क्या है लिम्फोमा कैंसर, जानें इसके लक्षण, जांच एवं उपचार के बारे में
लिंफोमा से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में इन कोशिकाओं का स्वरूप बदल जाता है और ये नियंत्रण से बाहर होने लगती है जिससे शरीर के प्रभावित हिस्से में गांठें बनने लगती हैं जो अंततः कैंसर में तब्दील हो जाती हैं।
इन दिनों चारों ओर इम्यूनिटी को मजबूत बनाने की चर्चा चल रही है और इसके लिए लोग तमाम उपाय भी अपना रहे हैं...लेकिन जरा सोचिए, जो इम्यून सिस्टम हमारे शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए दिन-रात हर तरह के संक्रमण से लड़ता है। अगर उसकी कोशिकाओं पर कैंसर हमला कर दे तो? हां, इसी शारीरिक दशा को लिंफोमा कहा जाता है। संक्रमण से लड़ने वाली इन कोशिकाओं को लिंफोसाइट्स कहा जाता है। आमतौर पर ये कोशिकाएं लिंफ नोड्स, स्प्लीन, थाइमस और बोनमैरो में मौजूद होती हैं। लिंफोमा से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में इन कोशिकाओं का स्वरूप बदल जाता है और ये नियंत्रण से बाहर होने लगती है, जिससे शरीर के प्रभावित हिस्से में गांठें बनने लगती हैं, जो अंततः कैंसर में तब्दील हो जाती हैं। आमतौर पर इसकी गांठें गर्दन, छाती, थाइज़ के ऊपरी हिस्से और ऑर्म पिट्स में नज़र आती हैं।
लिंफोमा के लक्षण
लिंफ नोड्स में त्वचा के नीचे, आर्म पिट्स, पेट या थाइज़ के ऊपरी हिस्से में, सूजन या गांठ, जिसे दबाने पर दर्द का एहसास न हो। स्प्लीन का आकार बढ़ना, हड्डियों में दर्द, खांसी, हमेशा थकान महसूस होना, हलका बुखार, स्किन पर रैशेज़, रात को पसीना आना, सांस फूलना, पेट में दर्द और बिना वजह वज़न घटना आदि इसके लक्षण हैं।
कैसे होती है जांच
- प्रभावित हिस्से के टिश्यू की बायोप्सी।
- ब्लड टेस्ट के जरिए किडनी और लिवर की कार्य क्षमता की जांच।
- एमआरआइ और सीएटी स्कैन के जरिए मालूम किया जाता है कि लिंफोमा शरीर के किन हिस्सों तक फैला है। बोनमैरो की बायोप्सी के जरिए यह पता किया जाता है कि कैंसर कहीं हड्डियों तक तो नहीं फैल गया?
- गैलियम स्कैन के जरिए मरीज़ के पूरे शरीर की जांच की जाती है।
- पीईटी स्कैन जांच की एक ऐसी विधि है, जिसमें मरीज़ को खास तरह के ग्लूकोज का एक इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे सीमित मात्रा में रेडियोधर्मी पदार्थ निकलता है। इसी वजह से स्कैनिंग के दौरान शरीर के भीतरी हिस्सों की तस्वीरें ज्यादा बड़ी और स्पष्ट नजर आती हैं।
कैसे होता है उपचार
आमतौर पर रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी द्वारा इसका उपचार होता है। इसके अलावा जब इम्यूनो थेरेपी द्वारा एंटी बॉडीज़ के इंजेक्शन से कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इस उपचार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें दवा कैंसरयुक्त कोशिकाओं को पहचान कर केवल उन्हीं को नष्ट करती है।
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