पैसों की बर्बादी हैं ये 5 सप्लीमेंट्स, डॉक्टर ने दी इन्हें खरीदने से बचने की सलाह
क्या आप जानते हैं कि बाजार में ऐसे कई सप्लीमेंट्स मौजूद हैं जो केवल मार्केटिंग का हिस्सा हैं और उनसे आपको कोई खास फायदा नहीं मिलता? जी हां एक्सपर्ट का मानना है कि ये सप्लीमेंट्स (Supplements To Avoid) सिर्फ पैसों की बर्बादी हैं और इनकी जगह सही खान-पान पर ध्यान देना ज्यादा फायदेमंद है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल सोशल मीडिया और विज्ञापनों में तरह-तरह के सप्लीमेंट्स का खूब प्रचार किया जाता है। हर ब्रांड अपने प्रोडक्ट को मैजिकल बताता है। कभी जवान बनाए रखने का दावा, कभी वजन घटाने का तो कभी ग्लोइंग स्किन का झांसा, लेकिन क्या वाकई ये सप्लीमेंट्स उतने असरदार हैं, जितना बताया जाता है?
सच्चाई यह है कि ज्यादातर दावे विज्ञान की कसौटी पर टिकते ही नहीं। आइए डॉ. संतोष जैकब से जानते हैं उन 5 सप्लीमेंट्स (Supplements To Avoid Buying) के बारे में जिन पर पैसे खर्च करना बिल्कुल बेकार है।
कोलेजन सप्लीमेंट
अक्सर कहा जाता है कि कोलेजन खाने से स्किन टाइट और शाइनी हो जाती है, लेकिन सच यह है कि जब आप कोलेजन खाते हैं, तो यह आपके पाचन तंत्र में टूटकर सिर्फ अमीनो एसिड बन जाता है। यह सीधे आपकी त्वचा तक नहीं पहुंचता। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि त्वचा पर असर दिखाने के लिए प्रोटीन से भरपूर आहार और विटामिन C कहीं ज्यादा कारगर हैं। हां, कोलेजन के कुछ फायदे जोड़े की सूजन कम करने और हड्डियों की सुरक्षा तक सीमित पाए गए हैं, बस उससे आगे नहीं।
फैट बर्नर
बाजार में बिकने वाले ज्यादातर 'फैट बर्नर' सप्लीमेंट्स असल में कैफीन से भरे होते हैं। ये आपको अस्थायी ऊर्जा तो देते हैं, लेकिन लंबे समय तक फैट कम करने में कोई मदद नहीं करते। वजन घटाने का एकमात्र स्थायी तरीका है- बैलेंस डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज। बिना लाइफस्टाइल बदले केवल कैप्सूल से पतले होने का सपना बेकार है।
एंटी-एजिंग सप्लीमेंट्स
आजकल NAD+, NMN और NR जैसे सप्लीमेंट्स को 'एंटी-एजिंग' का जादू बताया जाता है। जानवरों पर हुए शोध में इनके कुछ फायदे दिखे हैं, लेकिन इंसानों पर नतीजे बेहद कमजोर और अधूरे हैं। इसके बावजूद कंपनियां इन्हें बुढ़ापा रोकने का दावा कर महंगे दामों में बेचती हैं। सच तो यह है कि अभी तक इनके प्रभाव को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।
डिटॉक्स टी और जूस क्लीन्ज
डिटॉक्स नाम सुनकर ज्यादातर लोगों को लगता है कि शरीर से सारी गंदगी बाहर निकल जाएगी, लेकिन हकीकत यह है कि हमारे लिवर और किडनी पहले से ही 24x7 शरीर को साफ करने का काम कर रहे हैं। डॉक्टर का कहना है कि महंगी डिटॉक्स टी या जूस सिर्फ आपके वॉशरूम विजिट बढ़ाते हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं।
डिजाइनर प्रोबायोटिक
कुछ प्रोबायोटिक्स पाचन में मदद करते हैं, लेकिन वजन घटाने या डिटॉक्स जैसे बड़े दावों के पीछे ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं। डॉक्टर कहते हैं कि भारत में ढीले नियमों के चलते कंपनियां 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की बोतलें बेच देती हैं। ज्यादातर मामलों में मार्केटिंग, साइंस से कहीं आगे निकल जाती है।
सप्लीमेंट्स लें या नहीं?
सच्चाई यह है कि हमारी जरूरत का ज्यादातर पोषण बैलेंस डाइट से ही मिल सकता है। सिर्फ वही सप्लीमेंट सच में जरूरी है, जिसकी डॉक्टर आपको सलाह दे- जैसे कि Vitamin-D, जिसकी कमी भारत में आम है या फिर Vitamin-B12 जैसे सप्लीमेंट्स। डॉक्टर बताते हैं बाकी किसी भी सप्लीमेंट से ज्यादा असरदार है- सही खानपान, पर्याप्त नींद और रेगुलर एक्सरसाइज। यही असली हेल्थ मंत्र है, बाकी सब सिर्फ दिखावा।
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