क्यों युवाओं में तेजी से बढ़ रहे हैं हार्ट डिजीज, दिल के डॉक्टर ने बताया इसके पीछे की तीन वजहें
क्या आप जानते हैं युवाओं में तेजी से बढ़ती दिल की बीमारियों (Heart Disease) के पीछे तीन ऐसे कारण हैं, जिनसे बचना आज के समय में मुश्किल हो गया है। इस ब ...और पढ़ें

क्या हैं दिल की बीमारियों के कारण? (Picture Courtesy: Freepik)
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लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में, खासकर युवा प्रोफेशनल्स के बीच, हार्ट अटैक और अन्य कार्डियक डिजीज (Heart Attack in Young Adult) का बढ़ता ग्राफ चिंता का एक बड़ा कारण बन गया है। इसकी जड़ें केवल जेनेटिक्स या बढ़ती उम्र में नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट स्ट्रेस, बढ़ता प्रदूषण और अनियंत्रित लाइफस्टाइल से जुड़ी हैं।
ये तीनों (Heart Disease Risk Factors) मिलकर एक ऐसा 'परफेक्ट स्टॉर्म' बना रहे हैं, जो दिल को समय से पहले ही बीमार कर रहा है। इस बारे में जानने के लिए हमने डॉ. बिनय कुमार पांडे (सीनियर कंसल्टेंट एंड एचओडी- इंटरवेनशनल कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, यथार्थ सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद) से जानते हैं।

कॉर्पोरेट कल्चर का दबाव
लंबे काम के घंटे, लगातार मिलती डेडलाइन्स, नौकरी जाने का खतरा और वर्क-लाइफ बैलेंस का अभाव आज के प्रोफेशनल के डेली रूटीन का हिस्सा बन गए हैं। यह लगातार तनाव शरीर को 'फाइट या फ्लाइट' मोड में रखता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, कोर्टिसोल जैसे हार्मोन असंतुलित होते हैं और नींद की गुणवत्ता खराब होती है। तनाव से निपटने के लिए अक्सर लोग स्मोकिंग, बहुत ज्यादा कैफीन या जंक फूड पर निर्भर हो जाते हैं, जो दिल की सेहत के लिए सीधा खतरा हैं।
प्रदूषण है साइलेंट किलर
हवा में मौजूद पीएम 2.5 जैसे छोटे कण सांस के साथ सीधे खून में पहुंच जाते हैं। ये कण आर्टरीज में सूजन पैदा करते हैं, ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाते हैं और कोलेस्ट्रॉल के जमाव को तेज करते हैं। महानगरों और औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह नियमित जोखिम उनमें हार्ट अटैक, अनियमित दिल की धड़कन और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देता है, चाहे उनकी उम्र कम ही क्यों न हो।
लाइफस्टाइल में बदलाव
इन दोनों चुनौतियों पर हमारी रूटीन की गलत आदतें मानो मुहर लगा देती हैं। डेस्क पर लगातार बैठे रहना, फिजिकल एक्टिविटीज की कमी, अनियमित और अनहेल्दी खान-पान, आराम न करना और स्ट्रेस मैनेजमेंट के तरीकों से अनजान रहना, ये सभी धीरे-धीरे दिल की मांसपेशियों और ब्लड वेसल्स को कमजोर करते चले जाते हैं।

तीनों का घातक असर
जब ये तीनों फैक्टर एक साथ काम करते हैं, तो युवा दिल भी उनके भार को सहन नहीं कर पाता। यह संकट केवल मेडिकल इंटरवेंशन से ही नहीं, बल्कि पूरी लाइफस्टाइल में बदलाव से ही टलेगा। कॉर्पोरेट कल्चर में स्वास्थ्य-अनुकूल काम के माहौल में फ्लेक्सिबिलिटी, प्रदूषण कंट्रोल के सख्त उपाय और लाइफस्टाइल की अच्छी आदतों को शामिल करना ही इस चुनौती से निपटने का रास्ता है।

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