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    भारतीय महिलाएं होती हैं Cervical Cancer का ज्यादा शिकार, इन जरूरी जांचों से लगा सकते हैं इसका पता

    Updated: Tue, 04 Jun 2024 07:35 AM (IST)

    Cervical Cancer भारतीय महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। इस कैंसर को बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है। आंकडों की मानें तो साल 2019 में भारत में 45000 से ज्यादा महिलाओं की मौत सर्वाइकल कैंसर से हुई थी। ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस से संक्रमण के कारण होता है। हालांकि इसे इलाज के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

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    सर्वाइकल कैंसर के लिए जरूरी जांच (Pic credit- freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सर्वाइकल कैंसर धीरे-धीरे बढ़ने वाला कैंसर है। हालांकि समय पर इसका पता लग जाए, तो इसे बढ़ने से आसानी से रोका जा सकता है। यह कैंसर 90 प्रतिशत से ज्यादा पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता है। सर्वाइकल कैंसर होने के पीछे कई कारण हैं, लेकिन ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण को इसका मुख्य जिम्मेदार माना जाता है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस का एक समूह है, जिसके 100 से भी ज्यादा प्रकार है। जिनमें से लगभग 30 प्रकार तो सिर्फ लैंगिक एरिया को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। 

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    सर्वाइकल कैंसर के कारण

    1. पहले से एचपीवी से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से यह कैंसर फैलता है। इसके अलावा जो महिलाएं एक से ज्यादा पुरुष के साथ यौन संबंध बना चुकी हैं या कम उम्र में संबंध बना चुकी हैं, उन्हें भी सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा होता है।

    2. सिफलिस, क्लैमाइडिया, गोनोरिया से संक्रमित हो चुकी महिलाओं में भी इस कैंसर के होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।

    3. धूम्रपान, तनाव और लंबे समय तक गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल भी सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।

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    सर्वाइकल कैंसर का बचाव और इलाज दोनों संभव है, अगर समय रहते इसका पता लग जाए तो, लेकिन महिलाओं में जागरुकता की कमी से इसकी समय पर जानकारी नहीं मिल पाती और इलाज मुश्किल हो जाता है। एचपीवी वाले ज्यादातर लोगों में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। सर्वाइकल कैंसर से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है नियमित रूप से सर्विकल जांच करवाते रहना। 

    सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट

    सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के सबसे प्रभावी उपायों में एक नियमित स्क्रीनिंग है। इसमें आपके गर्भाशय ग्रीवा के हेल्थ की जांच की जाती है। डॉक्टर या नर्स आपके गर्भाशय ग्रीवा से एक स्वैब का इस्तेमाल करके छोटा सा सैंपल लेते हैं और फिर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस की जांच करते हैं। हर पांच साल में स्क्रीनिंग करवाते रहना चाहिए।

    एसिटिक एसिड (वीआईए)

    एसिटिक एसिड (वीआईए) यानी विजुअल इंस्पेक्शन में जांच जल्द होती है और परिणाम आने में भी कम समय लगता है। इसमें ग्रीवा की जांच बिना किसी उपकरण सिर्फ आंखों से देख कर की जाती है। यह जांच गर्भाशय की ग्रीवा पर 5 प्रतिशत एसिटिक एसिड लगा कर की जाती है। इसके एक मिनट के बाद परिणाम बता दिया जाता है। यह जांच आसान और सस्ता है। वीआईए टेस्ट का परिणाम तुरंत मिल जाता है। इसके लिए लैब जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। 

    (श्रीमती ज्योत्सना गोविल, दिल्ली चैप्टर की अध्यक्ष, इंडियन कैंसर सोसाइटी से बातचीत पर आधारित)

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