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    कंट्रोल में रखना चाहते हैं अपना Blood Sugar, तो सिर्फ खाने का ही नहीं वर्कआउट के समय का भी रखें ध्यान

    Updated: Thu, 01 Aug 2024 10:29 AM (IST)

    Diabetes एक गंभीर समस्या हैजो तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है। यह एक लाइलाज बीमारी है जिसे दवाओं और लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों की मदद से कंट्रोल किया जाता है। डायबिटीज में Blood Sugar लेवल कंट्रोल करना जरूरी होता है। हाल ही में सामने आई एक स्टडी में पता चला कि वर्कआउट का समय ब्लड शुगर को प्रभावित करता है।

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    वर्कआउट और ब्लड शुगर का कनेक्श (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्वस्थ शरीर के लिए पौष्टिक आहार के साथ एक्टिव लाइफस्टाइल और नियमित वर्कआउट बहुत जरूरी है। बात अगर डायबिटीक व्यक्ति की हो, तो एक्सरसाइज और वर्कआउट और भी जरूरी हो जाता है। डायबिटीक व्यक्ति को शुगर लेवल संतुलित रखने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में कुछ अन्य बदलाव करने चाहिए, जिससे शुगर स्पाइक न हो और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं न शुरू हो जाएं।

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    लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्कआउट के समय के अनुसार भी ब्लड शुगर लेवल प्रभावित होता है! हम किस समय खा रहे हैं, इसका शुगर लेवल पर तो प्रभाव पड़ता ही है, लेकिन एक्सरसाइज के समय से भी शुगर लेवल प्रभावित होता है। ऐसा हम नहीं, बल्कि हाल ही में आई एक स्टडी में सामने आया है। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार दोपहर या शाम के समय वर्कआउट करने से शुगर लेवल तेजी से कम होता है। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार में-

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    क्या कहती है स्टडी?

    जर्नल डायबिटोल्जिया में छपी एक स्टडी के अनुसार सुबह की तुलना में दोपहर और शाम में वर्कआउट करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस 25% तक अधिक कम होता है। इस स्टडी में ये भी पाया गया कि मध्यम से तीव्र इंटेंसिटी के वर्कआउट करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस के साथ फैटी लिवर की समस्या से भी राहत मिलती है।

    क्या है इंसुलिन रेजिस्टेंस?

    इंसुलिन पैंक्रियाज में बनने वाला एक हार्मोन है। ये ग्लूकोज या ब्लड शुगर को शरीर की कोशिकाओं तक जाने में मदद करता है जहां ये एनर्जी के रूप में बदल दिए जाते हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस तब होता है, जब शरीर में मौजूद सेल्स इंसुलिन के प्रति अपनी प्रतिक्रिया नहीं देती हैं और इनसे ग्लूकोज नहीं लेती हैं।

    अगर इंसुलिन रेजिस्टेंस हाई है, तो इसका मतलब ये हुआ कि पैंक्रियाज को और इंसुलिन बनाने के लिए अधिक मेहनत करना होगा, जिससे ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश कर सकें। इंसुलिन रेजिस्टेंस हाई होने से प्री-डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। बढ़ती उम्र, मोटापा या जेनेटिक कारणों से भी ये हाई हो सकता है।

    इन बातों का रखें ध्यान

    इसलिए शारीरिक गतिविधि से ब्लड शुगर और ग्लूकोज का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम किया जा सके। हालांकि, नए शोध और रिसर्च के बाद जब यह बात सामने आई है कि वर्कआउट के समय का भी ब्लड शुगर लेवल पर असर पड़ता है, तो बेहतर होगा कि हम वर्कआउट दोपहर से शाम के समय में ही करें, जब इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होने की संभावना अधिक हो।

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