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    कर्नाटक में सामने आए 'Monkey Fever' के मामले, जानिए क्या है इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव

    Updated: Sat, 03 Feb 2024 07:06 PM (IST)

    कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में मंकी फीवर के कुछ मामले सामने आए हैं। ऐसे में इसे लेकर लोगों के मन में काफी सवाल पैदा हो रहे हैं कि आखिर क्या है मंकी फीवर और कैसे कर सकते हैं इसके लक्षणों की पहचान। साथ ही इस आर्टिकल में आपको इससे बचाव के तरीकों के बारे में भी बताएंगे। आइए जानते हैं इसके बारे में।

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    क्या है मंकी फीवर, जिसके कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में सामने आए हैं मामले?

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Monkey fever: कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में 'मंकी फीवर' के 31 मामले सामने आए हैं। इससे संक्रमित 12 मरीजों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि कुछ लोगों का घर पर ही इलाज चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की जानकारी सामने आई है कि इससे ग्रसित सभी मरीजों की हालत सामान्य बनी हुई है। ऐसे में आप भी जान लीजिए क्या है ये फीवर, इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव।

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    क्या है 'मंकी फीवर'

    यह फ्लेविविरिडे फैमिली से संबंधित एक वायरस होता है। इसे क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (Kyasanur Forest disease) भी कहते हैं। ये बंदरों द्वारा फैलता है यानी इंसान जब इससे संक्रमित जानवर के संपर्क में आता है, तो इस रोग का शिकार हो सकता है। पहली बार इस बुखार की पहचान साल 1957 में की गई थी। इस डिजीज का नाम क्यासानूर जिले पर पड़ा जो कि कनार्टक में स्थित है। बता दें, आमतौर पर लोग इसे मंकी फीवर कहकर इसलिए बुलाने लगे, क्योंकि इसके कारण कई बंदरों की मौत हो गई थी।

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    क्या हैं इसके लक्षण?

    - तेज बुखार आना

    - ठंड लगना

    - मांसपेशियों में दर्द महसूस होना

    - सिर दर्द की समस्या

    - उल्टी आना

    -रक्तस्राव की समस्या

    - प्लेटलेट्स का गिरना

    - आंखों में दर्द और सूजन

    कैसे कर सकते हैं इससे बचाव?

    मंकी फीवर या मंकी बुखार के लिए एकमात्र विकल्प अभी इसका टीका ही है, जिसकी एक महीने में दो डोज लगाई जाती है। जानकारी के लिए बता दें, जंगलों में या उसके आसपास रहने वाले लोगों को इसके संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि यह वायरस ज्यादातर वन क्षेत्रों में ही पाया जाता है। जानवरों के संपर्क में आने से परहेज करके और साफ-सफाई का ध्यान रखकर इस बीमारी के जोखिम से बचा जा सकता है।

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    Picture Courtesy: Freepik

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