आखिर क्यों होता है वजाइनल इन्फेक्शन, जानें इसकी वजहें, लक्षण, बचाव और उपचार
वजाइना से सफेद रंग का गाढ़ा-बदबूदार डिस्चार्ज खुजली जलन और प्रभावित हिस्से पर लाल रंग के रैशेज़ यीस्ट इंफेक्शन होता है। तो कैसे करें इससे बचाव जानेंगे इसके बारे में...
अधिकतर स्त्रियों को वजाइना में जलन और खुजली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसे यीस्ट या वजाइनल इन्फेक्शन के नाम से जाना जाता है। आखिर क्यों होता है ऐसा और कैसे करें इससे बचाव, आइए जानते हैं एक्सपर्ट के साथ।
किस तरह की शारीरिक दशा को यीस्ट इन्फेक्शन कहा जाता है?
सभी स्त्रियों के वजाइना में कैंडिडा एल्बीकैंस नामक फंगस मौजूद होता है। कई बार इसकी संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ने लगती है, जिससे खुजली, जलन और रैशेज़ जैसी समस्याएं परेशान करती हैं।
ऐसा क्यों होता है?
आमतौर पर इस फंगस से स्त्री के शरीर को कोई नुकसान नहीं होता। शरीर का इम्यून सिस्टम इनकी संख्या को नियंत्रित रखता है लेकिन कई बार एंटीबायोटिक्स के सेवन से हानिकारक के साथ शरीर के लिए आवश्यक बैक्टीरिया भी तेज़ी से नष्ट होने लगता है, जिससे कैंडिडा एल्बीकैंस नामक फंगस को फैलने का पूरा मौका मिल जाता है, नतीजतन स्त्रियों के शरीर में यीस्ट इन्फेक्शन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। पीरियड्स के दौरान पर्सनल हाइजीन का ध्यान न रखने पर भी ऐसी समस्या हो सकती है।
इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों के बारे में बताएं।
वजाइना से सफेद रंग का गाढ़ा-बदबूदार डिस्चार्ज, खुजली, जलन और प्रभावित हिस्से पर लाल रंग के रैशेज़ दिखाई देते है। मर्ज बढऩे पर त्वचा में सूजन और छिलने-कटने की भी आशंका रहती है।
क्या यह सच है कि मेनोपॉज़ के बाद इसकी आशंका बढ़ जाती है?
हां, मनोपॉज़ के बाद स्त्रियों के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजेन नामक फीमेल हॉर्मोन की मात्रा घटने लगती है। दरअसल इसी की वजह से वजाइना में स्वाभाविक ल्यूब्रिकेशन बनाने वाले तत्व का स्राव होता है लेकिन इन हॉर्मोन्स की कमी के कारण ऐसे तत्वों का सिक्रीशन बहुत कम या बंद हो जाता है, जिससे वजाइना में ड्राइनेस की समस्या शुरू हो जाती है और इसी वजह से कुछ स्त्रियों में इस समस्या के लक्षण नज़र आने लगते हैं।
क्या प्रेग्नेंसी के दौरान यीस्ट इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है?
हां, गर्भावस्था में होने वाले हॉर्मोन संबंधी बदलाव के कारण कुछ स्त्रियों में ऐसे लक्षण नज़र आते हैं।
क्या यह सच है कि डायबिटीज़ से पीडि़त स्त्रियों में यीस्ट इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है?
हां, चूंकि डायबिटीज़ होने पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है। इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ों के शरीर में कोई भी इन्फेक्शन बहुत जल्दी पनपता है और सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज़ के मरीज़ों के शरीर से किसी भी संक्रमण को दूर करना थोड़ा मुश्किल होता है। यीस्ट इन्फेक्शन के सबंध में भी यही बात लागू होती है। इसलिए डायबिटीज़ से पीडि़त स्त्रियों को पर्सनल हाइजीन का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।
क्या अधिक मीठा खाने से भी ऐसी समस्या होती है?
यह बात काफी हद तक सही है। यीस्ट नामक फंगस शरीर में मौज़ूद अतिरिक्त शुगर को ही अपना भोजन बना लेता है। इसलिए अधिक मात्रा में मीठी चीज़ों का सेवन करने वाले लोगों में यह इन्फेक्शन होने आशंका बढ़ जाती है।
क्या दही का सेवन इस समस्या से बचाव में मददगार होता है?
यह बात कुछ हद तक सही है। दही में कुछ ऐसे यीस्ट प्रतिरोधी तत्व पाए जाते हैं, जो वजाइना को इन्फेक्शन से बचाने में मददगार होते हैं। अत: इस समस्या के बचाव के लिए अपनी डाइट में दही, छाछ और लस्सी को प्रमुखता से शामिल करें।
यीस्ट इन्फेक्शन से बचाव एवं उपचार के बारे में बताएं।
पीरियड्स के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। अपनी जरूरत के अनुसार 4 से 6 घंटे के अंतराल पर सैनेटरी पैड जरूर बदलें। फ्रेगरेंस वाली पैंटी लाइनर इस्तेमाल न करें। वजाइना को केवल सादे पानी से धोएं, साबुन का इस्तेमाल न करें। अगर पति-पत्नी दोनों में से किसी को भी कोई संक्रमण हो तो सहवास से दूर रहें। स्विमिंग के बाद प्राइवेट पार्ट की सफाई का विशेष ध्यान रखें। बेहतर यही होगा कि संक्रमण के दौरान स्विमिंग से दूर रहें और नहाते समय बाथटब का इस्तेमाल न करें। हमेशा अच्छी क्वॉलिटी के कॉटन अंडरगारमेंट्स का इस्तमेाल करें। ऐसे कपड़ों को वाशिंग मशीन के बजाय हाथों से धोएं और उन्हें हमेशा धूप में सुखाएं। गर्मियों के मौसम में जब अधिक पसीना आता है तब दिन में दो बार अंडरगारमेंट्स बदलें क्योंकि पसीना भी इस इन्फेक्शन के लिए जि़म्मेदार होता है। लंबी यात्रा के दौरान पर्सनल हाइजीन के प्रति विशेष सावधानी बरतें। मिठाई, सॉफ्ट ड्रिंक्स और चॉकलेट, पेस्ट्री जैसी चीज़ों का सेवन सीमित मात्रा में करें। अगर खुजली जैसा कोई लक्षण नज़र आए तो अपने मन से किसी दवा का इस्तेमाल न करें। अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। कुछ दवाओं के सेवन और ऑइंटमेंट के इस्तेमाल से यह समस्या जल्द ही दूर हो जाती है लेकिन उपचार को बीच में अधूरा न छोड़ें और डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी निर्देशों का पालन करें।