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    क्या होती है मैमोग्राफी, एक्सपर्ट से जानें इसे कराने से पहले और उस दौरान किन बातों का रखें ध्यान

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Tue, 08 Jun 2021 03:30 PM (IST)

    मैमोग्राफी एक ऐसा महत्वपूर्ण टेस्ट है जिसमें नियमित चिकित्सकीय जांचों और स्तन की स्वंय जांच के साथ साथ स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिलती है। ...और पढ़ें

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    महिला का मैमोग्राफी करता हुआ हेल्थ वर्कर

    मैमोग्राफी एक ऐसा एक्स रे होता है जो स्तन की जांच के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल स्तन कैंसर की पता लगाने के लिए किया जाता है। मैमोग्राफी एक ऐसा महत्वपूर्ण टेस्ट है जिसमें नियमित चिकित्सकीय जांचों और स्तन की स्वंय जांच के साथ-साथ स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिलती है। इस टेस्ट में डाॅक्टर स्तन का एक्स रे करता है।

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    • इसके लिए कैसे तैयार हों?

    जिस दिन मैमोग्राफी टेस्ट कराना हो उस दिन शरीर पर बाॅडी डियोड्रेंट, परफ्यूम, बाॅडी लोशन या पाउडर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन चीजों से एक्स रे की इमेज क्वालिटी प्रभावित हो सकती है या वे जमा कैल्शियम जैसी दिख सकती हैं। इसलिए इन्हें अपने स्तन और हाथों के आसपास लगाने से परहेज करना बेहतर होता है।

    • मैमोग्राफी के दौरान क्या होता है?

    मैमोग्राफी के दौरान एक सपाट एक्स रे प्लेट पर दोनों स्तनों को सटाया जाता है। एक्स रे में स्पष्ट इमेज हासिल करने के लिए स्तन को दबाने के लिए कम्प्रेशर का इस्तेमाल किया जाता है। अगर चिकित्सक को कुछ ज्यादा जानकारी की जरूरत हो तो इस प्रक्रिया को कई बार किया जा सकता है। कई बार डिजिटल मैमोग्राफी भी की जाती है। यह एक्स रे इमेज को स्तन की इलेक्ट्राॅनिक पिक्चर्स में भेजती है।

    • इससे जुड़ी जटिलताएं यदि कोई हों?

    चूंकि मैमोग्राफी एक एक्स रे होता है इसलिए आपके बाॅडी को काफी कम संख्या में रेडिएशन प्राप्त होगा। हालांकि इन रेडिएशन से जुड़ा जोखिम काफी कम होता है। यदि किसी गर्भवती महिला को तत्काल में मैमोग्राफी कराने की जरूरत पढ़ जाती है तो उसे और उसके शिशु को किसी भी तरह के जोखिमों से बचाने के लिए उस महिला को इस टेस्ट के दौरान एक लीड एप्रन पहनाने की जरूरत होती है।

    • इसके परिणाम का क्या मतलब होता है?

    मैमोग्राफी इमेज से आपके स्तन में जमा कैल्शियम या गांठ का पता लगाने में मदद मिलती है। इनमें से ज्यादातर कैल्शियम या गांठ स्तन कैंसर का संकेत नहीं होती हैं। टेस्ट से यह पता चलता है कि स्तनों में कोई सिस्ट या कैंसर कारक या गैर कैंसरकारक गांठ तो नहीं है। बीआई आरएडीएस एक ऐसा सिस्टम है जिसका इस्तेमाल यह पता लगाने में होता है कि क्या जांच के लिए अतिरिक्त इमेज की जरूरत है या संबद्ध हिस्से में कैंसर या कैंसर की गांठ होने की आशंका तो नहीं है।

    (समीर भाटी, निदेशक इमेजिंग एंड पैथ लैब से बातचीत पर आधारित)

    Pic credit- freepik