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    क्या है Borderline Personality Disorder जिसमें बार-बार बदलता है मूड और आता है तेज गुस्सा?

    Updated: Sun, 14 Jan 2024 05:06 PM (IST)

    Borderline Personality Disorder दिमाग से शुरू होकर दिमाग पर ही खत्म होने वाला ये बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। अक्सर इस कंडीशन से जूझ रहे लोगों को बहुत तेज गुस्सा आता है और वे डिप्रेशन और चिंता में रहते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इस दिमागी स्थिति इसके लक्षण और इससे जुड़े बचाव के तरीकों के बारे में।

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    बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर की पहचान कैसे करें?

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Borderline Personality Disorder: बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर मेंटल हेल्थ से जुड़ी एक समस्या है। ये व्यक्ति के मूड को पल-पल बदलने, उसे गुस्सा दिलाने, चीजों को लेकर इनसिक्योरिटी पैदा करने का काम करती है। शुरुआती स्टेज में लोग अक्सर इसकी पहचान नहीं कर पाते हैं, लेकिन धीरे धीरे ये स्थिति बढ़ने पर गंभीर मानसिक बीमारी का रूप ले सकती है। कभी-कभी लोगों में उम्र बढ़ने के साथ ये समस्या देखी जाती है। इस रोग से ग्रसित होने पर सोचने-समझने और चीजों पर रिएक्ट करने के तरीके पर काफी असर पड़ता है। आइए जानते हैं बीपीडी के लक्षण और पहचान कैसे करें और इससे बचने के तरीकों के बारे में।

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    ये हो सकते हैं लक्षण

    - इस रोग से ग्रसित लोगों में अक्सर इनसिक्योरिटी देखी जाती है।

    - मूड बहुत तेजी से बदल सकता है, एक पल खुशी तो दूसरे पल उदास महसूस होता है।

    - इस हेल्थ कंडीशन में बात-बात पर गुस्सा आता है।

    - ऐसी बीमारी से पीड़‍ित शख्स किसी से बहुत ज्‍यादा प्‍यार तो साथ ही, हद से ज्‍यादा नफरत भी कर सकता है।

    - बार-बार आत्महत्या के ख्याल आना भी इसके लक्षणों में से एक है।

    - च‍िड़च‍िड़ापन स्‍वभाव का हिस्सा बन जाता है।

    - कई लोग ऐसे में कभी जल्‍दी र‍िश्‍तों को तोड़ देते हैं तो कभी बहुत जल्दी कोई नया रिश्ता बना लेते हैं।

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    क्या हो सकते हैं कारण?

    - हार्मोनल इंबैलेंस भी इसकी एक वजह हो सकती है।

    - फैमिली हिस्ट्री के कारण भी ये रोग आने वाली पीढ़ी में ट्रांसफर हो सकता है।

    - किसी बड़े हादसे जैसे किसी अपने के अचानक जिंदगी से चले जाने या सीरियस फैमिली प्रॉब्लम के कारण भी ये रोग व्यक्ति को पकड़ सकता है।

    कैसे बचें?

    - ज्यादा वक्त अकेले न बिताएं।

    - दोस्तों, परिवार या किसी अपने से अपनी फीलिंग्स शेयर करने की कोशिश करें।

    - अपनी पसंदीदा हॉबी को वक्त देकर देखिए।

    - दिमाग पर ज्यादा जोर न पड़ने दें, कुछ ऐसा करने के लिए खोजिए जिससे आपको खुशी मिलती हो। 

    - अपने अच्छे समय को याद कीजिए। ध्यान रखिए वे पल दोबारा आ सकते हैं, बस आपको अपने दिमाग पर काबू पाना है।

    - मनोरोग व‍िशेषज्ञ से सलाह लेने में बिल्कुल मत झिझकिए। जैसे शरीर बीमार पड़ सकता है वैसे ही दिमाग भी, ये सब काफी नेचुरल है।

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    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

    Picture Courtesy: Freepik