Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mental Health के लिए खतरा बन सकती है दिल की बात दबाने की आदत, भुगतने पड़ सकते हैं कई गंभीर नुकसान

    Updated: Wed, 06 Nov 2024 08:00 AM (IST)

    कभी ऐसा लगा है कि आप अपनी बातों को शब्दों में ढाल नहीं पा रहे? अगर हां तो आप अकेले नहीं हैं। भावनाओं को दबाना (Emotional Suppression) कई बार Mental health से जुड़ी समस्याओं का संकेत होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि ताजा स्टडी इस बारे में क्या कुछ कहती है और इससे बचाव के लिए शोधकर्ता किन तरीकों को अपनाने की सलाह देते हैं।

    Hero Image
    आप भी छिपाते हैं दिल की बात, तो जानें कैसे Mental Health को हो सकता है नुकसान (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बातचीत करना इंसानों के लिए उतना ही जरूरी है जितना सांस लेना। जब हम अपने विचारों और भावनाओं को दूसरों के साथ साझा नहीं कर पाते, तो हमारा मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। खासतौर पर जब कोई करीबी व्यक्ति हमारी भावनाओं को समझने में असमर्थ होता है, तो हम अकेलापन और निराशा महसूस कर सकते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन क्या ये सिर्फ एक संयोग है? मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ये संचार समस्याएं बार-बार होती हैं, तो शायद इसका कारण सिर्फ दूसरों की उदासीनता नहीं है। हो सकता है कि हमारी सोचने समझने की क्षमता में कोई बदलाव हो रहा हो। हाल ही में कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया है कि हमारे सामाजिक संबंधों को समझने की क्षमता और हमारी मेंटल हेल्थ के बीच गहरा संबंध है।

    सामाजिक संज्ञान को समझना है जरूरी

    सामाजिक संज्ञान एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है जो हमें दूसरों की भावनाओं, इरादों, विश्वासों और सोचने के तरीकों को समझने में सक्षम बनाती है। यह प्रक्रिया हमें न केवल दूसरों के साथ जुड़ने में मदद करती है बल्कि हमें यह भी समझने में मदद करती है कि वे हमारे व्यवहार पर कैसे प्रतिक्रिया करेंगे। सामाजिक संज्ञान हमें सामाजिक स्थितियों को नेविगेट करने और दूसरों के साथ सार्थक संबंध बनाने में सहायता करती है।

    यह भी पढ़ें- शरीर में दिखाई देने वाले ये 5 संकेत बताते हैं कि Mental Health की ओर ध्यान नहीं दे रहे आप

    सोशल स्किल्स पर पड़ता है गहरा असर

    मेंटल हेल्थ से जुड़े डिसऑर्डर अक्सर लोगों की सोशल स्किल्स को प्रभावित करते हैं। इन विकारों से ग्रस्त लोग दूसरों की भावनाओं को समझने और अपनी भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।

    शोध से यह स्पष्ट है कि कई मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर जैसे डिप्रेशन, बायपोलर डिसऑर्डर और स्किज़ोफ्रेनिया में सामाजिक कौशल में कमी एक आम लक्षण है। डिप्रेशन में, व्यक्ति अक्सर खुद को दूसरों से अलग-थलग महसूस करते हैं और संवाद करने में रुचि खो देते हैं। बायपोलर डिसऑर्डर में, मूड स्विंग्स के कारण सामाजिक संबंधों में अस्थिरता आ सकती है। स्किज़ोफ्रेनिया में, भ्रम और मतिभ्रम जैसे लक्षणों के कारण व्यक्ति दूसरों पर अविश्वास करने लगते हैं और सामाजिक बातचीत से बचने लगते हैं।

    लोगों के साथ तालमेल बैठाने में मुश्किल

    जिन लोगों को बायपोलर डिसऑर्डर होता है, उन्हें दूसरों के साथ तालमेल बिठाने में थोड़ी मुश्किल होती है। वे दूसरों की बातों को ठीक से नहीं समझ पाते और अपनी भावनाओं को सही तरह से बताने में भी हिचकिचाते हैं। इस वजह से, उन्हें दोस्ती करना या समूह में शामिल होना मुश्किल लग सकता है।

    दूसरों की भावनाओं को समझें

    कभी-कभी हम दूसरों की भावनाओं को अच्छे से नहीं समझ पाते हैं। लेकिन आप चिंता न करें क्योंकि इस समस्या को दूर करने के कई तरीके हैं।

    प्रैक्टिस करें

    हम कुछ खास तरह के अभ्यास करके दूसरों की भावनाओं को समझने में बेहतर हो सकते हैं। जैसे, हम यह जानने की कोशिश कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति कैसे महसूस कर रहा है।

    कहानियां पढ़ें

    कहानियां पढ़ने से भी हम दूसरों के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। कहानियों में पात्र होते हैं जिनकी अपनी भावनाएं होती हैं। जब हम कहानियां पढ़ते हैं, तो हम इन पात्रों की भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं।

    इन तरीकों से हम दूसरों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनके साथ अच्छे रिश्ते बना सकते हैं।

    यह भी पढ़ें- Mental Health के लिए जरूरी है Digital Detox, यहां जानें इसे करने के कुछ आसान टिप्स