क्या है शिंगल्स की बीमारी? त्वचा पर निकल आते हैं लाल दाने और उड़ जाती है रातों की नींद
शिंगल्स (Shingles) एक ऐसी बीमारी है जिसका दर्द बेहद असहनीय होता है। चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि 50 साल से ज्यादा की उम्र के हर तीन में से एक व्यक्ति को अपनी जिंदगी में इसका खतरा रहता है। इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने चेन्नई के अपोलो अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. आर. नरसिम्हन से खास बातचीत की है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मान लीजिए, एक दिन आप सोकर उठते हैं और अपने शरीर के एक हिस्से में अजीब-सी झुनझुनी महसूस करते हैं। पहले तो यह हल्की खुजली या जलन जैसा लगता है, कुछ खास नहीं। मगर कुछ ही दिनों में यह तेज और जलन वाले दर्द में बदल जाता है और फिर दानेदार लाल चकत्ते (Red Rashes on Skin) निकल आते हैं। ऐसे में, शरीर को हिलाने-डुलाने पर या किसी चीज के छूने पर और यहां तक कि कपड़े के हल्के से छूने पर भी बहुत दर्द होता है। शिंगल्स (Shingles) का दर्द ऐसा ही होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ लोग इसकी तुलना बच्चे के जन्म के समय होने वाले दर्द से भी करते हैं।
हालांकि, बहुत से लोगों को इस दर्दनाक बीमारी (Shingles Symptoms) के बारे में जानकारी नहीं है। 2025 के एक सर्वे (India Shingles Awareness Survey 2025) के हिसाब से, 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के आधे से ज्यादा भारतीय शिंगल्स के बारे में या तो बहुत कम जानते हैं या बिलकुल नहीं जानते हैं। जबकि 50 साल से ज्यादा उम्र के हर 3 लोगों में से एक को अपनी जिंदगी में कभी भी यह बीमारी हो सकती है।
आइए, चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में सांस से जुड़ी बीमारियों के एक्सपर्ट, सीनियर डॉक्टर आर. नरसिम्हन की मदद से इस विषय (Shingles Disease) को विस्तार से समझते हैं।
सहना मुश्किल हो जाता है शिंगल्स का दर्द
डॉक्टर बताते हैं कि शिंगल्स में होने वाला दर्द बहुत ज्यादा तकलीफ देने वाला होता है। हालांकि, ये दर्द हर किसी को एक जैसा महसूस नहीं होता। कुछ लोगों को बस हल्की झुनझुनी होती है, तो कुछ लोगों को जलन, चुभन या बिजली के झटके जैसा दर्द होता है।
ये दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है। पहले हल्की झुनझुनी या खुजली होती है, फिर धीरे-धीरे दर्द तेज होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शिंगल्स का वायरस हमारी नसों पर हमला करता है, जिससे नसें दर्द का संदेश भेजने लगती हैं।
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पोस्टहरपेटिक न्यूराल्जिया: जब दाद छोड़ जाता है दर्द का साथ
कुछ लोगों को दाद (शिंगल्स) के ठीक होने के बाद भी दर्द बना रहता है। इस दर्द को 'पोस्टहरपेटिक न्यूराल्जिया' (पीएचएन) कहते हैं। यह तब होता है जब दाद की वजह से नसें खराब हो जाती हैं और दर्द लंबे समय तक रहता है, चाहे वह कुछ महीने हो या कई साल।
पीएचएन की वजह से लगातार दर्द, बहुत ज्यादा सेंसिटिविटी और परेशानी हो सकती है, जिससे रोज़ाना के काम करना मुश्किल हो जाता है। यह बीमारी ज्यादातर बूढ़े लोगों को होती है। एक बार अगर पीएचएन हो जाए, तो इससे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है।
क्या ये शिंगल्स है? दर्द जो करता है हैरान
शिंगल्स होने पर, शरीर पर दाने दिखने से पहले ही दर्द शुरू हो जाता है, इसलिए कई बार लोग इसे किसी और बीमारी का दर्द समझ बैठते हैं।
- जैसे, छाती में शिंगल्स का दर्द होने पर लोग सोचते हैं कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है।
- पेट में दर्द होने पर अपेंडिक्स या पथरी समझ लेते हैं।
- कुछ लोगों को शिंगल्स होता है, पर शरीर पर दाने नहीं दिखते, जिससे बीमारी को पहचानना और भी मुश्किल हो जाता है। अगर बीमारी की पहचान होने में देरी होती है, तो दर्द बहुत ज्यादा बढ़ सकता है।
इसलिए, अगर आपको ऐसा दर्द हो जो आम नहीं है, तो जल्दी से डॉक्टर को दिखाना जरूरी है।
देरी से बढ़ सकती है तकलीफ
शिंगल्स का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन जल्दी इलाज करने से दर्द कम हो सकता है और बीमारी जल्दी ठीक हो सकती है। यदि आप शुरुआती लक्षण दिखने के 72 घंटों के भीतर एंटीवायरल दवाएं लेते हैं, तो आपको लंबे समय तक नसों में दर्द होने की संभावना कम हो जाएगी।
सबसे अच्छा है कि आप जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें। याद रखें, अगर आप इलाज में देरी करते हैं, तो दर्द बहुत गंभीर और लंबे समय तक बना रह सकता है।
शिंगल्स को हल्के में न लें
शिंगल्स एक तकलीफदेह बीमारी है, जिससे बचने के लिए टीका लगवाना जरूरी है। यह टीका इस बीमारी और इसके कारण होने वाले भयानक दर्द से बचाता है, जिसे पी.एच.एन. कहते हैं। शिंगल्स का दर्द इतना ज्यादा होता है कि आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए, टीका लगवाना आपकी सेहत के लिए बहुत जरूरी है।
इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। शिंगल्स को सिर्फ एक मामूली चकत्ते की तरह न देखें। अगर आप इसके बारे में जागरूक हैं, तो इसका इलाज जल्दी हो सकता है और आप टीका लगवाकर इससे बच सकते हैं। आज अगर आप सतर्क रहेंगे, तो भविष्य में शिंगल्स के भयानक दर्द से बच सकते हैं।
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