क्या होती है Water Fasting? जानें 1-3 दिनों तक 'पानी वाला व्रत' रखने से शरीर पर कैसा पड़ेगा असर
आजकल फिटनेस और हेल्थ को लेकर लोग तरह-तरह के उपवास और डाइट प्लान अपनाते हैं लेकिन क्या आपने कभी Water Fasting यानी पानी वाले व्रत के बारे में सुना है जिसमें व्यक्ति 24 घंटे से लेकर 72 घंटे तक सिर्फ पानी पीता है और कोई ठोस आहार नहीं लेता। आइए जानें क्या यह सही में फायदेमंद है या इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं?

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि बिना खाना खाए सिर्फ पानी पीकर शरीर को डिटॉक्स किया जा सकता है? जी हां, Water Fasting यानी 'पानी वाला व्रत' आजकल सेहत और फिटनेस की दुनिया में तेजी से पॉपुलर हो रहा है। कई लोग इसे वजन घटाने, पाचन सुधारने और बॉडी को डीटॉक्स करने के लिए अपना रहे हैं।
लेकिन सवाल यह है कि क्या बिना कुछ खाए सिर्फ पानी पीकर शरीर को फायदा होता है या इससे नुकसान भी हो सकता है? 1 दिन, 2 दिन या 3 दिन तक सिर्फ पानी पर रहना आसान तो नहीं, लेकिन इसके नतीजे वाकई चौंकाने वाले हो सकते हैं!
तो आइए जानते हैं वॉटर फास्टिंग क्या है (What is Water Fasting), इसके फायदे और नुकसान और क्या आपको इसे आजमाना चाहिए या नहीं।
क्या है Water Fasting?
वॉटर फास्टिंग एक ऐसा उपवास है, जिसमें आप केवल पानी पी सकते हैं और कोई भी ठोस आहार नहीं ले सकते। यह उपवास शरीर को खुद को हील करने और टॉक्सिन्स बाहर निकालने का अवसर देता है।
- यह व्रत 24 घंटे, 48 घंटे या 72 घंटे तक रखा जा सकता है।
- कुछ लोग इसे शरीर को डिटॉक्स करने के लिए अपनाते हैं, तो कुछ लोग वज़न कम करने के लिए।
- यह इंटरमिटेंट फास्टिंग से अलग होता है, क्योंकि इसमें सिर्फ पानी की ही अनुमति होती है, जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग में कुछ घंटे उपवास के बाद खाने की अनुमति होती है।
- वॉटर फास्टिंग कई हेल्थ बेनिफिट्स दे सकता है, लेकिन इसे करने से पहले इसके फायदे और नुकसान दोनों को समझना बहुत जरूरी है।
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वॉटर फास्टिंग के फायदे
शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन
हमारे शरीर में रोजाना खान-पान और पर्यावरण के कारण कई हानिकारक तत्व (toxins) जमा हो जाते हैं। जब आप Water Fasting करते हैं, तो शरीर इन टॉक्सिन्स को बाहर निकालने लगता है। यह लिवर और किडनी को साफ करने और पाचन तंत्र को आराम देने में मदद करता है।
वजन घटाने में मददगार
अगर आप तेजी से वजन कम करना चाहते हैं, तो वॉटर फास्टिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। जब शरीर को बाहर से कोई कैलोरी नहीं मिलती, तो यह स्टोर्ड फैट को एनर्जी में बदलने लगता है, जिससे फैट बर्न होता है।
ब्लड शुगर कंट्रोल में मददगार
वॉटर फास्टिंग शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता (Insulin Sensitivity) को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जिन्हें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा है। हालांकि, डायबिटीज़ मरीजों को यह उपवास करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
हार्ट हेल्थ में सुधार
कई स्टडीज बताती हैं कि Water Fasting कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है। इसके अलावा, यह सूजन (Inflammation) को भी कम करता है, जिससे हृदय और संपूर्ण शरीर की सेहत बेहतर होती है।
ऑटोफैगी (Autophagy) प्रोसेस को बढ़ावा
ऑटोफैगी एक जरूरी सेलुलर प्रोसेस है, जिसमें शरीर पुरानी और खराब हो चुकी कोशिकाओं को हटा देता है और नई स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण करता है। यह प्रक्रिया एंटी-एजिंग, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और कई गंभीर बीमारियों से बचाव में सहायक होती है।
क्या वॉटर फास्टिंग के नुकसान भी हैं?
भले ही वॉटर फास्टिंग के कई फायदे हैं, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, खासकर अगर इसे सही तरीके से न किया जाए।
कमजोरी और सिरदर्द
शरीर को जब बाहर से कोई कैलोरी नहीं मिलती, तो शुरुआत में थकान, कमजोरी और सिरदर्द महसूस हो सकता है।
डिहाइड्रेशन का खतरा
अगर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पिया गया, तो शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है।
मेटाबॉलिज्म पर असर
बार-बार वॉटर फास्टिंग करने से मेटाबॉलिज्म स्लो हो सकता है, जिससे लंबे समय में वजन बढ़ने का खतरा हो सकता है।
कुछ लोगों के लिए सुरक्षित नहीं
डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, लो ब्लड प्रेशर, प्रेग्नेंसी या किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को वॉटर फास्टिंग करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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