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    What Is Leprosy & Symptoms: आखिर क्या होता है 'कुष्ठ रोग' और इसके लक्षण!

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Thu, 30 Jan 2020 12:01 PM (IST)

    What Is Leprosy Symptoms लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है जिसका असर व्यक्ति की त्वचा आंखों श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है।

    What Is Leprosy & Symptoms: आखिर क्या होता है 'कुष्ठ रोग' और इसके लक्षण!

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। What Is Leprosy & Symptoms: लेप्रोसी के मरीज़ों को अक्सर छुआछूत, कोढ़ और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। जागरुकता के अभाव की वजह से लोगों को लगता है कि यह छूने से फैलता है।  जबकि ये बिल्कुल ग़लत है, संक्रामक बीमारी होने के बावजूद यह छूने या हाथ मिलाने, साथ में उठने-बैठने या कुछ समय के लिए साथ रहने से नहीं फैलती। हालांकि, यह संभव है कि लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक रहने से परिवार के सदस्य इसकी चपेट में आ सकते हैं। लेकिन, नियमित रूप से इसका चेकअप और बचाव करने से इससे बचा जा सकता है। 

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    क्या है लोप्रोसी

    लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है।

    कैसे फैलता है कुष्ठ रोग

    लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके श्वसन तंत्र से निकलने वाले पानी की बूंदों में लेप्रे बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया हवा के साथ मिलकर दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंच कर इन बैक्टीरिया को पनपने में करीब 4-5 साल लग जाते हैं। कई मामलों में बैक्टीरिया को पनपने (इन्क्यूबेशन) में 20 साल तक लग जाते हैं। प्राइमरी स्टेज पर लेप्रोसी के लक्षणों की अनदेखी करने से व्यक्ति अपंगता का शिकार हो सकता हैं। यह संक्रामक है, पर यह लोगों को छूने, साथ खाना खाने या रहने से नहीं फैलता है। लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से इससे संक्रमण हो सकता है, पर मरीज़ को यदि नियमित रूप से दवा दी जाए, तो इसकी आशंका भी नहीं रहती है।

    क्या हैं लक्षण 

    1. लेप्रोसी के प्राइमरी स्टेज को ट्यूबरक्यूलोइड कहा जाता है। इसमें लेप्रे बैक्टीरिया शरीर के हाथ, पैर, मुंह जैसे एक्पोज या खुले अंगों और उनकी पेरीफेरल नर्व्स या गौण तंत्रिकाओं को ज़्यादा प्रभावित करता है। इसमें ब्लड या ऑक्सीजन की सप्लाई कम होने से प्रभावित अंग सुन्न होने लगते हैं। 

    2. शरीर की त्वचा पर पैच पड़ने लगते हैं या त्वचा का रंग हल्का पड़ने लगता है और वह जगह सुन्न होने लगती है। वहां का सेंसेशन ख़त्म हो जाता है। समुचित इलाज न कराने से पैच दूसरे अंगों पर भी होने लगते हैं। पैच वाली स्किन ड्राइ और हार्ड होने लगती है। किसी भी प्रकार की चोट लगने या दूसरे इन्फेक्शन होने पर उनमें अल्सर हो सकता है।

    3. मरीज़ के विभिन्न अंग खासकर हाथ और पैर सुन्न होने से ठंडे और गर्म का एहसास नहीं होता। यहां तक कि चोट का भी एहसास नहीं होता है। गर्म चीजों को उठाने या आग सेंकने से उनके हाथ जल जाते हैं। छाले पड़ जाते हैं। घाव हो जाता है, जिससे उनके अंदर की हड्डियां भी जलने लगती हैं और धीरे-धीरे छोटी हो जाती हैं। 

    4. वैसे ही पैरों के तलवे में सुन्न होने की वजह से मरीज़ के ज़्यादा चलने पर, चोट लगने पर या पत्थर चुभने से घाव हो जाते हैं। इसका पता नहीं चल पाने पर घाव गंभीर होकर पैरों के शेप बदलने लगते हैं।

    आंखों को भी होता है नुकसान

    1. लेप्रोसी के बैक्टीरिया अगर आंख के अंदर चले जाते हैं, तो आंख अंदर से भी प्रभावित हो सकती है। आंख लाल हो जाती है और दर्द भी होने लगता है। यहां तक कि इससे अल्सर भी हो सकता है, जिससे कॉर्निया सफेद हो जाता है और दिखना तक बंद हो जाता है। इस स्थिति को आईराइटिस कहा जाता है। 

    2. मरीज़ की आंखों में भी तकलीफ हो सकती है। लेप्री बैक्टीरिया उनकी आंख की पुतलियों की नर्व्स को अपनी चपेट में ले लेता है। इससे उसकी आंख झपक नहीं पाती है। 

    3. हमेशा खुली रहती है। खुली रहने की वजह से वह हवा के संपर्क में आने से ड्राई हो जाती है। उसमें धूल-मिट्टी या कोई भी कण जा सकता है। इसकी वजह से आंख लाल हो जाती है और उसमें पानी निकलने लगता है। दूसरे आंख में कुछ भी गिरने पर अमूमन हम रगड़ देते हैं, जिससे कॉर्निया पर चोट लग सकती है या इंफेक्शन हो जाता है।