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    Heart Disease: क्या होती है कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग, हार्ट पेशेंट के लिए क्यों है जरूरी?

    By Ritu ShawEdited By: Ritu Shaw
    Updated: Sat, 15 Jul 2023 08:12 AM (IST)

    Heart Disease दिल से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। खराब लाइफस्टाइल और स्ट्रेस भरा जीवन हार्ट डिजीज का मुख्य कारण है। ऐसे में कई बार इस ओर ध्यान नहीं जाता और जबतक समस्या का पता लगता है तबतक काफी देर हो चुकी होती है। इस आर्टिकल में हम आपको दिल की सेहत से जुड़ी जांच कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग के बारे में बताएंगे।

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    क्या है कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग, जानें इसके बारे में सबकुछ

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Heart Disease: हार्ट डिजीज इन दिनों तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बनती जा रही है, जो दुनिया भर के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। अनहेल्दी फूड, खराब स्लीप पैटर्न और स्ट्रेस से भरा जीवन लोगों में हृदय रोग का खतरा बढ़ा रहा है। अगर समय रहते इसपर ध्यान न दिया जाए, तो यह काफी गंभीर रूप भी ले सकती है।

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    पुरुषों और महिलाओं में कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, पुरुषों को सीने में दर्द होने की अधिक संभावना होती है। महिलाओं में सीने में तकलीफ के साथ-साथ अन्य लक्षण भी होने की संभावना अधिक होती है, जैसे सांस लेने में तकलीफ, मतली और अत्यधिक थकान। इस आर्टिकल में हम यही जानने की कोशिश करेंगे कि हृदय रोगियों के लिए कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग कैसे फायदेमंद हो सकती है।

    क्या होती है कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग?

    कैल्शियम स्कोर परीक्षण को कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम (सीएसी) स्कोरिंग या कोरोनरी कैल्शियम स्कैन के रूप में भी जाना जाता है। यह एक गैर-आक्रामक इमेजिंग तकनीक है, जिसका इस्तेमाल कोरोनरी धमनियों में जमा कैल्शियम की उपस्थिति और सीमा का आकलन करने के लिए किया जाता है। इस जमाव को कैल्सीफिकेशन कहा जाता है। यह एथेरोस्क्लेरोसिस का संकेत है, जो आर्टरी के वॉल्स में प्लाक का निर्माण करता है।

    कैसे काम करता है कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग?

    कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग के दौरान, दिल की इमेजेस को देखने के लिए एक विशेष सीटी स्कैन किया जाता है। टेस्ट में कोरोनरी धमनियों में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को मापा जाता है और कैल्सीफिकेशन की सीमा और घनत्व के आधार पर कैल्शियम स्कोर का अंदाजा लगाया जाता है। स्कोर की काउंटिंग स्कोरिंग प्रणाली का उपयोग करके की जाती है, आमतौर पर इसे एगेटस्टन स्कोर या वॉल्यूम स्कोर कहते हैं।

    ज़ीरो कैल्शियम स्कोर का मतलब है कि व्यक्ति को कैल्शियम ब्लॉकेज नहीं है। ज़ीरो से सौ (0-100) कैल्शियम स्कोर का मतलब है कि ब्लॉकेज की हल्की संभावना है। सौ से चार सौ (100-400) स्कोर का मतलब है कि ब्लॉकेज की मध्यम संभावना है और चार सौ (400) से अधिक स्कोर का मतलब ब्लॉकेज की संभावना काफी ज्यादा है।

    इसके साथ ही कैल्शियम स्कोर परीक्षण दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी बीमारियों को कम करने में भी मदद करता है। हाई कैल्शियम स्कोर वाले मरीजों को जीवनशैली में बदलाव , मेडिकल थेरेपी की जरूरत पड़ती है।

    कैल्सिफिकेशन को मापने के लिए क्या करें?

    कैल्शियम स्कोर टेस्ट को मापने के लिए धूम्रपान छोड़ने, हृदय-स्वस्थ आहार अपनाने, शारीरिक गतिविधि बढ़ाने, तनाव का प्रबंधन करने और हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर जैसे अन्य जोखिम कारकों को नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है।

    दिल के मरीजों के लिए कैसे जरूरी है कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग?

    कोरोनरी धमनी रोग (CAD) का जल्दी पता लगना: इस टेस्ट के माध्यम से समय रहते पता लगाया जा सकता है कि कोरोनरी धमनियों में कैल्सीफिकेशन की संभावना है या नहीं। इसके अलावा कैल्सिफिकेशन की कितनी मात्रा है इसका भी पता लगाया जा सकता है। प्रारंभिक चरण में कैल्सीफिकेशन की पहचान करके, हृदय रोग के जोखिम वाले व्यक्ति की स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

    जोखिम स्तरीकरण: कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग की मदद से भविष्य में दिल के दौरे या एनजाइना जैसी हृदय संबंधी घटनाओं के जोखिम का अनुमान लगाया जा सकता है।

    उपचार मार्गदर्शन: कैल्शियम स्कोर के रिजल्ट ट्रीटमेंट के लिए सही निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। कैल्शियम स्कोर टेस्टिंग हार्ट पेशेंट के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    • डॉ. रॉकी कथेरिया, सलाहकार - इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल्स, वर्थुर रोड
    • डॉ. विज्ञान मिश्रा, लैब प्रमुख, न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स
    • डॉ. समीर गुप्ता, वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और ग्रुप हेड - कार्डियक कैथ लैब मेट्रो हॉस्पिटल नोएडा - से बातचीत पर आधारित