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    दूसरी लहर के बाद मरीजों में देखने को मिल रहे हैं सोमाटोफॉर्म के लक्षण, जानें इसकी वजहें एवं उपचार

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Mon, 02 Aug 2021 08:40 AM (IST)

    सोमा एक ग्रीक वर्ड है जिसका अर्थ होता है शरीर। कई शारीरिक लक्षण एक साथ आते हैं जो कि असलियत में नहीं होते सिर्फ दिमाग को ही ऐसा लगता है। इसका पता शारीरिक जांच या लैब टेस्ट में नहीं चलता। सारी रिपोर्ट नॉर्मल आती है।

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    दोनों हाथ से मुंह छिपाए हुए महिला

    कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से ज्यादा खतरनाक थी जिसने संक्रमण के बाद ही कई तरह की परेशानियां दी। ब्लैक और येलो फंग्स का लोगों ने सामना किया लेकिन कई और दूसरी समस्याएं अब भी लोगों का पीछा नहीं छोड़ रही हैं। संक्रमण से उबर चुके लोग लंग्स, हार्ट, किडनी, लीवर के अलावा सबसे ज्यादा मेंटल प्रॉब्लम्स झेल रहे हैं। जिसका कई बार तो उन्हें पता भी नहीं चलता। प्रॉब्लम बढ़ जाने पर डॉक्टर के पास जाते हैं जो उन्हें आवश्यकतानुसार मानसिक रोग विशेषज्ञों से मिलने की सलाह देते हैं। मानसिक रोग विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रेस, साइकोसिस, ओसीडी समेत सोमाटोफॉर्म इफेक्ट लोगों में उभर कर सामने आ रहे हैं।

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    सोमोटोफॉर्म इफेक्ट के लक्षण

    सोमा एक ग्रीक वर्ड है जिसका अर्थ होता है शरीर। सोमोटोफॉर्म इफेक्ट कई तरह का हो सकता है।

    - गहरी सांस लेना व इसमें रूकावट आना

    - दम घुटना

    - पेट दर्द

    - बार-बार शौच जाना

    - मिर्गी जैसे दौरे पड़ना

    - बार बार लकवा होना

    - अचानक हाथ पैरों में कमजोरी का एहसास

    कई शारीरिक लक्षण एक साथ आते हैं, जो कि असलियत में नहीं होते सिर्फ दिमाग को ही ऐसा लगता है। इसका पता शारीरिक जांच या लैब टेस्ट में नहीं चलता। सारी रिपोर्ट नॉर्मल आती है।

    पुरुषों की बजाय महिलाओ में यह प्रॉब्लम 5 से 20 गुना तक ज्यादा होती है। आमतौर पर 30 साल से ज्यादा उम्र में यह प्रॉब्लम होती है।

    सोमेटोफॉर्म के प्रकार

    - सोमेटीजेशन डिसऑर्डर

    - हाइपोकन्ड्राइअसिस (रोगभम्र)

    - पेन डिसऑर्डर

    - कन्वर्जन डिसऑर्डर

    वजह

    - बहुत ज्यादा स्ट्रेस

    - फैमिली हिस्ट्री

    - एल्कोहल और ड्रग्स का बहुत ज्यादा सेवन

    सोमोटोफॉर्म का उपचार

    फिजिकल के साथ मेंटल एक्टिविटीज़ को बढ़ाएं।

    अपनी मनपसंद चीज़ों को करने में वक्त बिताएं।

    काम जरूरी है लेकिन इसे लेकर बहुत ज्यादा तनाव में न रहें।

    मेडिटेशन जरूर करें। यूट्यूब पर मेडिटेशन के वीडियोज़ मौजूद हैं उन्हें देखें और प्रैक्टिस करें।

    डॉक्टर से सलाह के बाद अगर किसी तरह की दवाइयां सजेस्ट की जाएं तो उसे लें।

    अपने आप से कोई दवाइयां न लें।

    Pic credit- Pixabay