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क्या है बर्न आउट सिंड्रोम? एक्सपर्ट से जानें इसके कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार

कई बार ज्यादा थकान के कारण लोगों के व्यवहार में बहुत चिड़चिड़ापन आ जाता है और इससे उनकी कार्यक्षमता भी घटने लगती है। सिर्फ प्रोफेशनल ही नहीं पर्सनल लाइफ पर भी इसका असर पड़ने लगता है। क्या यह किसी मनोवैज्ञानिक समस्या के लक्षण हैं? जानेंगे आज इसी बारे में।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:51 AM (IST)
क्या है बर्न आउट सिंड्रोम? एक्सपर्ट से जानें इसके कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार
सिर पर हाथ रखकर बैठा दुखी पुरुष

यह एक ऐसी मनोवैज्ञानिक समस्या का लक्षण है, जिसे अब तक लोग नजरअंदाज कर देते थे। विश्व स्वास्थ्य

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संगठन ने भी इस मनोदशा की पहचान तनाव की वजह से पैदा होने वाली मनोवैज्ञानिक समस्या के रूप में की है, जिसके लिए बर्न आउट सिंड्रोम का नाम दिया जाता है। आज पूरी दुनिया में लगभग 20 प्रतिशत लोग ऐसी मनोदशा से ग्रस्त हैं। यह मर्ज तीन स्तरों पर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है- अत्यधिक थकान, काम से ऊबना, कार्यक्षमता और आत्मविश्वास में कमी के कारण ऑफिस में कमजोर परफॉर्मेंस आदि। इन बातों का लोगों के निजी और प्रोफेशनल लाइफ पर बुरा असर पड़ता है।

बर्न आउट सिंड्रोम का कारण

- अपनी रूचि के अनुकूल करियर का चुनाव न करना

- कार्यस्थल पर खराब माहौल का होना

- तनावपूर्ण पारिवारिक-सामाजिक संबंध भी ऐसी समस्या के लिए जिम्मेदार होते हैं।

- कोई बड़ी आर्थिक परेशानी या कर्ज के बोझ के कारण भी व्यक्ति को बर्न आउट सिंड्रोम हो सकता है।

बर्न आउट सिंड्रोम के लक्षण

- हमेशा ऑफिस की बातों को लेकर मन में बेचैनी रहना।

- पर्याप्त नींद लेने के बाद भी थकान महसूस होना।

- उदासी और डिप्रेशन फील होना।

- ऑफिस पहुंचते ही तनाव का बढ़ना।

- कार्य करने में आलस आना

- प्रोडक्टिविटी में गिरावट

- आत्मविश्वास में कमी

- अति परफेक्शन की आदत

- किसी भी काम को करने पर गहरी असंतुष्टि 

बर्न आउट सिंड्रोम से कैसे करें बचाव

- हमेशा अच्छा और पॉजिटिव सोचें।

- अपने वर्क स्टेशन को कुछ मोटिवेशनल कोट्स से सजाएं।

- पर्याप्त नींद लें। 7-8 घंटे की सुकून भरी नींद बहुत जरूरी है।

- दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने-जुलने का समय जरूर निकालें।

- सोशल मीडिया की निगेटिव से दूर रहें, जो तभी पॉसिबल होगा जब आप इसका कम से कम इस्तेमाल करेंगे।

- अपनी पसंदीदा चीज़ों को करने पर फोकस करें। कुछ नया सीखें जिससे दिमाग व्यस्त रहे।  

(डॉ. श्वेता शर्मा, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, मणिपाल हॉस्पिटल, गुरूग्राम से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- freepik


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