Urinary Incontinence: छींकते या एक्सरसाइज करते वक्त यूरिन हो जाता है लीक? तो इसके पीछे हो सकती हैं ये वजहें
Urinary Incontinence छींकने खांसने तेजी से हंसने और कूदने पर पेशाब निकल जाने को यूरिनरी इंकॉन्टिनेंस या यूरिन लीकेज की प्रॉब्लम कहा जाता है। ये समस्या कई वजहों से हो सकती है आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

नई दिल्ली, प्रियंका सिंह। Urinary Incontinence: टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लगभग 65% महिलाएं यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस यानी मूत्र पर नियंत्रण न रख पाने की समस्या से पीड़ित होती है। इस वजह से महिलाओं का रोज का काम भी प्रभावित होता है। सर्दी के मौसम में यह समस्या और बढ़ जाती है।
इस समस्या को लेकर कई लोग एक दूसरे को नहीं बताते हैं क्योंकि उन्हें लक्षणों को बताने में शर्म आती है इसलिए वे चुप्पी साधे रहते हैं। यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस स्ट्रेस, मोटापा, पेल्विक फ्लोर में चोट, न्यूरोलॉजिक संबंधी बीमारी और पहले से ही कोई मूत्र संबंधी बीमारी की वजह से होती है। 1.5 से 5 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 30 से 60 आयु वर्ग की लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं। महिलाओं में यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस की प्रॉब्लम ज्यादा होती है क्योंकि ऑब्सटेट्रिक ट्रॉमा, हिस्टेरेक्टॉमी और मेनोपॉज के साथ-साथ डायबिटीज, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, उम्र बढ़ने और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के कारण महिलाओं में पेल्विक फ्लोर की चोटें होना आम बात हैं। पुरुषों में यह बीमारी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, कॉग्निटिव डिसऑर्डर, दर्दनाक मस्तिष्क की चोट, स्ट्रोक और पोस्ट प्रोस्टेटक्टोमी की वजह से होती है।
डायबिटीज और मोटापा होने से आपके मूत्राशय का कामकाज बाधित हो सकता है। खून में अतिरिक्त शुगर होने से प्यास ज्यादा लगती है, जिससे बार-बार पेशाब आता है। डायबिटीज की वजह से मूत्राशय का नर्व डैमेज भी होता है, इस समस्या को डायबिटिक साइटोपैथिक कहा जाता है।
नर्व डैमेज आंतों और मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली नसों को प्रभावित करती है। यह समस्या सर्दियों में बढ़ जाती है क्योंकि ठंडे मौसम में मूत्राशय के आसपास की मांसपेशियां कस जाती है, जिससे मूत्राशय पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है। गर्म रखने से इन मांसपेशियों को रिसाव या पेशाब करने की इच्छा को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। सर्दियों में हर साल कई लोगों को ब्लैडर से जुड़ी समस्या की शिकायत होती है, जिनमें से 65% महिलाएं होती हैं। इनमें से अधिकांश केस में खानपान में बदलाव करने से इस तरह की समस्या से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें अपने ब्लड शुगर के लेवल को मैनेज करने और मूत्राशय से संबंधित समस्याओं से पीड़ित होने पर मूत्र रोग विशेषज्ञ से कंसल्ट करने की जरूरत होती है।
खानपान का रखें ध्यान
कुछ खाने वाली चीजें, ड्रिंक्स और दवाएं आपके पेशाब करने के तरीके या आप कितना पेशाब करते हैं, आदि को प्रभावित करती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये फैक्टर आपके मूत्राशय को उत्तेजित करते हैं और पेशाब की मात्रा को बढ़ाते हैं। कैफीन, शराब, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, मिर्च, चॉकलेट, आर्टिफिशियल मिठास, चीनी, मसाले या एसिड वाले खाद्य जैसे कि खट्टे फल, हाई ब्लड प्रेशर और मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं, विटामिन सी का ओवर डोज, कब्ज और धूम्रपान से यह समस्या ट्रिगर होती है। अगर इन चीजों को न खाया जाए तो इस समस्या से कुछ हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित सीमा के अन्दर ब्लड शुगर का लेवल बना कर रखना चाहिए।
अच्छी तरह से नियंत्रित ब्लड शुगर कई बीमारियों के ख़तरे को कम कर देता है। इन बीमारियों में नर्व डैमेज शामिल है। नर्व डैमेज से मूत्र असंयमता की समस्या होती है। चाहे आपको बिस्तर से उठने का मन न कर रहा हो फिर भी पेशाब को रोककर न रखें। जितना ज्यादा समय तक आप मूत्राशय में मूत्र को रोक कर रखते हैं, उतने ही समय के साथ आप अपने मूत्राशय की मांसपेशियों को उतना ही ज्यादा कमजोर करते हैं। इससे मूत्र असंयमता की समस्या होती है। पेशाब को रोककर रखने से मूत्राशय में बैक्टीरिया का निर्माण हो सकता है जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो सकता है। अगर आप सर्दी से बचने के लिए 3 से 4 कप चाय या कॉफी पीते हैं, तो इससे आपके ब्लैडर पर असर पड़ सकता है। कैफीन मूत्राशय में जलन पैदा कर सकता है, जिससे पेशाब करने की इच्छा बढ़ जाती है, या पेशाब का रिसाव बढ़ सकता है।
तो इन सारी चीज़ों का ध्यान रखकर काफी हद तक इस समस्या से बचे रहा जा सकता है।
(डॉ पीयूष त्रिपाठी, यूरोलॉजी कंसल्टेंट, रीजेंसी हेल्थ, कानपुर से बातचीत पर आधारित)
Pic credit- freepik
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