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    Diabetes: क्या होती है टाइप-1.5 डायबिटीज़? जानें कैसे है टाइप-1 और 2 से अलग?

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Mon, 12 Sep 2022 04:13 PM (IST)

    Diabetes टाइप-1 डायबिटीज़ की तरह टाइप 1.5 डायबिटीज़ आपके शरीर में पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाने का परिणाम होता है। हालांकि क्योंकि यह धीरे-धीरे बढ़ती है इसलिए शुरुआती उपचार प्रक्रिया के दौरान दवाएं मदद कर सकती हैं।

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    Diabetes: क्या आप जानते हैं टाइप-1.5 डायबिटीज़ के बारे में?

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Diabetes: आमतौर पर लोगों को दो तरह की ही डायबिटीज़ के बारे में पता होता है, टाइप-1 और टाइप-2। दिलचस्प बात यह है कि तीसरी तरह की डायबिटीज़ भी होती है, जिसे टाइप- 1.5 डायबिटीज़ के नाम से जाना है। यह टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ से अलग होती है और इसका मेडिकल नाम है 'लेटेन्ट ऑटोइम्यून डायबिटीज़ इन अडल्ट्स' (LADA)।

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    यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें टाइप-1 और टाइप-2 दोनों तरह की डायबिटीज़ के गुण और विशेषताएं हैं। टाइप-1 डायबिटीज़ की तरह, टाइप-1.5 में एक ऑटोइम्यून घटक होता है, जिसमें आपका अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन बंद कर देता है, और गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।

    LADA या type 1.5 डायबिटीज़ की वजह क्या है?

    यह निर्धारित करने का कोई तरीका नहीं है कि हानिकारक रोगजनकों से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की रक्षा के लिए मौजूद एंटीबॉडीज़ अचानक, शरीर की अपनी इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देती हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह जेनेटिक्स पर निर्भर करता है, जैसे परिवार में ऑटोइम्यून बीमारी का इतिहास। इसके अलावा वातावरण से जुड़ी कुछ चीज़ें भी इसे ट्रिगर कर सकती हैं। जैसे मोटापा या ज़रूरत से ज़्यादा वज़न होना, वायरल इन्फेक्शन और तनाव भी टाइप-1.5 डायबिटीज़ से जुड़ा हुआ है। हालांकि, यह रिसर्च में अभ तक साबित नहीं हुआ है।

    टाइप-1.5 डायबिटीज के लक्षण क्या हैं?

    इस तरह की डायबिटीज़ आमतौर पर वयस्कों में देखी जाती है और टाइप-2 डायबिटीज की तरह धीरे-धीरे शुरू होती है। हालांकि, यह दोनों तरह की डायबिटीज बेहद अलग हैं, क्योंकि LADA एक ऑटो-इम्यून बीमारी है, जिसे डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव कर नहीं रोका जा सकता है।

    यह कई मामलों में टाइप-1 डायबिटीज़ की तरह ही होती है, क्योंकि इसमें भी ऑटोइम्यून कॉम्पोनेंट्स पाए जाते हैं, यह धीरे-धीरे बढ़ती है, इसलिए लक्षण नज़रअंदाज़ भी हो सकते हैं। हालांकि, इसके लक्षणों में पेशाब ज़्यादा आना, प्यास ज़्यादा लगना, धुंधला दिखना, अचानक वज़न कम हो जाना और यीस्ट इन्फेक्शन का बढ़ जाना।

    इसका पता कैसे लगाया जा सकता है?

    जैसा कि बताया गया है कि टाइप-1.5 डायबिटीज़ आमतौर पर वयस्कों में देखी जाती है, खासतौर पर 40 की उम्र के बाद। इसलिए इसे आमतौर पर टाइप-2 डायबिटीज़ समझने की गलती की जाती है। फिर भी सबसे पहला स्टेप है कि ब्लड शुगर के स्तर की जांच की जाए। लेकिन इससे यह नहीं पता चलता कि आपको किस तरह की डायबिटीज़ है। यही कारण है कि आपको ग्लूटामिक एसिड डिकार्बोक्सिलेज एंटीबॉडी (GAD) की उपस्थिति का निर्धारण करने के लिए एक परीक्षण करना पड़ सकता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के हमले का संकेत देता है।

    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

    Picture Courtesy: Freepik