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    उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करने के लिए रोजाना करें सुदर्शन क्रिया

    By Umanath SinghEdited By:
    Updated: Thu, 25 Mar 2021 10:57 PM (IST)

    सुदर्शन क्रिया हिंदी के दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ सु यानी सही और दर्शन यानी देखना है। इस योग का अभिप्राय सही चीज़ देखना है। इस योग को करने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। खासकर तनाव और अवसाद ग्रस्त लोगों को सुदर्शन क्रिया जरूर करना चाहिए।

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    भस्त्रिका प्राणायाम में तेज गति में सांस ली और छोड़ी जाती है।

    दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र प्रदान किया है। इस चक्र का उपयोग भगवान विष्णु ने द्वापर युग में उनके भगवान श्रीकृष्ण के अवतार में किया था। इस समय उन्होंने सुदर्शन चक्र की मदद से कई दानवों का वध किया था। यह चक्र एक बार लक्ष्य भेदन के बाद स्वतः वापस लौट आता है। इसलिए इस योग क्रिया का नाम सुदर्शन रखा गया है। यह क्रिया चार तरह से की जाती है, जो क्रमशः उज्जयी प्राणायाम,  भस्त्रिका प्राणायाम, ओम का जाप और क्रिया योग हैं। सुदर्शन क्रिया हिंदी के दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ सु यानी सही और दर्शन यानी देखना है। इस योग का अभिप्राय सही चीज़ देखना है। इस योग को करने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। खासकर तनाव और अवसाद ग्रस्त लोगों को सुदर्शन क्रिया जरूर करना चाहिए। इससे तनाव दूर होता है, शरीर की थकान दूर हो जाती है, मानसिक समस्याओं का निपटारा होता है। साथ ही कई बीमारियों में भी यह योग लाभकारी है। अगर आपको इस योग क्रिया के बारे में नहीं पता है तो आइए जानते हैं कि सुदर्शन क्रिया कैसे करें और क्या इसके फायदे हैं-

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    -भस्त्रिका प्राणायाम करने के बाद ॐ मंत्र का जाप करें। इसके लिए आप ध्यान मुद्रा में बैठकर अपने मन मस्तिष्क को नाक के अग्र भाग पर केंद्रित कर ॐ मंत्र का जाप करें। इस जाप को करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

    -अंत में क्रिया योग किया जाता है। इस क्रिया में भस्त्रिका प्राणायाम को दोहराया जाता है। इस योग को करने से नींद अच्छी आती है और रक्तचाप नियंत्रित रहता है।

    -उज्जयी प्राणायाम का उद्देश्य वायु पर नियंत्रण करना होता है। इसके लिए ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं और सांस लेते समय अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। इस क्रिया को रोजाना करें।

    -भस्त्रिका प्राणायाम में तेज गति में सांस ली और छोड़ी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस क्रिया को अपनी क्षमता अनुसार करना चाहिए।

    डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।