Blood Transfusion: क्यों पड़ती है किसी को खून चढ़ाने की ज़रूरत? इसके ख़तरों के बारे में भी जानें
Blood Transfusion स्वस्थ लोगों को अक्सर रक्तदान करने की सलाह दी जाती है। रक्तदान करने से पहले जांच के लिए डोनर का ब्लड सैम्पल लिया जाता है और सेहत के इतिहास के बारे में जानकारी ली जाती है। तो आइए जानें कि आखिर ब्लड चढ़ाने की ज़रूरत कब पड़ती है?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Blood Transfusion: ब्लड ट्रांसफ्यूज़न का मतलब होता है एक नस के माध्यम से शरीर में रक्त चढ़ाना। आपके शरीर की ज़रूरत के आधार पर, आपके डॉक्टर लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स या क्लॉटिंग कारकों, प्लाज्मा या पूरे खून चढ़ाने का फैसला ले सकते हैं। खून कई सारे छोटे सेल्स से मिलकर बना होता है, जो शरीर में तरह-तरह की भूमिका निभाते हैं।
रक्त दान या फिर ब्लड ट्रांसफ्यूज़न किसी के लिए भी नए शब्द नहीं हैं, लेकिन फिर भी आज भी लोग इसके बारे में काफी कम जानकारी रखते हैं। तो आइए जानें क्या होता है ब्लड ट्रांसफ्यूज़न।
किसी को ब्लड चढ़ाने की ज़रूरत कब पड़ती है?
- किसी की बड़ी सर्जरी हुई हो या गंभीर चोट आई हो, जिसमें काफी खून बह गया हो।
- पाचन तंत्र में अल्सर या फिर किसी अन्य स्थिति की वजह से काफी खून बह गया हो।
- कोई व्यक्ति ब्लड कैंसर या किडनी की बीमारी से पीड़ित हो, जो एनीमिया का कारण बनते हैं।
- किसी का कैंसर का इलाज चल रहा हो जैसे कीमोथेरेपी या रेडिएशन
- अगर आप ब्लड विकार या फिर गंभीर लिवर की बीमारी से जूझ रहे हों।
खून चढ़ाते वक्त क्या होता है?
आमतौर पर किसी बीमारी या फिर घायल होने पर ज़्याद खून बह जाने की वजह से अतिरिक्त खून चढ़ाने की ज़रूरत पड़ती है। अगर आपके शरीर में स्वस्थ रक्त बनाने वाले एक या अधिक घटकों की कमी है, तो ट्रांसफ्यूज़न आपके शरीर की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है। खून चढ़ाने में एक से 4 घंटे का समय लगता है, जो इस पर निर्भर करता है कि आपको कितने खून की ज़रूरत है।
खून चढ़ाने से पहले टेस्ट: किसी को भी ब्लड चढ़ाने से पहले, मरीज़ और डोनर दोनों के ब्लड सैम्पल्स को टेस्ट किया जाता है। जब सभी चीज़ें मैच करती हैं, तभी डोनर का ब्लड चढ़ाया जाता है।
ब्लड ट्रांसफ्यूज़न का फैसला कैसे लिया जाता है?
अगर किसी को ब्लड चढ़ाने की ज़रूरत पड़ती है, तो डॉक्टर पहले आपको इससे जुड़े जोखिम और फायदों के बारे में बताते हैं। इसके बाद आप ब्लड सैम्पल लेकर उसकी जांच की जाती है। ब्लड बैंक बताता है कि आपका ब्लड ग्रुप (A, B, AB, O) क्या है और आप Rh प्रोटीन कैरी कर रहे हैं या नहीं (Rh+ या Rh-)।
इसके बाद आपके लिए ब्लड बैंक से सही रक्त चुना जाता है, जो कई बार जांच से गुज़रता है ताकि आपको सही ब्लड मिले। IV ट्यूब की मदद से आपकी नस के ज़रिए ब्लड को चढ़ाया जाता है।
ब्लड ट्रांसफ्यूज़न से जुड़े ख़तरे
वैसे ब्लड ट्रांसफ्यूज़न को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कुछ जोखिम भी हैं। कई बार जटिलताएं तुरंत दिखाई दे जाती हैं और कई बार समय लगता है।
एलर्जिक रिएक्शन: इस दौरान खून से एलर्जी होना संभव है, भले ही फिर वह सही खून क्यों न हो। अगर ऐसा होता है, तो आपको खुजली महसूस होगी और हाइव्ज़ हो जाएंगे। अगर आपको एलर्जिक रिएक्शन होता है, तो यह ट्रांसफ्यूज़न के दौरान या फिर तुरंत बार हो जाएगा।
एक्यूट इम्यून हेमोलिटिक रिएक्शन: इस तरह की जतिलता काफी कम देखी जाती है, लेकिन मेडिकल एमर्जेंसी होती है। यह तब होता है जब आपकी बॉडी नए खून की लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देती है। ऐसा आमतौर पर ब्लड चढ़ाते वक्त या फिर इसके तुरंत बाद हो जाता है और आप बुखार, ठंड, मतली, कमर या सीने में दर्द महसूस कर सकते हैं। पेशाब का रंग भी काला आने लगता है।
विलंबित हेमोलिटिक प्रतिक्रिया: यह एक्यूट इम्यून हेमोलिटिक रिएक्शन की तरह ही होता है, लेकिन इसका पता काफी देर से चलता है।
एनाफुलैक्टिक रिएक्शन: यह ट्रांसफ्यूज़न शुरू होने के कुछ मिनटों में हो जाता है, और जानलेवा साबित हो सकता है। चेहरे और गले में सूजन, सांस लेने में दिक्कत और ब्लड प्रेशर गिर जाता है।
यह सभी रिएक्शन आम नहीं हैं। अगर आप ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के दौरान ऊपर बताए गए लक्षणों को महसूस करते हैं, तो फौरन डॉक्टर को सूचित करें।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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