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    स्ट्रेंथ ट्रेनिंग या कार्डियो एक्सरसाइज, वजन घटाने के लिए क्या है बेहतर?

    Updated: Wed, 31 Jul 2024 07:12 AM (IST)

    इन दिनों लोग अपना वजन कंट्रोल करने के लिए कई सारी चीजें अपनाते हैं। डाइटिंग से लेकर वर्कआउट तक लोग हेल्दी और फिट रहने के लिए काफी कुछ ट्राई करते हैं। आपने अक्सर Weight Loss के लिए लोगों के मुंह से स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियों का नाम सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि दोनों में क्या वजन घटाने के लिए ज्यादा फायदेमंद है।

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    स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियों में अंतर (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सबका शरीर अलग होता है और सबकी फिटनेस जर्नी भी लग होती है। किसी को मजबूती चाहिए, किसी को मांसपेशियों का विकास चाहिए, किसी को वजन बढ़ाना है और किसी को वजन घटाना है। इसलिए हर किसी को एक ही फिटनेस मंत्र नहीं दिया जा सकता है। जिन लोगों का मकसद वजन कम करना होता है, वे तरह-तरह के इंटेंस वर्कआउट करते हैं, जिससे फैट कम किया जा सके। कुछ लोग स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करते हैं, तो कुछ लोग कार्डियो। लेकिन सही जानकारी न होने के कारण, खुद से किसी भी प्रकार का वर्कआउट करने से समस्या पैदा हो सकती है।

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    ऐसे में आज इस आर्टिकल में जानेंगे क्या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियों, दोनों में अंतर क्या है और वजन घटाने के लिए क्या बेहतर है?

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    क्या है स्ट्रेंथ ट्रेनिंग?

    स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का मकसद होता है मांसपेशियों का विकास और मजबूती। वेट लिफ्टिंग, पुश अप, पुल अप, प्लैंक, डंबल, बेंच प्रेस, स्क्वॉट्स आदि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के ही अलग-अलग प्रकार हैं। ये एनर्जी के लिए ऑक्सीजन पर निर्भर नहीं करते हैं, बल्कि शरीर में मौजूद ग्लूकोज का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए इन्हें एनेरोबिक एक्टिविटी कहा जाता है।

    क्या है कार्डियो?

    कार्डियो या कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज किसी भी ऐसी गतिविधि को कहा जाता है जिससे हार्ट रेट बढ़ती हो। दौड़ना, वॉक करना, बाइकिंग, साइक्लिंग, स्विमिंग करना कुछ ऐसी गतिविधियां हैं, जिनमें हार्ट रेट बढ़ जाता है। ये एनर्जी के लिए ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए इन्हें एरोबिक एक्टिविटी भी कहा जाता है।

    वजन घटाने के लिए क्या है बेहतर?

    • कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग अपने आप में बिल्कुल अलग तरह की एक्सरसाइज हैं। कैलोरी बर्न दोनों में ही होता है और दोनों के ही फायदे और नुकसान दोनों ही हैं। संपूर्ण फिटनेस के लिए तो दोनों ही जरूरी हैं। जहां तक बात बॉडी फैट को कम कर के वजन कम करने की है, तो हर एक्सरसाइज से वजन पर असर तो पड़ता ही है। वजन कम तब होता है, जब आप जितनी कैलोरी खा रहे हैं, उससे अधिक बर्न कर सकें।
    • कार्डियो एक्सरसाइज में तीव्र इंटेंसिटी में कुछ देर तक हम एक ही गतिविधि करते हैं जैसे दौड़ना या साइक्लिंग करना। इससे व्यक्ति की हार्ट बीट बढ़ती है और सांस लेने की गति भी बढ़ती है। इससे हार्ट और लंग्स दोनों ही स्वस्थ बने रहते हैं और बॉडी फैट तेजी से कम होता है। हालांकि, ये हर व्यक्ति के शरीर के अनुसार अलग-अलग भी हो सकता है। हर व्यक्ति अपने वजन के अनुसार कैलोरी बर्न करता है।
    • यूएस में हुई एक रिसर्च के अनुसार वे लोग जो वजन कम करने के लिए मात्र स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर निर्भर करते हैं, उनकी तुलना में वे लोग जो मात्र कार्डियो पर निर्भर थे, उन्होंने 4 गुना अधिक फैट कम किया। लेकिन फैट लॉस के साथ मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखना भी प्राथमिकता होना बहुत जरूरी है।
    • स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से जब मांसपेशियां मजबूत होती हैं, तो शरीर के अंदर मेटाबोलिज्म में भी सुधार होता है, जिससे फैट बर्न होने में मदद मिलती है। ये बॉडी फैट को मांसपेशियों में बदल देते हैं, जिससे बॉडी फैट कम होने के साथ शरीर टोन में दिखती है। यही कारण है कि कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दोनों ही मिला कर करने से सम्पूर्ण फैट लॉस में मदद मिलती है।

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    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।