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    Smartphone Vision Syndrome: मोबाइल फोन कहीं छीन न ले आपकी आंखों की रोशनी, इन ज़रूरी टिप्स को हमेशा रखें याद

    By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee Parvez
    Updated: Mon, 13 Feb 2023 11:40 AM (IST)

    Smartphone Vision Syndrome अगर आप भी दिनभर करते हैं मोबाइल फोन का इस्तेमाल तो आपके लिए स्मार्टफोन विज़न सिंड्रोम के बारे में जानना बेहद ज़रूरी है। हैदराबाद में इससे जुड़ा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है।

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    Smartphone Vision Syndrome: स्मार्टफोन विज़न सिंड्रोम से बचने के लिए ज़रूरी टिप्स

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Smartphone Vision Syndrome: हैदराबाद के डॉ. सुधीर कुमार ने कुछ समय पहले ट्वीट कर अपनी एक मरीज़ के बारे में जानकारी शेयर की थी, जिसकी स्मार्टफोन की वजह से आखों की रोशनी चली गई थी। वजह थी कई घंटों तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल वह भी अंधेरे में, जिसकी वजह से इस 30 वर्षीय महिला को 18 महीने तक अंधेपन से जूझना पड़ा। महिला के डॉक्टर ने ट्विटर की मदद से इस समस्या के बारे में बताया और साथ ही लक्षणों व बचने के तरीके भी शेयर किए।

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    स्मार्टफोन विज़न सिंड्रोम क्या है?

    स्मार्टफोन विज़न डिसॉर्डर, आंखों से जुड़ी समस्या है, जो लंबे समय तक डिजिटल स्क्रीन के इस्तेमाल की वजह से होता है। इसमें आंखें और दृष्टि से संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यह एक ऐसी समस्या है, जो लगातार तेज़ी से बढ़ रही है। इसकी वजह है मोबाइल फोन्स और टैब का लगातार और लंबे समय तक उपयोग।

    स्मार्टफोन विज़न सिंड्रोम से आंखों को कैसे बचा सकते हैं?

    डॉ. सुधीर कुमार ने आखिर में रोज़ाना स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वालों के लिए ज़रूरी मैसेज भी शेयर किया। उन्होंने बताया कि अपन डिजीटल डिवाइस का उपयोग लंबे समय तक न करें, क्योंकि इससे आपकी आंखों को गंभीर तरह से नुकसान पहुंच सकता है और दृष्टि से जुड़ी दिक्कतें भी शुरू हो सकती हैं। हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड का ब्रेक लें और डिजीटल स्क्रीन को 20 फीट दूर रखें। इसे 20-20-20 नियम भी कहा जाता है।

    इसके अलावा इन बातों का ख्याल रखें

    आंखों रिफ्रेश करने के लिए पलक झपकाना न भूलें

    जब हम कम्प्यूटर पर काम कर रहे होते हैं, तो हम में से ज़्यादातर लोग आंखों को कम झपकाते हैं, जिससे आंखें ड्राई होने लगती हैं। पलकों को झपकने से आंसू बनते है, जो आंखों को नमी देने के साथ तरोताज़ा भी करते हैं। जब भी आप लैपटॉप या किसी भी तरह की स्क्रीन का इस्तेमाल कर रहे हों, तो पलकों को हर थोड़ी देर में झपकाना न भूलें।

    लाइट्स सही रखें

    जब भी टीवी देख रहे हों या फिर लैपटॉप पर काम कर रहे हों, तो बेहतर है कि कमरे में रोशनी ठीक रखें। ज़्यादा तेज़ लाइट या फिर अंधेरे में देखने से आंखों पर काफी ज़्यादा स्ट्रेन पड़ता है, जिससे आंखें कमज़ोर होती हैं।

    फॉन्ट्स को हमेशा बड़ा रखें

    लैपटॉप की स्क्रीन के फॉन्ट्स और ब्राइटनिंग को हमेशा कम्फर्टेबल लेवल पर रखें ताकि आंखों पर स्ट्रेन न पड़े। अपनी स्क्रीन की सेटिंग ठीक से अडजस्ट करें।

    स्क्रीन टाइम का ध्यान रखें

    खासतौर पर बच्चों के स्क्रीन पर नज़र रखना ज़रूरी है। ज़रूरत से ज़्यादा स्क्रीन पर देखते रहने से आंखे थक जाती हैं और उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता। इसलिए आंखों के आराम के बारे में ज़रूर सोचें।

    मॉनिटर को पास न रखें

    आपके लैपटॉप या कम्प्यूटर की स्क्रीन एक हाथ की दूरी पर होनी चाहिए। साथ ही मॉनिटर आपकी आंखों से ज़्यादा नीचे नहीं होना चाहिए। आप चाहें तो अपनी कुर्सी को भी अडजस्ट कर सकते हैं।

    डॉक्यूमेंट होल्डर का इस्तेमाल करें

    आप चाहें तो डॉक्यूमेंट होल्डर का भी उपयोग कर सकते हैं। ऐसे कई होल्डर्स होते हैं, जो कम्प्यूटर और कीबोर्ड के बीच में रखने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। इससे मॉनिटर भी दूर रहेगा और आप ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स को पास रख सकेंगे।

    हवा की गुणवत्ता में सुधार करें

    घर के अंदर अगर ड्राइनेस है, तो इससे भी आपकी आंखों में ड्राइनेस हो सकती हैं। इसके लिए ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल कर सकते हैं। स्मोक करने से भी बचें।

    इस बीमारी के लक्षण क्या होते हैं?

    30 वर्षीय इस महिला को अंधेरे में कई घंटों तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की वजह से करीब डेढ़ साल तक अंधेपन से जूझना पड़ा। हैदराबाद के डॉक्टर जिन्होंने इस महिला का इलाज किया, ने इसके लक्षण भी शेयर किये। उन्होंने बताया कि अगर आप भी लंबे समय तक फोन का उपयोग करते हैं, तो फ्लोटर्स, विज़न में स्पॉट्स, तेज़ रोशनी के फ्लैशेज़, ज़िग-ज़ैग लाइनें और किसी चीज़ पर फोकस कर देख पाने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं। डॉक्टर ने ट्वीट कर बताया कि महिला को क्या हुआ था और उसका इलाज कैसे किया गया था।

    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

    Picture Courtesy: Freepik