जब एक वैक्सीन को तैयार किया जाता है, तो वो वायरस के एक विशेष रूप को ही टारगेट करती है। अगर वायरस म्यूटेट होता है, तो ऐसे में वैक्सीन बदले हुए रूप को टारगेट नहीं कर पाती और असर करना बंद कर देती है। 

    3. वैक्सीन बनाने वाले मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमारे शरीर में बीमारियों से लड़ने वाला इम्यून सिस्टम एचआईवी वायरस से नहीं लड़ पाता है। एक इंसान के शरीर पर वायरस का अटैक होने पर इम्यून एंटीबॉडी बनाता है, हालांकि एंटीबॉडी सिर्फ बीमारी की गति को धीमा करती है, लेकिन उसे रोक नहीं पाती।

    4. शरीर में एचआईवी संक्रमण लंबे समय तक फैलता है। इस दौरान वायरस इंसान के डीएनए में छिपा रहता है। शरीर के लिए डीएनए में छिपे वायरस को ढूंढ़कर उसे ख़त्म करना मुश्किल काम है। वैक्सीन के मामले में भी ऐसा ही होता है।

    5. एचआईवी एक ऐसा संक्रमण है जिसके संपर्क में आने के बाद एक व्यक्ति की रिकवरी लगभग असंभव हो जाती है। एचआईवी संक्रमण होने पर शरीर के इम्यून का कोई रिएक्शन न दिखना ही वो वैक्सीन तैयार न हो पाने की वजह है। वैज्ञानिक ऐसी वैक्सीन नहीं बना पा रहे हैं, जो शरीर में एंटीबॉडी के प्रोड्यूस होने की नकल कर सके।

    6. आमतौर पर कोई भी नई वैक्सीन का ट्रायल पहले जानवरों पर किया जाता है, उसके बाद ही ट्रायल इंसानों पर होता है। लेकिन एचआईवी के मामले में जानवरों का एक भी ऐसा मॉडल नहीं है, जिसकी तर्ज पर इंसानों के लिए एड्स की वैक्सीन तैयार की जा सके। इन तमाम वजहों के कारण आज भी एचआईवी की वैक्सीन तैयार नहीं की जा सकी है।

    वैक्सीन नहीं लेकिन कुछ हद तक इलाज है संभव

    हाल में दो ऐसे मामले आए हैं जिसमें स्टेम सेल की मदद से एचआईवी संक्रमित लोगों का इलाज किया गया है, लेकिन विशेषज्ञों ने इस बात की चेतावनी दी है कि यह इलाज जोख़िम भरा हो सकता है और एचआईवी से संक्रमित सभी मामलों पर इसे आम तौर पर नहीं आज़माया जा सकता है।

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