शाम ढलते ही बढ़ जाता है तनाव? कहीं ये Sunset Anxiety तो नहीं; इन लक्षणों से करें पहचान
Sunset Anxiety Care Tips सनसेट एंग्जाइटी शाम के वक्त होने वाली उदासी और बेचैनी होती है। ये ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिलती है जो पहले से ही डिप्रेशन और तनाव से जूझ रहे होते हैं। इससे बचने के लिए अपनी डेली रूटीन को सही करना चाहिए। कुछ मामलों में यह बुजुर्गों या अल्जाइमर रोगियों में भी देखने को मिलती है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शाम ढलते ही कुछ लोगों को बेचैनी, घबराहट और उदासी सी महसूस होने लगती है। इसे Sunset Anxiety कहा जाता है। दरअसल यह एक मानसिक अवस्था है, जिसमें उस शख्स को सूर्य अस्त के समय चिंता, अकेलापन या असहजता महसूस होती है। यह समस्या खासतौर पर उन लोगों में ज्यादा देखी जाती है जो डिप्रेशन, एंग्जायटी या किसी भावनात्मक तनाव से गुजर रहे होते हैं।
कुछ मामलों में यह बुजुर्गों या अल्जाइमर रोगियों में भी देखने को मिलती है। दिनभर की हलचल के बाद जब शाम का सन्नाटा बढ़ने लगता है, तो यह समस्या अपना पैर पसारने लगती है। इसका कारण दिमाग में होने वाले केमिकल बदलाव, लाइफस्टाइल और मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, सही रूटीन, रिलैक्सेशन टेक्निक्स और कुछ लाइफस्टाइल में बदलाव कर इसे समस्या से निजात पाया जा सकता हे। इस समस्या की आप कुछ लक्षणों से पहचान कर सकते हैं। आइए Sunset Anxiety के बारे में विस्तार से जानते हैं-
क्या है सनसेट एंग्जाइटी
शाम होते ही अगर आपको बेचैनी या घबराहट महसूस होने लगती है तो यह सनसेट एंग्जायटी है। दरअसल यह एक मानसिक स्थिति हाेती है, जिसमें सूरज ढलने के साथ चिंता और तनाव बढ़ने लगता है। कई लोग इस समय अकेलापन महसूस करने लगते हैं। ये आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है।
ये हैं Sunset Anxiety के आम लक्षण
- शाम और अंधेरा होते ही चिंता और बेचैनी बढ़ना।
- सूरज ढलने के समय मनका उदास होना।
- शाम होते ही मन में निगेटिव विचार आना।
- हमेशा लोनलीनेस फील होना।
- दिल की धड़कनों का अचानक से तेज हो जाना।
- सूर्यास्त के समय पसीना आना।
- हाथ पैरों कांपना भी इसके लक्षण हैं।
- शाम होते ही सांस फूलने लगना।
- शाम के समय किसी भी काम में ध्यान न लगना।
- प्रॉपर नींद न आना या बीच-बीच में नींद का टूटना।
- लोगों से दूरी बनाना।
- ओवरथिंकिंग का शिकार होना।
Sunset Anxiety के कारण
जो लोग पहले से ही चिंता या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, उन्हें शाम के समय इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। डिप्रेशन या कोई अन्य डिसऑर्डर जैसी समस्याएं Sunset Anxiety को बढ़ावा देती है। काम और व्यक्तिगत जीवन की जिम्मेदारियों का दबाव शाम को बढ़ सकता है। इससे भी चिंता और तनाव का स्तर बढ़ जाता है। अगर आपका पास्ट बहुत अच्छा नहीं रहा है तो भी उसकी याद का असर सनसेट एंग्जाइटी को बढ़ा सकता है।
बचाव के तरीके
- रात को सोने से पहले आपके दिमाग में जो भी चल रहा है, उसे एक डायरी में लिखें। इससे आपका माइंड रिलैक्स होगा।
- रोज सोने से पहले कोई रिलैक्सिंग पॉडकास्ट सुनें या गाना सुनें। इससे आपकी बॉडी और माइंड दोनों रिलैक्स होंगे।
- सोने से कम से कम एक घंटे पहले फोन बंद करके दूर रख दें। फोन चलाने से दिमाग को आराम नहीं मिलता और एंग्जायटी का खतरा बढ़ जाता है।
- शाम में या सोने से पहले आप 10 मिनट मेडिटेशन कर सकते हैं। ये आपके दिमाग को शांत करता है, जिससे आपकी सेहत को फायदा मिलता है और आपको अच्छी नींद भी आती है।
- अपने बेडरूम को हमेशा साफ रखें ताकि पॉजिटिविटी बनी रहे।
- सूरज ढलते ही प्राकृतिक जगहों पर समय बिताएं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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