Muscle Loss With Aging: तेजी से होते मसल्स लॉस की प्रॉब्लम को न करें इग्नोर, हो सकता है सार्कोपेनिया का लक्षण
Muscle Loss With Aging बुढ़ापे में मसल लॉस की प्रॉब्लम नॉर्मल है लेकिन अगर 40 के बाद ही आपका तेजी से मसल लॉस होने लगे तो ये किसी समस्या की ओर इशारा करता है। आज के लेख में हम एक्सपर्ट से इसी समस्या के बारे में जानने वाले हैं इसके कारण साथ ही इससे बचाव के उपायों के बारे में भी।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Muscle Loss With Aging: क्या आपको भी डिब्बे का ढक्कन खोलने के लिए दूसरों से मदद लेनी पड़ती है या फिर उसे कुछ देर के लिए गर्म पानी में रखना पड़ता है तब कहीं जाकर ढक्कन खुलता है? बढ़ती उम्र के साथ मसल लॉस होना नॉर्मल है लेकिन ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते। मसल लॉस का सबसे कॉमन सिम्पटम है हाथ की पकड़ का कमजोर होना। रिसर्च बताते हैं कि लगभग 17.5% भारतीय एडवांस्ड मसल लॉस की प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं, जिसे सार्कोपेनिया के नाम से जाना जाता है। यह आंकड़ा एशिया के दूसरे देशों और यूरोप की तुलना में काफी ज्यादा है । एबॅट के न्यूट्रीशन बिजनेस में मेडिकल एण्ड साइंटिफिक अफेयर्स के हेड डॉ. इरफान शेख बता रहे हैं कि हमारी मांसपेशियों की सेहत कैसे हमारी बढ़ती उम्र के बारे में बता सकती है और सार्कोपेनिया का प्रभाव कम करने के लिए क्या करना चाहिए।
सार्कोपेनिया और आपकी सेहत
सार्कोपेनिया को एडवांस्ड मसल लॉस भी कहा जाता है। जिसमें बढ़ती उम्र केे साथ मसल्स लॉस होने लगता है। इस वजह से उसकी ताकत और कार्यात्मकता पर भी असर पड़ता है। मसल लॉस बढ़़ापे में होने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि अब ये समस्या लोगों में 40 पार करते ही नजर आने लगी है। 70 पार करते ही मसल्स लॉस दोगुनी तेजी से होने लगता है। भारत के हर तीसरे पुरूष और पांचवी महिला में सार्कोपेनिया के लक्षण देखने को मिलते हैं। दुनिया में एक अनुमान के अनुसार 50 मिलियन लोगों को यह बीमारी है और अगले 40 वर्षों में यह संख्या 200 मिलियन से ज्यादा होने की संभावना है।
मसल लॉस से एनर्जी और एक्टिविटी कम हो सकती है, गिरने या फिसलने पर हड्डी टूटने का खतरा बढ़ सकता है और
बीमारी या सर्जरी के बाद जल्द ठीक होने और जीवित रहने की संभावना भी कम हो सकती है।
सार्कोपेनिया को साइलेंट प्रॉब्लम माना जाता है, क्योंकि इसमें लोगों को पता ही नहीं लगता कि उनका मसल्स लॉस हो रहा है, तो इसके लिए समय-समय पर अपनी मांसपेशियों की ताकत को चेक करते रहना जररूी है।
कैसे चेक करें मसल लॉस की प्रॉब्लम?
हाथ की पकड़ से करें चेक
पकड़ को परखना आपके लिए आसान हो सकता है, जैसे कि कोई डिब्बा खोलना, संतरा दबाना या हाथ मिलाने में लगने वाली ताकत से पता लगाना। अगर आपको ताकत में अंतर लगे, तो ध्यान देना चाहिए।
चेयर चैलेंज टेस्ट
इसके जरिए भी मांसपेशियों की ताकत को आसानी से चेक किया जा सकता है। 43 से.मी. (1.4 फीट) ऊंचाई की एक कुर्सी पर 5 सिट-अप करने में आपको जो समय लगता है, वह मांसपेशियों की उम्र बता सकता है।
ऐसे बढ़ाएं मांसपेशियों की ताकत
1. नाश्ता करना न छोडे़ं। हेल्दी ब्रेकफास्ट से न सिर्फ आपको दिनभर के लिए जरूरी न्यूट्रिशन मिल जाता है बल्कि ये आपकी मसल्स के लिए भी जरूरी है। इसके लिए नाश्ते में खासतौर से अंडे, साबुत अनाज, फल और डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें।
2. फिजिकल एक्टिविटीज के लिए वक्त निकालें। इससे मांसपेशियां लंबे समय तक मजबूत बनी रह सकती हैं। जिम जाकर एक्सरसाइज नहीं कर सकते, तो पैदल चलना, साइकल चलाना, तैरना, जॉगिंग, बैडमिंटन/क्रिकेट खेलना या सीढ़ी चढ़ने जैसी एक्टिविटीज भी बहुत काम आ सकती हैं। रोजाना एक घंटा शारीरिक गतिविधि करने से मांसपेशियों की ताकत और सेहत में बहुत जल्द बदलाव देखने को मिलता है।
3. रोजाना की प्रोटीन की जरूरत को समझें और उसे पूरा करें। पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन (शरीर के वजन के हर किलो पर लगभग 1 ग्राम) लेने और फिजिकल एक्टिविटी करने से मसल्स हेल्दी और स्ट्रॉन्ग बनी रहती हैं।
4. न्यूट्रीशन सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ मजबूत मांसपेशियां बनाने के लिए हेल्दी और बैलेंस डाइट लेने के बावजूद भी कुछ पोषण-सम्बंधी कमियां रह ही जाती हैं। इन कमियों को दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर न्यूट्रीशन सप्लीमेंट्स ले सकते हैं। बीटा-हाइड्रोक्सी-बीटा मिथाइलब्यूरेट (एचएमबी) सप्लीमेंट वयस्कों में लीन बॉडी मास, मांसपेशियों की ताकत और कार्यात्मकता को बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
सार्कोपेनिया की प्रॉब्लम से निपटने के लिए मांसपेशियों को कैसे स्ट्रॉन्ग बनाएं इसके बारे में जानना जरूरी है। जिसमें हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट काफी हद तक आपकी मदद कर सकती है।
Pic credit- freepik
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