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    कहीं आपके बच्चे को कलर ब्लाइंडनेस तो नहीं? एक्सपर्ट के बताए इन लक्षणों से करें पहचान

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 11:33 AM (IST)

    बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस (Color Blindness in Kids) का पता अक्सर काफी देर से लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे इस परेशानी के बारे में ठीक से समझ नहीं पाते हैं। लेकिन इसके कारण उन्हें रोजमर्री के काम करने में परेशानी हो सकती है। आइए जानें बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण कैसे होते हैं?

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    कलर ब्लाइंडनेस की कैसे करें पहचान? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कलर ब्लाइंडनेस एक ऐसी कंडीशन है जिसमें व्यक्ति को कुछ खास रंगों के बीच अंतर करने में परेशानी होती है। यह समस्या (Color Blindness in Kids) बच्चों में भी हो सकती है, लेकिन अक्सर माता-पिता को इसका पता नहीं चल पाता क्योंकि बच्चे खुद इस समस्या को समझ नहीं पाते।

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    अगर समय रहते इसकी पहचान कर ली जाए, तो बच्चे की शिक्षा और रोज के कामों में होने वाली परेशानियों को कम किया जा सकता है। आइए डॉ. पवन गुप्ता (सीनियर कैटरैक्ट एंड रेटिना सर्जन, आई 7 हॉस्पिटल लाजपत नगर, और विजन आई क्लिनिक नई दिल्ली) से जानते हैं कि बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण (Color Blindness Symptoms in Children) कैसे होते हैं।

    कलर ब्लाइंडनेस क्या है?

    कलर ब्लाइंडनेस, जिसे Color Vision Deficiency (CVD) भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को लाल, हरा, नीला या इससे मिलते रंगों को पहचानने में दिक्कत होती है। यह समस्या जेनेटिक या किसी बीमारी, चोट या दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण भी हो सकती है।

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    बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस के प्रकार

    • रेड-ग्रीन कलर वीजन डेफिशिएंसी- यह सबसे आम प्रकार है, जिसमें बच्चे लाल और हरे रंग में अंतर नहीं कर पाते।
    • ब्लू-येलो कलर वीजन डेफिशिएंसी- इस प्रकार में नीले और पीले रंग को पहचानने में दिक्कत होती है।
    • टोटल कलर वीजन डेफिशिएंसी- यह रेयर कंडीशन है, जिसमें बच्चे को कोई भी रंग नहीं दिखाई देता और दुनिया सिर्फ काले, सफेद और ग्रे रंगों में नजर आती है।

    बच्चों में कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण

    • रंगों को गलत पहचानना- जैसे लाल और हरे रंग को एक जैसा बताना।
    • ड्रॉइंग या कलरिंग में गलतियां करना- जैसे पेड़ को भूरे रंग से या आकाश को हरे रंग से भरना।
    • रंगीन चीजों में रुचि कम होना- क्योंकि उन्हें रंग सही तरह से नहीं दिखते।
    • लाइट सेंसिटिविटी- कुछ बच्चों को तेज रोशनी सहन नहीं होती।
    • पढ़ाई में दिक्कत- खासकर ऐसे विषयों में जहां रंगों की पहचान जरूरी हो, जैसे नक्शे, ग्राफ या चार्ट पढ़ने में।

    क्या कलर ब्लाइंडनेस का इलाज संभव है?

    जेनेटिक कलर ब्लाइंडनेस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कुछ स्पेशल कलर-करेक्टिंग ग्लासेस मददगार हो सकते हैं। लेकिन एक्वायर्ड कलर ब्लाइंडनेस का कारण अगर किसी बीमारी, चोट या दवा के साइड इफेक्ट से है, तो उसका इलाज करके स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

    माता-पिता कैसे मदद कर सकते हैं?

    • बच्चे को डांटें नहीं, बल्कि उसकी समस्या को समझें।
    • स्कूल के शिक्षकों को इस बारे में सूचित करें ताकि वे बच्चे की पढ़ाई में मदद कर सकें।
    • रंगों के बजाय लेबल या पैटर्न का इस्तेमाल करके बच्चे को चीजें पहचानने में मदद करें।

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