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    मोबाइल और लैपटॉप के ज्‍यादा इस्‍तेमाल से कम हाे रही Male Fertility, जानें वजह और बचाव के आसान तरीके

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 11:08 AM (IST)

    लंबे समय तक फोन और लैपटॉप के संपर्क में रहने से पुरुषों में शुक्राणु की कमी हो सकती है। कलकत्ता विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में गिरावट आ रही है। लैपटॉप और मोबाइल से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से यह समस्या और गंभीर हो सकती है।

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    सेहत के ल‍िए खतरनाक है मोबाइल-लैपटॉप का ज्‍यादा इस्‍तेमाल (Image Credit- Freepik)

     सुमन अग्रवाल, नई द‍िल्‍ली। लंबे समय तक फोन, लैपटॉप के संपर्क में रहने वाले पुरुषों में एजोस्पर्मिया यानी क‍ि शुक्राणु का न होना और ओलिगोजोस्पर्मिया यानी शुक्राणुओं की संख्या कम होना जैसी समस्या पाई गई है। कलकत्ता विश्वविद्यालय और प्रजनन चिकित्सक संस्था (आईआरएमएस) के शोध में ये स्पष्ट हुआ है कि मोबाइल के ज्‍यादा इस्तेमाल से शुक्राणुओं की संख्या में कमी और गतिशीलता में गिरावट बढ़ रहे हैं।

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    फोन और लैपटॉप से निकलने वाली रेड‍ियाे फ्रीक्‍वेंसी इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेट‍िक रेड‍िएशन स्‍क्रोटम का तापमान बढ़ा देती है, जिससे ये नुकसान होता है। इस बारे में कलकत्‍ता यून‍िवर्सिटी के प्रोफेसर और शोधकर्ता डॉ. सुजाय घाेष का कहना है क‍ि पॉकेट में पांच घंटे से ज्यादा मोबाइल रखने और गोद में लैपटॉप रखकर काम करने वाले युवाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।

    गंभीर हो रही यह समस्या

    पुरुषों में शुक्राणु का निर्माण होने की स्थिति यानी स्पर्मेटोजेनेसिस और शुक्राणु का संग्रह यानी एपिडीडाइमिस का सामान्य से ज्यादा गर्म होना स्थिति को खराब कर देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वस्थ पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या प्रति मिलिलीटर 15 से 200 मिलियन होनी चाहिए। इससे कम शुक्राणु होने की स्थिति में बांझपन की समस्या हो सकती है। शरीर के सामान्य तापमान से स्पर्म को दो से तीन डिग्री सेल्सियस कम होना जरूरी है।

    ये लगभग 33 से 35 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, इसलिए शरीर के बाहर स्क्रोटम में उनका निर्माण होता है। शोध में पाया गया कि 30 से ज्यादा उम्र के युवाओं में लैपटाॅप, मोबाइल का इस्तेमाल लंबे समय तक करने वालों में शुक्राणुओं की गतिशीलता और संख्या पर गंभीर असर हुआ है।

    लाइफस्‍टाइल में बदलाव जरूरी

    युवाओं की बदलती जीवनशैली और मोबाइल के ज्‍यादा इस्‍तेमाल से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल दिमाग को थका रहा है, आंखों को कमजोर कर रहा है और नींद में भी खलल पैदा कर रहा है। युवाओं में जीवनशैली से जुड़ी सकारात्मकता लाने की जरूरत है, ताकि वे फिट रह सकें और मानसिक, शारीरिक रूप से स्वस्थ बने रहें। वरना लैपटॉप और मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से जुड़ी स्वास्थ्य परेशानियां बढ़ती जाएंगी।

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    फर्टिलिटी बेहतर करने के उपाय

    • साबुत अनाज का सेवन करें और भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं।
    • पर्याप्‍त नींद लें और तनाव से दूर रहें।
    • शराब, सिगरेट जैसे नशीले पदार्थों से दूर रहें।
    • जिंक और फॉलिक एसिड से भरपूर डाइट लें।
    • एंटीऑक्सीडेंट्स के लिए विटामिन सी से भरपूर चीजों को डाइट में शामि‍ल करें।

    इन बातों का रखें ध्यान

    • लैपटॉप का इस्‍तेमाल करते समय नीचे कुशन या पैड का इस्तेमाल करें, ताकि सीधे तौर पर आपके शरीर पर प्रभाव न आए।
    • शरीर से दूरी बनाकर लैपटाॅप पर काम करें। टेबल का प्रयोग बेहतर रहेगा।
    • गोद में मोबाइल रखकर लंबे समय तक इस्तेमाल से बचने का प्रयास करें।
    • मोबाइल को ज्‍यादा देर तक पॉकेट में रखने से बचना चाहिए।

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