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Sleep & Brain Function: जब नहीं होती नींद पूरी, तो दिमाग़ पर पड़ता है ऐसा असर!

Sleep Brain Function अगर रात में आपकी नींद न पूरी हुई हो और दूसरे दिन आप नींद में ही रहते हैं और काफी चीज़ें समझने में दिक्कत आती है जिसका साफतौर पर मतलब है कि नींद और दिमाग़ के बीच एक गहरा रिश्ता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 09:06 AM (IST)
Sleep & Brain Function: जब नहीं होती नींद पूरी, तो दिमाग़ पर पड़ता है ऐसा असर!
जब नहीं होती नींद पूरी, तो दिमाग़ पर पड़ता है ऐसा असर!

नई दिल्ली, रूही परवेज़। Sleep & Brain Function: नींद एक इंसान की ज़िंदगी का एक चौथाई से एक तिहाई हिस्सा होता है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि जब आप सोते हैं, तो क्या होता है? अगर रात में आपकी नींद न पूरी हुई हो और दूसरे दिन आप नींद में ही रहते हैं और काफी चीज़ें समझने में दिक्कत आती है, जिसका साफतौर पर मतलब है कि नींद और दिमाग़ के बीच एक गहरा रिश्ता है। अगर हम कम सोते हैं, तो हमें कई चीज़ें समझने में दिक्कत आती है, हमने दिनभर में जो कुछ सीखा उसे याद रखने में भी परेशानी आती है। जब आप सोते हैं, तो आपका दिमाग़ वेस्ट प्रोडक्ट्स को बाहर निकालता है, जो काम जगे होने पर अच्छे से नहीं होता।

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दिमाग़ के अलावा नींद पूरे शरीर के लिए ज़रूरी होती है। जब आप नींद पूरी नहीं लेते, तो सेहत से जुड़ी कई दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। अवसाद, दौरे, हाई ब्लड प्रेशर और माइग्रेन जैसे लक्षण शुरू हो जाते हैं। इम्यूनिटी पर असर पड़ता है, जिससे बीमारियां और संक्रमण बढ़ते हैं। नींद मेटाबॉलिज़म में लिए अहम भूमिका निभाती है, एक रात भी अच्छे से न सोने से एक स्वस्थ इंसान में प्रीडायबेटिक जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

नींद की कमी से दिमाग़ पर क्या असर पड़ता है?

मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट एंड मूवमेंट डिसऑर्डर स्पेशलिस्ट, डॉ. पंकज अगरवाल का कहना है, "नींद की कमी आपके दिमाग पर कई तरह से नकारात्मक प्रभाव डालती है। जब आप दिन में 7-8 घंटे की अच्छी नींद नहीं लेते हैं, तो आपकी कॉन्सेंट्रेशन और मेमरी उतनी तेज़ नहीं होती, जितनी ताज़ा नींद के बाद होती है। नींद की कमी से ब्रेन सेल्स के लिए एक दूसरे के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करना मुश्किल हो जाता है, जिससे अस्थायी मानसिक चूक हो जाती है, जो मेमरी और विज्युअल परसेप्शन को प्रभावित करती है। शोध में नींद से वंचित लोगों के अध्ययन से पता चलता है कि न्यूरॉन्स या ब्रेन सेल्स धीमी हो जाती हैं और ब्रेन सर्किट के माध्यम से इम्पल्सेस का संचरण कम हो जाता है, जो समग्र कॉग्निटिव परफॉर्मेंस को प्रभावित करता है। एपिलेप्सी से ग्रसित लोगों में नींद की कमी होने पर दौरे पड़ना आम बात है और इन रोगियों के लिए नींद अपने आप में एक दवा की तरह है। एक अच्छी नींद के लिए एक आरामदायक माहौल, ब्लाइंड्स/पर्दे का उपयोग, बिस्तर के बगल में घड़ी, सोने से ठीक पहले कैफीन या अल्कोहॉल का सेवन न करना मददगार साबित हो सकते हैं।"

जब आप सोते हैं, तो दिमाग़ करता है ज़रूरी काम

मुंबई के मसीना हॉस्पिटल में कंसल्टेंट साइकिएट्रिस्ट, डॉ. मिलन एच. बालकृष्णन ने कहा, " ब्रेन उस वक्त अपनी सफाई करता है, जब हम सोते हैं, जिसमें वेस्ट डिस्पोज़ल विशेष रूप से शामिल होता है और नींद की कमी से काम में ख़लल डाल सकती है। दिमाग़ अपने वेस्ट का डिस्पोज़ल ग्लाइम्फेटिक सिस्टम के ज़रिए करता है। इस सिस्टम द्वारा साफ किए गए वेस्ट डिस्पोज़ल में दिमाग़ में जमा मिसफोल्डेड प्रोटीन के अघुलनशील गुच्छे शामिल होते हैं, ये उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का एक सामान्य हिस्सा होता है और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों में भी आते हैं। उदाहरण के तौर पर, अल्ज़ाइमर रोग ऐसे प्रोटीन के जमाव से जुड़ा है। नींद की कमी फोकस, ध्यान और नई स्मृति निर्माण को भी प्रभावित करती है।"


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