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    Mental Health: मन की उलझन को सुलझाना क्यों होता है जरूरी?

    Mental Health संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए शारीरिक के साथ मानसिक सेहत भी बेहतर होना आवश्यक है। देश में मानसिक सेहत की देखभाल को लेकर चुनौती लगातार बढ़ रही है। पर यदि कुछ बातों का ध्यान रखें तो इस समस्या से दूर रह सकते हैं...

    By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Wed, 26 Apr 2023 02:38 PM (IST)
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    Mental Health: मन की उलझन को सुलझाना क्यों होता है जरूरी?

    नई दिल्ली। Mental Health: द्वितीय विश्व युद्ध के दिनों में विक्टर फ्रैंकल विएना के मनोचिकित्सक थे। वे यहूदी थे इसलिए हिटलर के निशाने पर आ गए थे। उन्हें यातना गृह में डाल दिया गया। पूरा परिवार एक-एक कर खत्म हो गया। विक्टर अकेले बचे। इसके बाद भी उन्होंने न केवल स्वयं के बचने की कहानी लिखी, बल्कि एक सैद्धांतिकी भी विकसित की। उसमें एक अनुभव सिद्ध सूत्र है- कोई आपसे सारी स्वतंत्रता छीन सकता है, मगर परिस्थितियों के प्रति आपके दृष्टिकोण की स्वतंत्रता नहीं चुरा सकता। यह मन की सेहत के लिए एक बड़ी सीख है। ध्यान रहे कि आपकी जानकारी कितनी ही समृद्ध हो, उस पर अमल किए बिना कोई लाभ नहीं मिल सकता।

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    छह कसौटियां मन की सेहत की

    1. स्वास्थ्य को समग्रता में देखना

    हमारा शरीर और मन अलग नहीं। मन का मूलाधार मस्तिष्क है जो शरीर का ही अंग है। पांव में कील भी गड़ जाए तो मस्तिष्क ही महसूस करता है। शरीर को स्वस्थ रखना पहला सूत्र है। संतुलित आहार, व्यायाम, योग और सोने-जागने की नियमितता शरीर और मन दोनों के लिए जरूरी है।

    2. भावनात्मक स्वास्थ्य

    आप भीतर से उलझन या दबाव तो नहीं महसूस कर रहे हैं। यदि ऐसा है तो इसे कम करने के बारे में सोचें। जीवन में कोई गुत्थी है तो उसे अपनों या किसी मनोचिकित्सक की मदद से खोलने का प्रयास करना चाहिए।

    3. संवाद और मैत्री भाव

    इस संसार में आप अकेले नहीं रहते। करोड़ों लोग हैं, आपको इनके बीच रहना है। यदि इन सबके साथ आप संवाद नहीं करते, तादात्म्य नहीं बिठाते, मैत्री भाव नहीं रखते तो खुशहाली आपसे दूर रहेगी। सामाजिकता को बेहतर करें। संवाद से गलतफहमियां दूर करते रहें।

    4. कामकाज में सक्रियता और उत्पादकता

    यदि आप सक्रिय हैं, तो आपका आत्मविश्वास बना रहेगा। आलू उगाना और छोटे बच्चों को पढ़ाना या उन्हें समय देने जैसे कार्य भी महत्वपूर्ण हैं।

    5. प्रकृति का साथ

    जो प्रकृति से दूर हो जाते हैं और कंक्रीट के जंगल में रहते हैं, उनके मानसिक रोगों का शिकार होने की दर ज्यादा होती है। प्रकृति के जितने निकट रहेंगे, आप शांति व खुशहाली को महसूस कर पाएंगे।

    6. सांस्कृतिक योगदान

    यह संसार हमने नहीं बनाया है। यह हमें मिला हुआ है। यह सुखद दायित्व है कि इसे सुंदर बनाने में अपना योगदान करें। नया भले ना जोड़ें, जो है उस उत्सव में शामिल हो जाएं।

    सजग करने वाले आंकड़े

    -1990 की तुलना में कुल रोगों की तुलना में मानसिक रोग का हिस्सा दोगुना हो गया है। (2019 में प्रकाशित लांसेट साइकियाट्री शोध के अनुसार)

    -10 प्रतिशत आबादी मानसिक रोगों की चपेट में है। देश की आबादी को देखते हुए यह संख्या काफी बड़ी है।

    -80 प्रतिशत लोगों को पर्याप्त मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध नहीं।

    मानसिक सेहत बिगड़ने के प्रमुख कारण

    एकल परिवार, अकेलापन, आर्थिक महत्वाकांक्षा, विस्थापन, आर्थिक अनिश्चितता।

    नए सामाजिक मूल्यों से पैदा हुए तनाव।

    वैश्वीकरण व डिजिटल क्रांति ने अवास्तविक संबंधों को वास्तविक संबंधों पर प्राथमिकता देना सिखा दिया है।

    शहरीकरण बढ़ने से प्रकृति से दूरी बढ़ी है। शहर गर्म हो रहे हैं और गर्म हो रहा है दिमाग।

    कोविड से भी मानसिक रोग से जुड़े मामले बढ़े हैं।

    क्यों जरूरी है मन की सेहत

    • तनाव, चिंता और अवसाद, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हृदय रोग, ब्रेन हेमरेज और पेट की कई बीमारियों का बड़ा कारण बनती है मानसिक अशांति।
    • तनाव की वजह से रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
    • रुमेटायड आर्थराइटिस जैसे रोग होने में तनाव और अवसाद की भूमिका होती है।
    • सिजोफ्रेनिया की स्थिति में मरीज की आयु कम हो जाती है।
    • मानसिक रूप से स्वस्थ होने पर ही आपकी जीवनशैली बेहतर होगी और आप विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी बेहतर देखभाल कर सकेंगे।

    इन लक्षणों के उभरने पर लें चिकित्सकीय परामर्श

    • जब भावना, विचार या व्यवहार के स्तर पर इतना परेशान हो जाएं कि जीवन असहज और अनियमित लगने लगे।
    • नींद में कमी, उदासी, निराशा, बेचारगी और निरर्थकता का एहसास होने लगे।
    • बेवजह चिंता रहना, छोटी कठिनाई भी पहाड़ जैसी लगने लगे।
    • बार-बार हाथ धोने या ताला चेक करने लगें।

    संभावनाओं पर नजर रखने का दृष्टिकोण

    उलझनों के बीच भी आप उम्मीद की किरण तलाश सकते हैं। इसके लिए केवल सोचने से कुछ नहीं होगा। विचारों के मकड़जाल से बाहर आने का रास्ता यह है कि आप अपना बेहतर करने का प्रयास करत रहें। चलने के बारे में सोचने से ज्यादा जरूरी है चल पड़ना। संभावनाओं पर नजर रखें और स्वीकार करें कि आप भी थक सकते हैं और बीमार हो सकते हैं। असफलता हाथ लगी है तो कोई अपराध नहीं हुआ है। आगे नया सूरज आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।

    सबसे अच्छा एप है नींद और कसरत

    आज लोग कई मोबाइल एप का प्रयोग कर रहे हैं कि अच्छी नींद आ जाए, पर आपकी नींद कैसी है यह आपके शरीर से बेहतर कोई नहीं बता सकता। हां, कुछ एप हैं जो संगीत या बारिश की आवाज से शांति और नींद के लायक परिवेश रचते हैं। वे उपयोगी होते हैं।

    डॉ. विनय कुमार

    प्रेसिडेंट, इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी

    बातचीत : सीमा झा