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    H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस

    By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee Parvez
    Updated: Mon, 13 Mar 2023 04:26 PM (IST)

    H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस भारत में हर साल फ्लू के सीजन में तेजी से फैलता है। यह इन्फ्लूएंजा-ए का सब-वेरिएंट है जो लोगों को गंभीर रूप से भी संक्रमिक कर सकता है। इसके लक्षणों इलाज और बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए।

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    H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण, इलाज और बचाव के तरीके।

    H3N2, इन्फ्लूएंजा वायरस का ही एक वेरिएंट है। एच3एन2 वायरस मनुष्यों को साल 1968 से परेशान कर रहा है और तब से अब तक इसमें काफी बदलाव भी आ चुके हैं। खासतौर से फ्लू के मौसम में इस वायरस का कहर ज्यादा बढ़ जाता है। हाई -रिस्क ग्रुप जिसमें उम्रदराज लोग, छोटे बच्चे और वह लोग आते हैं जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके लिए खतरा बढ़ जाता है।

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    H3N2 वायरस कैसे फैलता है?

    एच3एन2 इन्फ्लूएंजा को अत्याधिक संक्रामक होता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे में मुंह या नाक से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खांसने या फिर बात करने से निकलने वाली बूंदें दूसरों को संक्रमित कर सकती हैं। इसके अलावा संक्रमित सतह पर हाथ लगाने के बाद उन्हीं हाथों से चेहरे को छू लेने से भी वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। गर्भवती महिलाएं, छोट बच्चे, उम्रदराज लोग और वे लोग जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उनमें इस वायरस की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।

    H3N2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण क्या हैं?

    एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के लक्षणों में बुखार के साथ सर्दी, खांसी और गले का दर्द अहम हैं। वायु प्रदूषण की वजह से एच3एन2 स्ट्रेन के लक्षण और भी खतरनाक हो जाते हैं। यह आसानी से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती है। आईसीएमआर के मुताबिक, यह इन्फ्लूएंजा वायरस मरीज के ऊपरी श्वसन को संक्रमित करता है, जिससे बुखार जैसा महसूस हो सकता है, जो सबसे आम लक्षण भी है। यह लक्षण प्रदूषण की वजह से और भी खराब हो सकते हैं। खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, शरीर में दर्द और दस्त भी इसी वायरस के अन्य लक्षणों में आते हैं।

    कितना गंभीर है H3N2 वायरस?

    जो मरीज एच3एन2 इन्फ्लूएंजा की वजह से अस्पताल में भर्ती होते हैं, उनमें 92 फीसदी लोगों में बुखार, 86 फीसदी में खांसी, 27 फीसदी में सांस लेने में दिक्कत और 16 प्रतिशत लोगों में घरघराहट के लक्षण दिखते हैं। वहीं, 16% मरीजों में निमोनिया के लक्षण दिखते हैं और 6 प्रतिशत दौरों से जूझते हैं। एच3एन2 के 10 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती है और 7 प्रतिशत को आईसीयू केयर की।

    H3N2 इन्फ्लूएंजा आम फ्लू से कैसे अलग है?

    इन्फ्लूएंजा चार तरह के होते हैं- ए, बी, सी और डी। जिनमें से इन्फ्लूएंजा वायरस-ए और बी फ्लू के मौसमी संक्रमण का कारण बनते हैं। यह श्वसन से जुड़ी बीमारी है, जो हर साल होती है। इन्फ्लूएंजा-ए का सबटाइप H1N1, जिसे स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है और H3N2 गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन लोगों की उम्र 50 से ऊपर है और जिनकी उम्र 15 से कम है, उनका इस वायरस की चपेट में आना आसान है। साथ ही वायु प्रदूषण संक्रमण को और खतरनाक बना देता है।

    H3N2 से बचाव के लिए क्या करें और क्या न करें

    इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने बुखार और खांसी को मैनेज करने के लिए दवाइयों का दुरुपयोग न करने की सलाह दी है।

    क्या करें

    • अगर लक्षण नजर आते हैं, तो दिन में कई बार हाथों को साबुन और पानी से धोएं।
    • मास्क पहनें और भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाएं।
    • छींकते और खांसते वक्त मुंह को ढक लें।
    • पानी का सेवन खूब करें।
    • आंखों और नाक को न छुएं।
    • बुखार और बदन दर्द से राहत पाने के लिए डॉक्टर से सलाह करें।

    क्या न करें

    • हाथ न मिलाएं।
    • दूसरों से चिपक कर न खड़े हों।
    • डॉक्टर की सलाह के बगैर कभी भी दवाएं न लें।
    • सार्वजनिक जगहों पर न थूकें।