Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली की जहरीली हवा का 'जेंडर' कनेक्शन, महिलाओं से ज्यादा पुरुषों के फेफड़ों में भर रहा है जहर

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 11:50 AM (IST)

    दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक गंभीर समस्या है। एक अध्ययन के अनुसार, पुरुषों के फेफड़ों में महिलाओं की तुलना में ज्यादा प्रदूषक कण जमा होत ...और पढ़ें

    Hero Image

    महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को नुकसान पहुंचा रहा है प्रदूषण (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली जैसे महानगरों में वायु प्रदूषण (Delhi Air Pollution) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। राजधानी में फैली जहरीली हवा से बच्चे हों या युवा हर किसी की सेहत को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में हाल की एक स्टडी में पता चला है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों के फेफड़ों में ज्यादा मात्रा में प्रदूषक कण जमा हो रहे हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली और नोएडा स्थित एक पर्यावरण परामर्श संस्था के एक अध्ययन (2019–2023) में यह बात सामने आई है कि पुरुष प्रदूषण के ज्यादा संपर्क में हैं और इसका असर उनके स्वास्थ्य पर गहरा पड़ रहा है।

    Air Pollution (2)

    (Picture Courtesy: AI Generated Image)

    पुरुषों में प्रदूषण का ज्यादा असर क्यों?

    इस अध्ययन में पीएम2.5 और पीएम10 जैसे खतरनाक कणों की रेस्पिरेटरी डिपॉजिशन डोज यानी सांस के जरिए फेफड़ों में जमा होने वाली प्रदूषक मात्रा को मापा गया। नतीजों के अनुसार, पीएम2.5 के मामले में बैठने की स्थिति में पुरुषों की RDD महिलाओं की तुलना में 1.4 गुना ज्यादा पाई गई, जबकि चलने की स्थिति में यह करीब 1.2 गुना ज्यादा रहा। इसी तरह पीएम10 के लिए भी बैठने पर पुरुषों की RDD 1.34 गुना और चलने पर 1.15 गुना ज्यादा दर्ज की गई।

    इसके पीछे एक बड़ा कारण पुरुषों की लाइफस्टाइल और काम की प्रकृति है। अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार, पुरुषों की संख्या ज्यादा है जो बाहर काम करते हैं, जैसे कंस्ट्रक्शन साइट, फैक्ट्रियां, सड़क किनारे की नौकरियां और दैनिक मजदूरी। सुबह और शाम के व्यस्त समय में यात्रा करने वाले कामकाजी लोग और छात्र भी प्रदूषण के ज्यादा संपर्क में आते हैं।

    शारीरिक अंतर भी निभाता है भूमिका

    शोध में यह भी बताया गया कि पुरुषों और महिलाओं की रेस्पिरेटरी प्रोसेस अलग होता है। पुरुषों का टाइडल वॉल्यूम यानी एक सांस में अंदर जाने वाली हवा की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे प्रदूषक कण फेफड़ों के अंदर ज्यादा गहराई तक पहुंच जाते हैं। 

    वहीं, महिलाओं की सांस लेने की फ्रीक्वेंसी ज्यादा होती है, लेकिन बाहरी प्रदूषण के संपर्क में कम रहने के कारण कुल जमा प्रदूषण पुरुषों में ज्यादा पाया गया। एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा समय घर के अंदर रहती हैं, जहां उन्हें इनडोर पॉल्यूशन का सामना करना पड़ता है।

    सबसे ज्यादा खतरे वाले इलाके

    स्टडी में इंडस्ट्रियल एरिया को सबसे ज्यादा प्रदूषित बताया गया, जहां पीएम2.5 और पीएम10 की RDD सबसे ज्यादा दर्ज की गई। इसके बाद व्यावसायिक और रिहायशी इलाके आते हैं। इंडस्ट्रियल एरिया में पुरुषों भी पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा प्रदूषण के संपर्क में आए। चिंताजनक बात यह है कि चलने की स्थिति में पुरुषों की RDD राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) और WHO के स्तर से 10 से 40 गुना तक ज्यादा पाई गई।

    स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्परिणाम

    फेफड़ों में प्रदूषक कणों का ज्यादा जमाव अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और अन्य सांस संबंधी बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है। लंबे समय तक यह स्थिति गंभीर स्वास्थ्य और आर्थिक बोझ का कारण बन सकती है। कुल मिलाकर, यह स्टडी बताती है कि प्रदूषण सभी को प्रभावित करता है, लेकिन इसका बोझ समान नहीं है।

    Air Pollution (1)

    यह भी पढ़ें- सावधान! प्रदूषण से जल रही हैं आंखें? भूलकर भी न करें ये 8 गलतियां, वरना बढ़ सकता है इन्फेक्शन

    यह भी पढ़ें- पॉल्यूशन से घुट रहा दम, जल रहीं आंखें; जानलेवा प्रदूषण में इन 4 टिप्स से रखें अपने बच्चों को सुरक्षित