Move to Jagran APP

बेवजह चीजें चुराने की आदत है क्लेप्टोमेनिया, जानें बीमारी के लक्षण, कारण और उपचार

सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन कुछ लोगों को चीज़ें चुराने में मज़ा आता है। यह एक किस्म का मनोरोग है जिसे क्लेप्टोमेनिया कहा जाता है। क्यों होता है ऐसा और क्या है इसका उपचारजानें

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 08:27 AM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 08:27 AM (IST)
बेवजह चीजें चुराने की आदत है क्लेप्टोमेनिया, जानें बीमारी के लक्षण, कारण और उपचार
बेवजह चीजें चुराने की आदत है क्लेप्टोमेनिया, जानें बीमारी के लक्षण, कारण और उपचार

कुछ साल पहले रिलीज़ हुई फिल्म 'सिमरन' में आपको कंगना रनोट का कैरेक्टर तो याद ही होगा, जिसमें उन्होंने क्लेप्टोमेनिया की समस्या से ग्रस्त चुलबुली लड़की का किरदार बड़ी खूबसूरती से निभाया था, जो बेवजह चीज़ें चुराने की आदत से मजबूर थी। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कोई व्यक्ति ऐसा क्यों करता है?

loksabha election banner

क्या है मर्ज

दरअसल यह इम्पल्स कंट्रोल से जुड़ी गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्या है। इससे पीडि़त व्यक्ति  अपनी भावनाओं और व्यवहार को नियंत्रित करने में असमर्थ होता है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति किसी ज़रूरत के लिए योजनाबद्ध ढंग से चोरी नहीं करता और न ही इस कार्य में दूसरों से मदद लेता है। वह लोगों को कोई शारीरिक नुकसान भी नहीं पहुंचाता। फिर भी समाज इस समस्या को नैतिकता से जोड़ कर देखता है। जागरूकता के अभाव में लोग इसे मनोवैज्ञानिक समस्या मानने को तैयार नहीं होते और इससे ग्रस्त व्यक्ति के चरित्र पर संदेह करते हुए उससे दूरी बना लेते हैं। 

प्रमुख लक्षण

ऐसी समस्या से ग्रस्त लोग बिना किसी ज़रूरत या लालच के कहीं से भी कुछ चीज़ें उठा लेते हैं। ऐसा करते हुए उन्हें खास तरह के आनंद की अनुभूति होती है। ऐसे लोग दूसरों से छिपाकर उठाई गई चीज़ों का खुद इस्तेमाल भी नहीं करते। वे उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर छिपा कर रख देते हैं। जब भी मौका मिलता है, उन्हें अकेले में देखकर खुश होते हैं। कई बार ऐसे लोग उन वस्तुओं को दोबारा उसी जगह पर वापस रख देते हैं, जहां से उन्हें उठाया था।

क्या है वजह

अब तक इस समस्या के स्पष्ट कारणों की पहचान नहीं हो पाई है। फिर भी वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि ब्रेन से निकलने वाले सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांस्मीटर्स व्यक्ति की भावनाओं और व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इन दोनों की कमी के कारण व्यक्ति को ऐसी समस्या हो सकती है। किसी व्यक्ति में पहले से बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर, बाइपोलर डिसॉर्डर और एंग्ज़ायटी के लक्षण मौज़ूद हों तो उसमें क्लेप्टोमेनिया की आशंका बढ़ जाती है। वैसे तो यह मनोरोग किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन टीनएजर्स में अकसर इसके  लक्षण दिखाई देते हैं।  

जीवन पर प्रभाव

क्लेप्टोमेनिया के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे पीडि़त व्यक्ति को समाज हिकारत की दृष्टि से देखता है। उसके संबंधों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। ऐसी आदत की वजह से कई बार पीडि़त व्यक्ति की नौकरी चली जाती है। कलीग्स और दोस्त भी धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार वह एल्कोहॉल या ड्रग्स का  सहारा लेने लगता है। इससे कुछ लोगों में डिप्रेशन और आत्महत्या की प्रवृत्ति जैसे लक्षण भी नज़र आने आने लगते हैं।    

क्या है उपचार

अगर लक्षणों को पहचान कर सही समय पर उपचार शुरू किया जाए तो इससे मरीज़ को शीघ्र स्वस्थ होने में मदद मिलती है। क्लेप्टोमेनिया एक जटिल मनोरोग है क्योंकि इसमें डिप्रेशन, बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी, ओसीडी जैसी कई अन्य समस्याओं के भी लक्षण मौज़ूद होते हैं। इसलिए काउंसलिंग और साइकोथेरेपी के साथ मरीज़ को दवाएं भी दी जाती हैं। समस्या दूर होने में एक साल से अधिक समय लग सकता है। उसके बाद भी क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.